जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने लाइन मैन को बकाया वेतन और उसे पुन: सेवा में लेने को लेकर लेबर कोर्ट के अवार्ड की पालना नहीं होने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने करौली नगर परिषद के आयुक्त को कहा है कि वे 13 जनवरी तक अवार्ड की पालना कराए. अदालत ने चेतावनी दी है कि यदि अवार्ड की पालना नहीं की गई तो उनके ऑफिस की कुर्की होने के साथ ही उनके स्वयं के गिरफ्तारी वारंट भी जारी हो सकते हैं और इसकी जिम्मेदारी उनकी स्वयं की होगी. वहीं, अदालत ने स्वायत्त शासन निदेशक और नगर परिषद आयुक्त से आदेश की पालना को लेकर शपथ पत्र पेश करने को कहा है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश दिलीप सिंह गुर्जर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि याचिकाकर्ता एक मई, 2007 से पांच अक्टूबर, 2020 तक नगर परिषद, करौली में लाइनमैन के तौर पर कार्यरत था. इसके बाद उसे मौखिक आदेश से हटा दिया गया और वेतन भी जारी नहीं किया. इस पर उसने स्थानीय लेबर कोर्ट में याचिका पेश की. लेबर कोर्ट ने 20 सितंबर, 2022 को अवार्ड जारी कर याचिकाकर्ता को बकाया वेतन का चालीस फीसदी राशि का भुगतान और उसे पुन: सेवा में लेने को कहा था.
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इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने अवार्ड की पालना नहीं की. वहीं, लेबर कोर्ट ने भी गत 4 मार्च को अवार्ड की पालना के लिए उसे राज्य सरकार को भेजा, लेकिन आदेश की पालना नहीं की गई. इस पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने भी 10 मई को अवार्ड की पालना के आदेश दिए थे, लेकिन विभाग ने पालना नहीं की. इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए अवार्ड की पालना नहीं करने पर ऑफिस कुर्क करने और अधिकारी के गिरफ्तारी वारंट जारी करने की चेतावनी दी है.