अलवर : रामगढ़ उपचुनाव के रण में भाजपा ने अपने प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया है. वहीं, कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार का ऐलान अभी बाकी है. रामगढ़ उपचुनाव में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों की नजर अब बसपा, आसपा (आजाद समाजवादी पार्टी) के उम्मीदवारों की रणनीति पर टिकी है. रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बसपा, आसपा पिछले कुछ विधानसभा चुनाव में अपनी मौजूदगी का अहसास कराते रहे हैं.
रामगढ़ उपचुनाव में नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. भाजपा ने दो दिन पहले ही अपने प्रत्याशी की घोषणा कर चुनावी चौसर बिछाने का प्रयास किया तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा भी अंतिम चरण में है. ऐसे में अब बसपा, आसपा दलों की रणनीति महत्वपूर्ण हो गई है. कारण है कि रामगढ़ में बसपा, आसपा दल प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस व भाजपा का चुनावी गणित कई बार बिगाड़ चुके हैं. हालांकि, अभी तक रामगढ़ उपचुनाव को लेकर बसपा, आसपा ने चुप्पी साध रखी है. राजनीतिक विश्लेषक हरिशंकर गोयल का मानना है कि बसपा, आसपा को प्रमुख दलों में उठ रहे बगावत के सुर के और गहरे होने का इंतजार है. प्रमुख दलों में बगावत करने वाले किसी प्रमुख नेता पर बसपा, आसपा दांव खेल सकते हैं.
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भाजपा की अंदरूनी राजनीति पर टिकी नजर : बसपा, आसपा दल की नजर फिलहाल भाजपा की अंदरूनी राजनीति पर टिकी है. कारण है कि भाजपा की ओर से प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही रामगढ़ में पार्टी में बगावत के सुर तेज होने लगे हैं. भाजपा नेता जय आहूजा ने रामगढ़ में मीटिंग करके भाजपा प्रत्याशी का विरोध करने और क्षेत्र की जनता की राय के आधार पर अगला निर्णय लेने की घोषणा की है. जय आहूजा ने 22 अक्टूबर को अपने कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों की रामगढ़ में फिर मीटिंग बुलाई है. इसमें वे अपने अगले कदम की घोषणा कर सकते हैं. वहीं, ओड समाज के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल सूरा ने भी भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
वहीं, रामगढ़ से भाजपा टिकट के एक और दावेदार पूर्व विधायक बनवारीलाल सिंघल ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी कर पार्टी पर निष्ठा का गला घोंटने का आरोप लगाया है. भाजपा में प्रत्याशी चयन को लेकर उठ रहे बगावती सुर पर बसपा, आसपा दलों की नजर टिकी है. वहीं, भाजपा के जिला अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने कहा कि पार्टी की ओर से सुखवंत सिंह को टिकट दिया गया है. यह फैसला आलाकमान का है. पूरी पार्टी एकजुट है. टिकट वितरण के शुरुआती दौर में नाराजगी जाहिर होती है, लेकिन पार्टी पूरी एकजुटता के साथ चुनाव लड़ेगी.
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रामगढ़ में बसपा, आसपा का रहा असर : रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में तीसरे मोर्चे के दलों का असर रहा है. विधानसभा चुनाव 2023 में यहां से भाजपा के बागी सुखवंत सिंह चंद्रशेखर रावण की पार्टी असपा से चुनाव लड़ करीब 74 हजार वोट हासिल करने में कामयाब रहे. असपा के चलते यहां भाजपा प्रत्याशी जय आहूजा तीसरे नंबर पर खिसक गए. इससे पूर्व 2018 विधानसभा चुनाव में भी बसपा से पूर्व विधायक जगत सिंह चुनाव लड़े और 24 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे. यहां बसपा प्रत्याशी के कारण भाजपा प्रत्याशी का चुनावी गणित गड़बड़ा गया. वहीं, 2013 में बसपा के फजरू खां को साढ़े सात हजार से ज्यादा वोट मिले. 2008 में बसपा के फजरू खां ने 8 हजार से ज्यादा वोट लेकर कांग्रेस के चुनावी समीकरण बिगाड़ दिया था. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार उपचुनाव में भी बसपा, आसपा दल प्रमुख दलों के बागियों का सहारा लेकर कांग्रेस या भाजपा के चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हैं.