जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रामीण विकास विभाग में नियमित तौर पर काम कर रहे हैंडपंप मिस्त्रियों को पदोन्नति के अवसर नहीं देने से जुडे़ मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने प्रमुख ग्रामीण विकास सचिव, प्रमुख कार्मिक सचिव, ग्रामीण विकास आयुक्त और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद करौली सहित अन्य से जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह व वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश राजेंद्र सिंह यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता पंचायत समिति हिंडौन सिटी में हैंडपंप मिस्त्री के पद पर काम कर रहा है. उसे जनवरी 1996 से नियमित वेतन श्रृंखला दी गई. वहीं, राज्य सरकार ने राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के नियम 258 एवं 259 में संशोधन किया. इसके तहत नियम 258 से हैंडपंप मिस्त्री और फिटर की पोस्ट सृजित की गई और नियम 259 में संशोधन कर फिटर के पद को जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग से डेपुटेशन से भरने के लिए कहा.
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याचिका में कहा गया कि फिटर का पद हैंडपंप मिस्त्री का पदोन्नति पद है और इसे पंचायती राज विभाग की ओर से पदोन्नति के जरिए ही भरा जाना चाहिए. इस संशोधन के कारण याचिकाकर्ता सहित अन्य कर्मचारी अपने पदोन्नति के अवसर से वंचित हो रहे हैं. वहीं, उन्हें पूरे सेवाकाल में पदोन्नति पद नहीं मिलेगा. यह संविधान में दिए समता के अधिकार की अवहेलना है. ऐसे में उसे पदोन्नति का लाभ दिलाया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.