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राजस्थान का 'बेर ग्राम' : 25 साल से किसानों की झोली भर रहा बेर, कई राज्यों में डिमांड - Bharatpur Special Berry

राजस्थान के भरतपुर जिले का चिकसाना गांव अपने स्वादिष्ट बेर के लिए जाना जाता है. यहां के बेर की वजह से चिकसाना को 'बेर ग्राम' भी कहा जाता है. यहां के किसान पिछले 25 सालों से इसकी खेती कर रहे हैं. आइए जानते हैं चिकसाना और यहां के बेर की खासियत...

Bharatpur Special Berry
Bharatpur Special Berry
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 20, 2024, 10:51 AM IST

Updated : Feb 20, 2024, 11:14 AM IST

कृषि विभाग उद्यान के उपनिदेशक जनक राज मीणा

भरतपुर. हर गांव, शहर और जिले की अपनी कोई खासियत होती है, अपनी कोई पहचान होती है. भरतपुर जिले का चिकसाना गांव भी न केवल पूर्वी राजस्थान बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली में अपनी खासी पहचान रखता है. चिकसाना को यह पहचान दिलाई यहां की बेर ने. बेर की वजह से आज इस गांव को बेर ग्राम के रूप में पहचाना जाता है. बेर की बागवानी से बीते 25 साल से इस गांव के करीब 125 किसानों की झोली भर रही है.

एप्पल और गोल ने दी पहचान : कृषि विभाग उद्यान के उपनिदेशक जनक राज मीणा ने बताया कि भरतपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित चिकसाना गांव में वर्ष 1999 से लगातार बेर की बागवानी की जा रही है. चिकसाना गांव में विशेष रूप से एप्पल और गोल नस्ल के बेर की बागवानी की जाती है. यह दोनों ही किस्म के बेर अपने स्वाद के लिए खासा पहचान रखते हैं.

पढ़ें. काजरी में लहलहाई बेर की फसल, मार्च तक मिलेगी विभिन्न किस्में, ऐसे लाभान्वित हो सकते हैं किसान

परंपरागत से अधिक मुनाफा : उपनिदेशक जनक राज मीणा ने बताया कि चिकसाना गांव में करीब 400 बीघा में करीब 125 किसान बेर की बागवानी से जुड़े हुए हैं. परंपरागत खेती की तुलना में बेर से अच्छा मुनाफा मिलता है. एक बीघा खेत के बगीचे में करीब 1 लाख रुपए प्रतिवर्ष तक का मुनाफा हो जाता है, जो कि परंपरागत खेती से करीब दो से 2.5 गुना ज्यादा है. उपनिदेशक जनक राज मीणा ने बताया कि यहां के बेर की न केवल राजस्थान, बल्कि उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा, मध्य प्रदेश और दिल्ली तक में अच्छी डिमांड है.

पानी और मिट्टी खास : उपनिदेशक जनक राज मीणा ने बताया कि चिकसाना क्षेत्र में भूजल खारा है, जिसकी वजह से यहां के खेतों में परंपरागत खेती से अच्छी पैदावार नहीं मिल पाती. ऐसे में यहां के किसानों ने बेर में किस्मत आजमाना शुरू किया. बेर का पेड़ एक ऐसा पेड़ है जिस पर खारे पानी से कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि खारे पानी की वजह से अच्छे और मीठे बेर की फसल तैयार होती है. यही वजह है कि जो खारा पानी यहां के किसानों के लिए अभिशाप बना हुआ था, वही बेर की बागवानी के लिए वरदान साबित हुआ.

भरतपुर के बेर
भरतपुर के बेर

पढ़ें. जोधपुर में लहलहा रही बेर की फसल, अब तक 42 किस्म के बेर उत्पादित कर चुका काजरी

जनक राज मीणा ने बताया कि बेर का फल सिर्फ खाने में ही स्वादिष्ट नहीं है बल्कि इसमें तमाम औषधीय गुण भी मौजूद रहते हैं. बेर में विटामिन ए, विटामिन सी, पोटेशियम और कैल्शियम भी भरपूर मिलता है. बेर के नियमित सेवन से दांत और हड्डी के रोगों में भी लाभ मिलता है. साथ ही यह पाचन क्रिया को भी दुरुस्त करता है.

कृषि विभाग उद्यान के उपनिदेशक जनक राज मीणा

भरतपुर. हर गांव, शहर और जिले की अपनी कोई खासियत होती है, अपनी कोई पहचान होती है. भरतपुर जिले का चिकसाना गांव भी न केवल पूर्वी राजस्थान बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली में अपनी खासी पहचान रखता है. चिकसाना को यह पहचान दिलाई यहां की बेर ने. बेर की वजह से आज इस गांव को बेर ग्राम के रूप में पहचाना जाता है. बेर की बागवानी से बीते 25 साल से इस गांव के करीब 125 किसानों की झोली भर रही है.

एप्पल और गोल ने दी पहचान : कृषि विभाग उद्यान के उपनिदेशक जनक राज मीणा ने बताया कि भरतपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित चिकसाना गांव में वर्ष 1999 से लगातार बेर की बागवानी की जा रही है. चिकसाना गांव में विशेष रूप से एप्पल और गोल नस्ल के बेर की बागवानी की जाती है. यह दोनों ही किस्म के बेर अपने स्वाद के लिए खासा पहचान रखते हैं.

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परंपरागत से अधिक मुनाफा : उपनिदेशक जनक राज मीणा ने बताया कि चिकसाना गांव में करीब 400 बीघा में करीब 125 किसान बेर की बागवानी से जुड़े हुए हैं. परंपरागत खेती की तुलना में बेर से अच्छा मुनाफा मिलता है. एक बीघा खेत के बगीचे में करीब 1 लाख रुपए प्रतिवर्ष तक का मुनाफा हो जाता है, जो कि परंपरागत खेती से करीब दो से 2.5 गुना ज्यादा है. उपनिदेशक जनक राज मीणा ने बताया कि यहां के बेर की न केवल राजस्थान, बल्कि उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा, मध्य प्रदेश और दिल्ली तक में अच्छी डिमांड है.

पानी और मिट्टी खास : उपनिदेशक जनक राज मीणा ने बताया कि चिकसाना क्षेत्र में भूजल खारा है, जिसकी वजह से यहां के खेतों में परंपरागत खेती से अच्छी पैदावार नहीं मिल पाती. ऐसे में यहां के किसानों ने बेर में किस्मत आजमाना शुरू किया. बेर का पेड़ एक ऐसा पेड़ है जिस पर खारे पानी से कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि खारे पानी की वजह से अच्छे और मीठे बेर की फसल तैयार होती है. यही वजह है कि जो खारा पानी यहां के किसानों के लिए अभिशाप बना हुआ था, वही बेर की बागवानी के लिए वरदान साबित हुआ.

भरतपुर के बेर
भरतपुर के बेर

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जनक राज मीणा ने बताया कि बेर का फल सिर्फ खाने में ही स्वादिष्ट नहीं है बल्कि इसमें तमाम औषधीय गुण भी मौजूद रहते हैं. बेर में विटामिन ए, विटामिन सी, पोटेशियम और कैल्शियम भी भरपूर मिलता है. बेर के नियमित सेवन से दांत और हड्डी के रोगों में भी लाभ मिलता है. साथ ही यह पाचन क्रिया को भी दुरुस्त करता है.

Last Updated : Feb 20, 2024, 11:14 AM IST
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