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हाईकोर्ट ने दोषमुक्त होने पर कंडक्टर के सेवा समाप्ति आदेश को किया रद्द - Rajasthan High Court

cancels the termination order राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दोषमुक्त होने पर रोडवेज कंडक्टर के सेवा समाप्ति आदेश को रद्द कर दिया है.

CANCELS THE TERMINATION ORDER,  TERMINATION ORDER OF CONDUCTOR
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 10, 2024, 9:52 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने क्रिमिनल केस में राजीनामे के आधार पर दोषमुक्त होने पर रोडवेज कंडक्टर का सेवा समाप्ति आदेश रद्द कर दिया है. इसके साथ ही मामले के अनुशासनात्मक अधिकारी को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका देते हुए उसकी दोषमुक्ति के आदेश को ध्यान में रख पुन: नियुक्ति पर विचार करें. जस्टिस अनूप ढंड ने यह निर्देश ओमप्रकाश यादव की याचिका पर दिया.

मामले से जुड़े अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि प्रार्थी को एक क्रिमिनल केस में दंडित करने पर उसकी सेवाएं खत्म कर दी थीं. इस आदेश को उसने एडीजे किशनगढ़वास के यहां पर अपील के जरिए चुनौती दी, लेकिन अपीलीय कोर्ट ने भी प्रार्थी को दोषी माना. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि उसके व परिवादी के पक्ष में राजीनामा होने पर उसे 5 मई 2022 के आदेश से दोषमुक्त कर दिया है.

पढ़ेंः कांस्टेबल को बर्खास्त करने वाला 24 साल पुराना आदेश हाईकोर्ट ने किया रद्द, समस्त लाभ देने के आदेश - Rajasthan High Court

उसने दोषमुक्त होने पर निगम के समक्ष सेवा खत्म करने वाले आदेश को रद्द कर उसे सेवा में बहाल करने का आग्रह किया. निगम का कहना है कि सेवा खत्म करने वाले आदेश को किसी कोर्ट ने रद्द नहीं किया है, इसलिए उसे बहाल नहीं कर सकते. प्रार्थी ने कहा कि निगम की जांच कार्रवाई के दौरान वह न्यायिक अभिरक्षा में था और इसके चलते उसे अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला, इसलिए उसका सेवा खत्म करने वाला आदेश रद्द कर उसे बहाल किया जाए.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने क्रिमिनल केस में राजीनामे के आधार पर दोषमुक्त होने पर रोडवेज कंडक्टर का सेवा समाप्ति आदेश रद्द कर दिया है. इसके साथ ही मामले के अनुशासनात्मक अधिकारी को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका देते हुए उसकी दोषमुक्ति के आदेश को ध्यान में रख पुन: नियुक्ति पर विचार करें. जस्टिस अनूप ढंड ने यह निर्देश ओमप्रकाश यादव की याचिका पर दिया.

मामले से जुड़े अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि प्रार्थी को एक क्रिमिनल केस में दंडित करने पर उसकी सेवाएं खत्म कर दी थीं. इस आदेश को उसने एडीजे किशनगढ़वास के यहां पर अपील के जरिए चुनौती दी, लेकिन अपीलीय कोर्ट ने भी प्रार्थी को दोषी माना. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि उसके व परिवादी के पक्ष में राजीनामा होने पर उसे 5 मई 2022 के आदेश से दोषमुक्त कर दिया है.

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उसने दोषमुक्त होने पर निगम के समक्ष सेवा खत्म करने वाले आदेश को रद्द कर उसे सेवा में बहाल करने का आग्रह किया. निगम का कहना है कि सेवा खत्म करने वाले आदेश को किसी कोर्ट ने रद्द नहीं किया है, इसलिए उसे बहाल नहीं कर सकते. प्रार्थी ने कहा कि निगम की जांच कार्रवाई के दौरान वह न्यायिक अभिरक्षा में था और इसके चलते उसे अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला, इसलिए उसका सेवा खत्म करने वाला आदेश रद्द कर उसे बहाल किया जाए.

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