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हाईकोर्ट ने कहा- नर्सिंग ऑफिसर के पद पर करें पदस्थापित, मूल दस्तावेज भी लौटाएं - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्सिंग ऑफिसर भर्ती 2023 को लेकर सुनवाई करते हुए नर्सिंग ऑफिसर पद पर पदस्थापित करने के निर्देश दिए हैं.

HIGH COURT ASKED THE GOVERNMENT,  POST OF NURSING OFFICER
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 8, 2025, 8:06 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह नर्सिंग ऑफिसर भर्ती-2023 में सफल अभ्यर्थियों को नर्सिंग ऑफिसर के पद पर पदस्थापित करें और संविदा पर नियुक्ति देते समय लिए गए उनके मूल दस्तावेज भी जारी करें. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश हरीश कुमार यादव व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने याचिकाकर्ताओं को कहा है कि वह इस दौरान विभाग में अंडरटेकिंग पेश करे कि यदि याचिका में उनके खिलाफ फैसला होता है तो वे अपना पांच लाख रुपए का बॉन्ड भरेंगे.

याचिका में अधिवक्ता शोवित झाझड़िया ने अदालत को बताया कि चिकित्सा विभाग ने 5 मई, 2023 को नर्सिंग ऑफिसर के 8750 पदों पर भर्ती निकाली थी. इसमें शामिल होकर याचिकाकर्ता मेरिट में आ गए. इस पर विभाग ने आदेश जारी कर उन्हें तय जगहों पर पद ग्रहण करने को कहा. याचिका में कहा गया कि कोविड के दौरान याचिकाकर्ता संविदा पर सीएचओ पद पर नियुक्त हुए थे और बाद में उन पर संविदा सेवा नियम, 2022 लागू किए गए थे. संविदा पर लेते समय उनके पांच साल सेवा करने को लेकर पांच लाख रुपए का बॉन्ड और मूल दस्तावेज जमा किए थे.

पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्सिंग ऑफिसर भर्ती को लेकर अधिकारियों से मांगा जवाब

वहीं, अब उन्हें यह बॉन्ड के तहत राशि जमा कराने ही मूल दस्तावेज लौटाने और रिलीव किया जा रहा है, जबकि संविदा सेवा नियम के तहत बॉन्ड को लेकर कोई प्रावधान नहीं है. याचिकाकर्ता चिकित्सा विभाग के अधीन ही संविदा पर थे और अब नियमित भर्ती भी इस विभाग में ही है, इसलिए उन्हें नर्सिंग ऑफिसर के पद पर पदस्थापित किया जाए. इसका विरोध करते हुए विभाग की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने बॉन्ड की शर्त मानकर ही संविदा पर नियुक्ति ली थी. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ताओं के मूल दस्तावेज लौटाने के साथ ही उन्हें नर्सिंग ऑफिसर के पदों पर पदस्थापित करने को कहा है.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह नर्सिंग ऑफिसर भर्ती-2023 में सफल अभ्यर्थियों को नर्सिंग ऑफिसर के पद पर पदस्थापित करें और संविदा पर नियुक्ति देते समय लिए गए उनके मूल दस्तावेज भी जारी करें. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश हरीश कुमार यादव व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने याचिकाकर्ताओं को कहा है कि वह इस दौरान विभाग में अंडरटेकिंग पेश करे कि यदि याचिका में उनके खिलाफ फैसला होता है तो वे अपना पांच लाख रुपए का बॉन्ड भरेंगे.

याचिका में अधिवक्ता शोवित झाझड़िया ने अदालत को बताया कि चिकित्सा विभाग ने 5 मई, 2023 को नर्सिंग ऑफिसर के 8750 पदों पर भर्ती निकाली थी. इसमें शामिल होकर याचिकाकर्ता मेरिट में आ गए. इस पर विभाग ने आदेश जारी कर उन्हें तय जगहों पर पद ग्रहण करने को कहा. याचिका में कहा गया कि कोविड के दौरान याचिकाकर्ता संविदा पर सीएचओ पद पर नियुक्त हुए थे और बाद में उन पर संविदा सेवा नियम, 2022 लागू किए गए थे. संविदा पर लेते समय उनके पांच साल सेवा करने को लेकर पांच लाख रुपए का बॉन्ड और मूल दस्तावेज जमा किए थे.

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वहीं, अब उन्हें यह बॉन्ड के तहत राशि जमा कराने ही मूल दस्तावेज लौटाने और रिलीव किया जा रहा है, जबकि संविदा सेवा नियम के तहत बॉन्ड को लेकर कोई प्रावधान नहीं है. याचिकाकर्ता चिकित्सा विभाग के अधीन ही संविदा पर थे और अब नियमित भर्ती भी इस विभाग में ही है, इसलिए उन्हें नर्सिंग ऑफिसर के पद पर पदस्थापित किया जाए. इसका विरोध करते हुए विभाग की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने बॉन्ड की शर्त मानकर ही संविदा पर नियुक्ति ली थी. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ताओं के मूल दस्तावेज लौटाने के साथ ही उन्हें नर्सिंग ऑफिसर के पदों पर पदस्थापित करने को कहा है.

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