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सरकारी इमारतों को सोलर प्लांट का वरदान, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में जनरेट नहीं हो रही पूरी कैपेसिटी - SOLAR PLATES MAINTENANCE

जयपुर में सरकारी इमारतों पर लगी सोलर प्लेट कैपेसिटी के अनुसार बिजली जनरेट नहीं कर पा रही हैं. पढ़िए पूरी खबर...

सरकारी इमारतों पर लगी सोलर प्लेट
सरकारी इमारतों पर लगी सोलर प्लेट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 14, 2024, 11:39 AM IST

जयपुर : पिंक सिटी की सरकारी इमारतें सूरज की रोशनी से जगमगा रही हैं. बढ़े बिजली के बिल और अघोषित बिजली कटौती से सरकारी संस्थाओं को निजात मिली है. सरकारी इमारतों पर लगे सोलर पैनल उन संस्थानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं, लेकिन अब 3 साल बाद ये सोलर पैनल मेंटेनेंस के अभाव में अपनी कैपेसिटी के अनुसार बिजली जनरेट नहीं कर पा रहे. अनदेखी के कारण कहीं सोलर प्लेट टूट गई हैं. कहीं सोलर प्लेट पर पेड़ों की छांव आ रही है और लगभग सभी पर धूल की परतें जम रही है. इसकी वजह से जहां 40 किलोवाट की कैपेसिटी है, वहां 24 से 30 यूनिट बिजली ही जनरेट हो पा रही है.

30 से ज्यादा सरकारी बिल्डिंगों पर सोलर एनर्जी प्लेट : सोलर एनर्जी, जिसमें किसी तरह का पॉल्यूशन नहीं होता. कोयला या पानी की खपत नहीं होती, किसी भी रिसोर्सेस का नुकसान नहीं होता. ये पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी है. इसे सूर्य की किरणें यानी नेचुरल रिसोर्सेस से विकसित किया जाता है, जो कभी खत्म भी नहीं होती. जयपुर स्मार्ट सिटी सीईओ अरुण हसीजा ने बताया कि जयपुर में 30 से ज्यादा सरकारी बिल्डिंगों पर सोलर एनर्जी प्लेट लगी हैं, जिससे सोलर एनर्जी का उत्पादन किया जा रहा है. इनमें राजस्थान यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक भवन और संघटक कॉलेज, आरटीओ ऑफिस, गणगौरी हॉस्पिटल, एसएमएस स्टेडियम और नगर निगम की इमारतें भी शामिल हैं.

सोलर प्लांट को रखरखाव की जरूरत (ETV Bharat Jaipur)

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सोलर प्लांट्स की ऑनलाइन मॉनिटरिंग: उन्होंने बताया कि इसकी कुल कैपेसिटी 4.97 मेगावाट है, जिससे इन इमारतों में लाइट, एसी, कूलर, पंखे और कंप्यूटर चल रहे हैं. ये परियोजना राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड (REIL) के माध्यम से धरातल पर उतारी गई हैं, जो राजस्थान सरकार का ही उपक्रम है. इन सरकारी इमारतों पर लगाए गए सोलर प्लांट्स की ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी की जाती है. स्मार्ट सिटी के कार्यालय में बने कमांड सेंटर के जरिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग होती है कि किस बिल्डिंग से कितना यूनिट प्रोडक्शन हो रहा है.

इनकी इतनी है क्षमता
इनकी इतनी है क्षमता (ETV Bharat GFX)

कैपेसिटी के अनुसार बिजली जनरेट नहीं हो पा रही : ईटीवी भारत ने जब गणगौरी अस्पताल और चौहान स्टेडियम पर लगी सोलर प्लेट्स को देखा तो यहां कुछ प्लेट टूटी हुई मिली. इसी तरह ग्रेटर नगर निगम के पार्किंग एरिया में लगी सोलर प्लेट्स पर पेड़ों की छांव आ रही थी, जबकि छतों पर लगी सोलर प्लेट पर धूल की परतें जमी थी. इसकी वजह से सोलर प्लांट की तय कैपेसिटी के अनुसार बिजली भी जनरेट नहीं हो पा रही. इस पर स्मार्ट सिटी सीईओ ने कहा कि ये सही है कि सोलर उत्पादन सूर्य की किरणों और तापमान पर निर्भर होता है. अभी सर्दी का मौसम है और तापमान भी कम है. ऐसे में यदि पेड़ की छाया या धूल की परतें सोलर प्लेट पर रहती है तो इसका विद्युत के उत्पादन पर असर पड़ता है. ऐसे में उन्होंने REIL को निर्देश देते हुए कहा कि जहां-जहां सोलर प्लेट पर पेड़ की छाया पड़ रही है वहां पेड़ों की छटाई करने और सभी प्लेट को साफ किया जाएगा. साथ ही जहां प्लेट्स टूटी-फूटी हैं, उनकी रिपेयर की जाएगी ताकि 100% बिजली उत्पादन मिल सके.

सोलर प्लेट पर पेड़ों की छांव आ रही है
सोलर प्लेट पर पेड़ों की छांव आ रही है (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें. इस तरह का होता है Pump Storage Plant, पीक व लीन ऑवर के अंतर में ही होता है बिजली उत्पादन

उन्होंने ये भी बताया कि सोलर प्रोजेक्ट 6 साल में अपनी लागत के बराबर बिजली मूल्य वसूल कर लेता है. जयपुर स्मार्ट सिटी भी उसी दिशा में जा रहा है और 6 साल में लागत की 28 करोड़ रुपए वसूल हो जाएंगे. हालांकि, उन्होंने ये स्पष्ट किया कि इसमें रिवर्स मीटरिंग सिस्टम होता है, यानी जिस भी सरकारी इमारत पर जितनी बिजली उत्पादन हो रही है, वो ग्रीड पर डाल दिया जाता है उतनी यूनिट बिजली के बिल में कम कर दी जाती है. यदि कोई विभाग या बिल्डिंग उत्पादन से ज्यादा विद्युत इस्तेमाल कर रहा है तो बचा हुआ बिल आएगा ही.

जयपुर : पिंक सिटी की सरकारी इमारतें सूरज की रोशनी से जगमगा रही हैं. बढ़े बिजली के बिल और अघोषित बिजली कटौती से सरकारी संस्थाओं को निजात मिली है. सरकारी इमारतों पर लगे सोलर पैनल उन संस्थानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं, लेकिन अब 3 साल बाद ये सोलर पैनल मेंटेनेंस के अभाव में अपनी कैपेसिटी के अनुसार बिजली जनरेट नहीं कर पा रहे. अनदेखी के कारण कहीं सोलर प्लेट टूट गई हैं. कहीं सोलर प्लेट पर पेड़ों की छांव आ रही है और लगभग सभी पर धूल की परतें जम रही है. इसकी वजह से जहां 40 किलोवाट की कैपेसिटी है, वहां 24 से 30 यूनिट बिजली ही जनरेट हो पा रही है.

30 से ज्यादा सरकारी बिल्डिंगों पर सोलर एनर्जी प्लेट : सोलर एनर्जी, जिसमें किसी तरह का पॉल्यूशन नहीं होता. कोयला या पानी की खपत नहीं होती, किसी भी रिसोर्सेस का नुकसान नहीं होता. ये पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी है. इसे सूर्य की किरणें यानी नेचुरल रिसोर्सेस से विकसित किया जाता है, जो कभी खत्म भी नहीं होती. जयपुर स्मार्ट सिटी सीईओ अरुण हसीजा ने बताया कि जयपुर में 30 से ज्यादा सरकारी बिल्डिंगों पर सोलर एनर्जी प्लेट लगी हैं, जिससे सोलर एनर्जी का उत्पादन किया जा रहा है. इनमें राजस्थान यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक भवन और संघटक कॉलेज, आरटीओ ऑफिस, गणगौरी हॉस्पिटल, एसएमएस स्टेडियम और नगर निगम की इमारतें भी शामिल हैं.

सोलर प्लांट को रखरखाव की जरूरत (ETV Bharat Jaipur)

पढे़ं. पीएम कुसुम योजना: सोलर पंप के लिए मिल रहा 60 प्रतिशत अनुदान, एससी-एसटी के किसानों को 45 हजार अतिरिक्त

सोलर प्लांट्स की ऑनलाइन मॉनिटरिंग: उन्होंने बताया कि इसकी कुल कैपेसिटी 4.97 मेगावाट है, जिससे इन इमारतों में लाइट, एसी, कूलर, पंखे और कंप्यूटर चल रहे हैं. ये परियोजना राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड (REIL) के माध्यम से धरातल पर उतारी गई हैं, जो राजस्थान सरकार का ही उपक्रम है. इन सरकारी इमारतों पर लगाए गए सोलर प्लांट्स की ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी की जाती है. स्मार्ट सिटी के कार्यालय में बने कमांड सेंटर के जरिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग होती है कि किस बिल्डिंग से कितना यूनिट प्रोडक्शन हो रहा है.

इनकी इतनी है क्षमता
इनकी इतनी है क्षमता (ETV Bharat GFX)

कैपेसिटी के अनुसार बिजली जनरेट नहीं हो पा रही : ईटीवी भारत ने जब गणगौरी अस्पताल और चौहान स्टेडियम पर लगी सोलर प्लेट्स को देखा तो यहां कुछ प्लेट टूटी हुई मिली. इसी तरह ग्रेटर नगर निगम के पार्किंग एरिया में लगी सोलर प्लेट्स पर पेड़ों की छांव आ रही थी, जबकि छतों पर लगी सोलर प्लेट पर धूल की परतें जमी थी. इसकी वजह से सोलर प्लांट की तय कैपेसिटी के अनुसार बिजली भी जनरेट नहीं हो पा रही. इस पर स्मार्ट सिटी सीईओ ने कहा कि ये सही है कि सोलर उत्पादन सूर्य की किरणों और तापमान पर निर्भर होता है. अभी सर्दी का मौसम है और तापमान भी कम है. ऐसे में यदि पेड़ की छाया या धूल की परतें सोलर प्लेट पर रहती है तो इसका विद्युत के उत्पादन पर असर पड़ता है. ऐसे में उन्होंने REIL को निर्देश देते हुए कहा कि जहां-जहां सोलर प्लेट पर पेड़ की छाया पड़ रही है वहां पेड़ों की छटाई करने और सभी प्लेट को साफ किया जाएगा. साथ ही जहां प्लेट्स टूटी-फूटी हैं, उनकी रिपेयर की जाएगी ताकि 100% बिजली उत्पादन मिल सके.

सोलर प्लेट पर पेड़ों की छांव आ रही है
सोलर प्लेट पर पेड़ों की छांव आ रही है (ETV Bharat Jaipur)

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उन्होंने ये भी बताया कि सोलर प्रोजेक्ट 6 साल में अपनी लागत के बराबर बिजली मूल्य वसूल कर लेता है. जयपुर स्मार्ट सिटी भी उसी दिशा में जा रहा है और 6 साल में लागत की 28 करोड़ रुपए वसूल हो जाएंगे. हालांकि, उन्होंने ये स्पष्ट किया कि इसमें रिवर्स मीटरिंग सिस्टम होता है, यानी जिस भी सरकारी इमारत पर जितनी बिजली उत्पादन हो रही है, वो ग्रीड पर डाल दिया जाता है उतनी यूनिट बिजली के बिल में कम कर दी जाती है. यदि कोई विभाग या बिल्डिंग उत्पादन से ज्यादा विद्युत इस्तेमाल कर रहा है तो बचा हुआ बिल आएगा ही.

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