ETV Bharat / state

सर्दी बढ़ी तो गुलाबी आभा वाले फ्लेमिंगो से गुलजार हुई सांभर झील, हजारों किलोमीटर का सफर तय कर पहुंचे 'पावणे' - FLAMINGOS IN RAJASTAN

खारे पानी की सबसे बड़ी झील में ग्रेटर और लेजर फ्लेमिंगो के अलावा अन्य कई प्रजातियों के पक्षी और बतखों ने डेरा जमा लिया है.

फ्लेमिंगो से गुलजार हुई सांभर झील
फ्लेमिंगो से गुलजार हुई सांभर झील (ETV Bharat Jaipur)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जयपुर : राजस्थान में स्थित खारे पानी की देश की सबसे बड़ी झील, सांभर झील इन दिनों गुलाबी आभा वाले फ्लेमिंगो से आबाद है. सर्दी के आगाज के साथ ही सांभर झील में हजारों किलोमीटर का सफर तय कर बड़ी संख्या में फ्लेमिंगो सहित अन्य प्रवासी पक्षियों ने डेरा जमा लिया है. अभी सुदूर प्रदेशों से सांभर झील में प्रवासी पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है. माना जा रहा है कि दिसंबर-जनवरी के बीच यहां बड़ी संख्या में और प्रवासी पक्षी पहुंच सकते हैं.

बहरहाल, सांभर झील के छिछले पानी में अठखेलियां करते लेजर और ग्रेटर फ्लेमिंगो के दीदार करने के लिए बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी भी सांभर का रुख कर रहे हैं. दरअसल, सुदूर ठंडे प्रदेशों में कड़ाके की सर्दी में सब कुछ जम जाता है. इन हालातों ने पक्षी हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर रूस, मंगोलिया और साइबेरिया से सांभर आते हैं. यहां उन्हें प्रचुर मात्रा में एल्गी और उस पर पनपने वाले छोटे-छोटे कीड़े भोजन के रूप में मिल जाते हैं. आमतौर पर प्रवासी पक्षी सितंबर-अक्टूबर से फरवरी मार्च तक सांभर में रहते हैं, लेकिन प्रवासी पक्षियों की कई कॉलोनियां सालभर यहां देखी जा सकती है, जिनमें फ्लेमिंगो प्रमुख हैं.

ग्रेटर और लेजर फ्लेमिंगो पहुंचे सांभर झील
ग्रेटर और लेजर फ्लेमिंगो पहुंचे सांभर झील (ETV Bharat Jaipur)

पढे़ं. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण साइबेरियन पक्षी कुरजां ने बदला रास्ता! 3676 किमी उड़कर पहुंचे खीचन

प्रवासी पक्षियों का प्राकृतिक वास है सांभर झील : जयपुर डीएफओ केतन कुमार का कहना है कि सांभर झील में हर साल की तरह विंटर माइग्रेशन के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंच रहे हैं. यह प्रवासी पक्षियों के लिए अहम प्राकृतिक वास (habitat) है. यहां सबसे ज्यादा फ्लेमिंगो देखे जा सकते हैं. ग्रेटर और लेजर फ्लेमिंगो की संख्या सांभर में हजारों में हैं. इनके अलावा नॉर्दन शॉवलर, कॉमन कुक्स, पिन्टेल्स, ब्लॉवर्स सहित अन्य कई प्रवासी पक्षी सर्दियों के मौसम में सांभर झील में देखे जा सकते हैं. माना जा रहा है कि इस बार सांभर झील में बर्ड्स का माइग्रेशन बहुत अच्छा होने वाला है.

छिछले पानी में अठखेलियां करते नजर आए पक्षी
छिछले पानी में अठखेलियां करते नजर आए पक्षी (ETV Bharat Jaipur)

240 वर्ग किमी में फैली है छिछले पानी की झील : उन्होंने बताया कि सांभर वेटलैंड है, जो रामसर साइट्स में भी शामिल है. यह प्रवासी पक्षियों के लिए एक नैचुरल हैबिटैट है. सांभर झील 240 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है. यह सैलाइन इनलैंड वाटर बॉडी है. प्रवासी पक्षियों को यहां प्रचुर मात्रा में भोजन मिल जाता है. पूरी झील में पानी का भराव करीब एक फीट है. यह भी एक बड़ा कारण है, जो प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है.

पढ़ें. पांचना बांध का पानी मिला तो पक्षियों से गुलजार हुआ केवलादेव, तीन गुना अधिक पहुंचे पेंटेड स्टार्क

प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के यह हैं इंतजाम : प्रवासी पक्षियों के सुरक्षा इंतजामों के सवाल पर उन्होंने बताया कि वन विभाग का ग्राउंड स्टाफ नियमित रूप से पेट्रोलिंग करके यह सुनिश्चित करता है कि कहीं भी पक्षियों के लिए कोई डिस्टर्बेंस नहीं हो. कोई गैर कानूनी गतिविधि या वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट का कोई उल्लंघन नहीं हो. प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक आवास को खराब करने वाली कोई भी गतिविधि नहीं हो. इसका भी ध्यान रखा जाता है. कोई भी पक्षी किसी कारण से घायल होता है तो उसका उपचार सुनिश्चित करवाया जाते है. उपचार के बाद उसे वापस छोड़ा जाता है.

लाबी आभा वाले फ्लेमिंगो
लाबी आभा वाले फ्लेमिंगो (ETV Bharat Jaipur)

पक्षियों की मौत का प्रवास पर असर नहीं : उन्होंने बताया कि अक्टूबर के महीने में शुरुआती तौर पर कुछ पक्षियों की मौत होने की जानकारी मिली थी. जांच में एवियन बोटुलिज्म के कारण पक्षियों की मौत की बात सामने आई थी, लेकिन अब हालात सामान्य हैं. हमने उस समय पक्षियों के उपचार और मृत पक्षियों के शवों के निस्तारण के लिए कई विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर काम किया था. घायल पक्षियों को तत्काल रेस्क्यू कर उपचार मुहैया करवाया गया. इसके बाद अब हालात पूरी तरह काबू में हैं. इसके बाद लगातार प्रवासी पक्षियों की आवक जारी है.

पढे़ं. गुलाबी ठंड में जैसलमेर पहुंचे प्रवासी पक्षी, डीएनपी क्षेत्र में दिखा मंगोलिया का राष्ट्रीय पक्षी 'साकर फाल्कन'

दो प्रजातियों के फ्लेमिंगो सांभर झील में : पक्षी विशेषज्ञ गौरव शर्मा का कहना है कि सांभर झील में अभी दो प्रजातियों के फ्लेमिंगो डेरा जमाए हुए हैं. इनमें लेजर और ग्रेटर फ्लेमिंगो प्रमुख हैं. लेजर फ्लेमिंगो का आकार ढाई से साढ़े तीन फीट होता है, जबकि ग्रेटर फ्लेमिंगो पांच फीट तक का होता है. लेजर फ्लेमिंगो के पंख और शरीर का बड़ा हिस्सा गुलाबी होता है, जबकि ग्रेटर फ्लेमिंगो का रंग सफेद होता है.

ब्लू ग्रीन एल्गी मिलती है प्रचुर मात्रा में : गौरव शर्मा का कहना है कि सांभर झील में ब्लू-ग्रीन एल्गी प्रचुर मात्रा में होती है, जो फ्लेमिंगो का प्राकृतिक फूड है. लेजर फ्लेमिंगो का गुलाबी रंग भी ब्लू ग्रीन एल्गी खाने से ज्यादा गहरा होता है. उनका कहना है कि फ्लेमिंगो एक खास प्रक्रिया से जोड़ा बनाते हैं. जिसे कोर्टशिप डिस्प्ले कहा जाता है. इसमें नर और मादा गोला बनाकर चलते हैं, जिससे ऐसा लगता है जैसे वे डांस कर रहे हैं.

बड़ी संख्या में कॉमन क्रेन की भी आवक : 10 से 12 प्रजाति के बतख, वेडर्स, पिंटेल, केंटिश फ्लॉवर, बार हेडेड गूज, ग्रे लेग गूज, ट्रफ्टेड डक, सुर्खाब, नॉर्दन शॉवलर, कॉमन क्रेन के अलावा पेराग्रीन फाल्कन के अलावा करीब 10 लुप्तप्राय प्रजातियों के शिकारी पक्षी भी सांभर झील में आसानी से देखे जा सकते हैं. इसके साथ हो बड़ी संख्या में कॉमन क्रेन भी इन दिनों सांभर झील में देखी जा सकती है.

जयपुर : राजस्थान में स्थित खारे पानी की देश की सबसे बड़ी झील, सांभर झील इन दिनों गुलाबी आभा वाले फ्लेमिंगो से आबाद है. सर्दी के आगाज के साथ ही सांभर झील में हजारों किलोमीटर का सफर तय कर बड़ी संख्या में फ्लेमिंगो सहित अन्य प्रवासी पक्षियों ने डेरा जमा लिया है. अभी सुदूर प्रदेशों से सांभर झील में प्रवासी पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है. माना जा रहा है कि दिसंबर-जनवरी के बीच यहां बड़ी संख्या में और प्रवासी पक्षी पहुंच सकते हैं.

बहरहाल, सांभर झील के छिछले पानी में अठखेलियां करते लेजर और ग्रेटर फ्लेमिंगो के दीदार करने के लिए बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी भी सांभर का रुख कर रहे हैं. दरअसल, सुदूर ठंडे प्रदेशों में कड़ाके की सर्दी में सब कुछ जम जाता है. इन हालातों ने पक्षी हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर रूस, मंगोलिया और साइबेरिया से सांभर आते हैं. यहां उन्हें प्रचुर मात्रा में एल्गी और उस पर पनपने वाले छोटे-छोटे कीड़े भोजन के रूप में मिल जाते हैं. आमतौर पर प्रवासी पक्षी सितंबर-अक्टूबर से फरवरी मार्च तक सांभर में रहते हैं, लेकिन प्रवासी पक्षियों की कई कॉलोनियां सालभर यहां देखी जा सकती है, जिनमें फ्लेमिंगो प्रमुख हैं.

ग्रेटर और लेजर फ्लेमिंगो पहुंचे सांभर झील
ग्रेटर और लेजर फ्लेमिंगो पहुंचे सांभर झील (ETV Bharat Jaipur)

पढे़ं. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण साइबेरियन पक्षी कुरजां ने बदला रास्ता! 3676 किमी उड़कर पहुंचे खीचन

प्रवासी पक्षियों का प्राकृतिक वास है सांभर झील : जयपुर डीएफओ केतन कुमार का कहना है कि सांभर झील में हर साल की तरह विंटर माइग्रेशन के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंच रहे हैं. यह प्रवासी पक्षियों के लिए अहम प्राकृतिक वास (habitat) है. यहां सबसे ज्यादा फ्लेमिंगो देखे जा सकते हैं. ग्रेटर और लेजर फ्लेमिंगो की संख्या सांभर में हजारों में हैं. इनके अलावा नॉर्दन शॉवलर, कॉमन कुक्स, पिन्टेल्स, ब्लॉवर्स सहित अन्य कई प्रवासी पक्षी सर्दियों के मौसम में सांभर झील में देखे जा सकते हैं. माना जा रहा है कि इस बार सांभर झील में बर्ड्स का माइग्रेशन बहुत अच्छा होने वाला है.

छिछले पानी में अठखेलियां करते नजर आए पक्षी
छिछले पानी में अठखेलियां करते नजर आए पक्षी (ETV Bharat Jaipur)

240 वर्ग किमी में फैली है छिछले पानी की झील : उन्होंने बताया कि सांभर वेटलैंड है, जो रामसर साइट्स में भी शामिल है. यह प्रवासी पक्षियों के लिए एक नैचुरल हैबिटैट है. सांभर झील 240 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है. यह सैलाइन इनलैंड वाटर बॉडी है. प्रवासी पक्षियों को यहां प्रचुर मात्रा में भोजन मिल जाता है. पूरी झील में पानी का भराव करीब एक फीट है. यह भी एक बड़ा कारण है, जो प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है.

पढ़ें. पांचना बांध का पानी मिला तो पक्षियों से गुलजार हुआ केवलादेव, तीन गुना अधिक पहुंचे पेंटेड स्टार्क

प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के यह हैं इंतजाम : प्रवासी पक्षियों के सुरक्षा इंतजामों के सवाल पर उन्होंने बताया कि वन विभाग का ग्राउंड स्टाफ नियमित रूप से पेट्रोलिंग करके यह सुनिश्चित करता है कि कहीं भी पक्षियों के लिए कोई डिस्टर्बेंस नहीं हो. कोई गैर कानूनी गतिविधि या वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट का कोई उल्लंघन नहीं हो. प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक आवास को खराब करने वाली कोई भी गतिविधि नहीं हो. इसका भी ध्यान रखा जाता है. कोई भी पक्षी किसी कारण से घायल होता है तो उसका उपचार सुनिश्चित करवाया जाते है. उपचार के बाद उसे वापस छोड़ा जाता है.

लाबी आभा वाले फ्लेमिंगो
लाबी आभा वाले फ्लेमिंगो (ETV Bharat Jaipur)

पक्षियों की मौत का प्रवास पर असर नहीं : उन्होंने बताया कि अक्टूबर के महीने में शुरुआती तौर पर कुछ पक्षियों की मौत होने की जानकारी मिली थी. जांच में एवियन बोटुलिज्म के कारण पक्षियों की मौत की बात सामने आई थी, लेकिन अब हालात सामान्य हैं. हमने उस समय पक्षियों के उपचार और मृत पक्षियों के शवों के निस्तारण के लिए कई विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर काम किया था. घायल पक्षियों को तत्काल रेस्क्यू कर उपचार मुहैया करवाया गया. इसके बाद अब हालात पूरी तरह काबू में हैं. इसके बाद लगातार प्रवासी पक्षियों की आवक जारी है.

पढे़ं. गुलाबी ठंड में जैसलमेर पहुंचे प्रवासी पक्षी, डीएनपी क्षेत्र में दिखा मंगोलिया का राष्ट्रीय पक्षी 'साकर फाल्कन'

दो प्रजातियों के फ्लेमिंगो सांभर झील में : पक्षी विशेषज्ञ गौरव शर्मा का कहना है कि सांभर झील में अभी दो प्रजातियों के फ्लेमिंगो डेरा जमाए हुए हैं. इनमें लेजर और ग्रेटर फ्लेमिंगो प्रमुख हैं. लेजर फ्लेमिंगो का आकार ढाई से साढ़े तीन फीट होता है, जबकि ग्रेटर फ्लेमिंगो पांच फीट तक का होता है. लेजर फ्लेमिंगो के पंख और शरीर का बड़ा हिस्सा गुलाबी होता है, जबकि ग्रेटर फ्लेमिंगो का रंग सफेद होता है.

ब्लू ग्रीन एल्गी मिलती है प्रचुर मात्रा में : गौरव शर्मा का कहना है कि सांभर झील में ब्लू-ग्रीन एल्गी प्रचुर मात्रा में होती है, जो फ्लेमिंगो का प्राकृतिक फूड है. लेजर फ्लेमिंगो का गुलाबी रंग भी ब्लू ग्रीन एल्गी खाने से ज्यादा गहरा होता है. उनका कहना है कि फ्लेमिंगो एक खास प्रक्रिया से जोड़ा बनाते हैं. जिसे कोर्टशिप डिस्प्ले कहा जाता है. इसमें नर और मादा गोला बनाकर चलते हैं, जिससे ऐसा लगता है जैसे वे डांस कर रहे हैं.

बड़ी संख्या में कॉमन क्रेन की भी आवक : 10 से 12 प्रजाति के बतख, वेडर्स, पिंटेल, केंटिश फ्लॉवर, बार हेडेड गूज, ग्रे लेग गूज, ट्रफ्टेड डक, सुर्खाब, नॉर्दन शॉवलर, कॉमन क्रेन के अलावा पेराग्रीन फाल्कन के अलावा करीब 10 लुप्तप्राय प्रजातियों के शिकारी पक्षी भी सांभर झील में आसानी से देखे जा सकते हैं. इसके साथ हो बड़ी संख्या में कॉमन क्रेन भी इन दिनों सांभर झील में देखी जा सकती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.