जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के सचिव और आरपीएससी सचिव को व्यक्तिश: या वीसी से पेश होकर शपथ पत्र के जरिए बताने को कहा है कि भर्ती में अभ्यर्थियों की ओर से की गई छोटी-मोटी और महत्वहीन त्रुटियों के प्रभावी निस्तारण के लिए क्या व्यवस्था की गई है?. जिससे सरकारी नौकरी के योग्य अभ्यर्थियों को अनुचित मुकदमेबाजी से बचाया जा सके. वहीं, अदालत ने दोनों अधिकारियों से याचिकाकर्ता के पद पर बने रहने के संबंध में जानकारी पेश करने को कहा है. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश राजेश की याचिका पर दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि किसी बेरोजगार लेकिन योग्य व पात्र उम्मीदवार के जीवन में सरकारी नौकरी के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता और न ही उसे नियुक्ति के अधिकार से वंचित किया जा सकता है. मामले में राज्य सरकार की ओर से अपनाए गए तकनीकी दृष्टिकोण की अदालत सराहना नहीं करता है. खासकर तब जबकि भर्ती का उद्देश्य सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा का चयन करना हो. इस तरह की कार्रवाई से पहले से मुकदमों के बोझ तले दबे न्यायालय में अनावश्यक मुकदमेबाजी की नौबत आती है. याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का हिंदी वरिष्ठ अध्यापक भर्ती-2018 में चयन हुआ था.
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उसकी नियुक्ति को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि उसने आवेदन पत्र में अंग्रेजी में राकेश और हिंदी में राजेश नाम लिखा था. अदालत के दिसंबर, 2020 के अंतरिम आदेश की पालना में याचिकाकर्ता को 23 जून, 2021 को नियुक्ति दी गई. वहीं, बाद में उसका आरपीएससी की ओर से आयोजित स्कूल व्याख्याता भर्ती में चयन हो गया. ऐसे में उसके नाम के विवाद को अंतिम रूप से तय किया जाए, ताकि उसे पे-प्रोटेक्शन का लाभ मिल सके. अदालत के सामने आया कि राज्य सरकार और आरपीएससी को याचिकाकर्ता के सही नाम पर संदेह नहीं है. इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता की नियुक्ति को अंग्रेजी में गलत नाम होने के आधार पर विवादित किया जा रहा है. अदालत के पूछने पर बताया गया कि विज्ञापन में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि हिंदी और अंग्रेजी में नाम को लेकर भिन्नता हो तो अंग्रेजी में लिखे नाम को प्राथमिकता दी जाएगी. इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से अदालत को इस बात पर भी संतुष्ट नहीं किया जा सका कि नाम की छोटी सी विसंगति को दूर करने के लिए याचिकाकर्ता को मौका क्यों नहीं दिया गया. अदालत ने कहा कि जब याचिकाकर्ता के नाम पर विवाद ही नहीं है तो उसकी नियुक्ति को लेकर विवाद क्यों किया जा रहा है.