जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के यूआईटी सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि तहसीलदार की ओर से आम रास्ते पर अतिक्रमण होने की रिपोर्ट देने के बावजूद भी 20 साल में अतिक्रमण क्यों नहीं हटाया गया? सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ अंबेडकर जन कल्याणकारी एवं विकास समिति, अलवर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता राम अवतार ने अदालत को बताया कि अलवर के दाउदपुर से तलेडा जाने वाली 60 फीट चौड़ी रोड पर कई सालों से अतिक्रमण हो रखा है. आम दिनों में राहगीर पास के खाली खेत का उपयोग कर चले जाते हैं, लेकिन फसल खड़ी होने के दौरान अतिक्रमण के चलते रास्ता केवल 5 फीट का ही रह जाता है. जिसके चलते बड़ा चौपहिया वाहन भी वहां से नहीं गुजर सकता. अतिक्रमण के चलते एम्बुलेंस सहित अन्य दूसरे वाहनों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है.
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याचिका में बताया गया कि तत्कालीन तहसीलदार ने जांच कर यहां प्रभावशाली व्यक्ति के फार्म हाउस के कारण सड़क पर अतिक्रमण होना बताया था. तहसीलदार ने 16 मार्च, 2004 को यूआईटी को कार्रवाई के लिए पत्र भी लिखा था. इसके बावजूद अब तक मौके से अतिक्रमण नहीं हटाया गया है. स्थानीय निवासी अब तक कई बार स्थानीय प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के लिए शिकायत कर चुके हैं. वहीं अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार आंदोलन तक किया जा चुका है, लेकिन अतिक्रमण नहीं हटाया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने यूआईटी सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.