जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने सांसद और विधायकों से जुडे़ आपराधिक प्रकरणों की सुनवाई जल्दी पूरी करने को कहा है. अदालत ने संबंधित सत्र न्यायालयों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं. वहीं, अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह इन प्रकरणों में जारी समन और वारंट आदि की तामील सुनिश्चित कराए, ताकि प्रकरणों के निस्तारण में देरी ना हो. इसके अलावा अदालत ने सरकारी वकीलों की ओर से इन मामलों में अनावश्यक तारीख नहीं लेने को कहा है. अदालत ने कहा कि यदि मुकदमे की सुनवाई के लिए किसी तरह की तकनीकी सहयोग की जरुरत हो तो राज्य सरकार उस पर भी विचार करे. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की विशेष खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट की आदेश की पालना में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद को कहा है कि वह वे इन आपराधिक मामलों के जल्दी निस्तारण को लेकर दो माह में अपने सुझाव पेश करें. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि प्रदेश में एमपी-एमएलए से जुडे़ तीन दर्जन से अधिक प्रकरण लंबित हैं. रिपोर्ट में इन मुकदमों से जुड़ी अदालतों और लंबित अवधि की जानकारी भी दी गई.
पढ़ेंः हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- कार्यकाल पूरा होने के बाद सरपंचों को प्रशासक किस प्रावधान में लगाया है
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में एमपी-एमएलए से जुडे़ आपराधिक मामलों को लेकर हाईकोर्ट को निर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को कहा था कि वे इन केसों के संबंध में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर विशेष पीठ के जरिए सुनवाई करें और लंबित प्रकरणों की सुनवाई जल्दी पूरी करने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करें. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को संबंधित अदालतों से इन प्रकरणों की प्रगति रिपोर्ट भी मांगने को कहा था. वहीं, एक वेबसाइट भी बनाने को कहा था, जिसमें यह ब्यौरा हो कि किस जिले में एमपी-एमएलए के खिलाफ कितने केस पेंडिंग हैं और उनकी स्थिति क्या है.