रायसेन। रायसेन किले की सुबह अब खुशनुमा होने लगी है. अलसुबह से किले की सीढ़ियों पर नवयुवकों के साथ ही कई बुजुर्ग चढ़ाई करते दिखते हैं. सूर्योदय से पहले 100 से ज्यादा युवा और बुजुर्ग यहां योगा और प्राणायाम करने लग जाते हैं. बुजुर्गों के जोश को देखकर कई युवा भी रोजाना किले पर पहुंचने लगे हैं. इनमें कई लोग ऐसे हैं जो गठिया रोग तो कोई शुगर तो कोई हेवी वेट के कारण परेशानियों से जूझ रहे थे. लेकिन अब ये लोग बगैर किसी परेशानी के 6 से 7 किलोमीटर बगैर रुके चलते हैं.
रोजाना सुबह 4 बजे से रायसेन किले पर हलचल
मध्य प्रदेश का प्राचीन रायसेन किला इन दिनों बुजुर्गों के साथ ही युवाओं के लिए स्वस्थ रहने का माध्यम बन गया है. यहां रोजाना सुबह 4 बजे से बुजुर्गों के साथ ही नौजवानों का पहुंचना शुरू हो जाता है. साल 2016 से फोर्ट क्लब के माध्यम से कुछ गिने-चुने बुजुर्गों ने यहां आना शुरू किया. बुजुर्गों को यहां आते हुए देखकर अब युवाओं के साथ ही हर उम्र के लोग नागरिक किले पर आने लगे हैं. अब दुर्ग पर सुबह आने वाले लोगो की संख्या लगभग 100 के आसपस हो गई है. प्रतिदिन ये सभी लोग किले की लगभग 300 सीढ़ियां चढ़कर रायसेन दुर्ग पर पहुंचते हैं, जिसके बाद ये लोग अपने अपने स्थान पर बैठकर योगा अभ्यास और एक्सरसाइज करते हैं. इसके बाद रोजाना किले का भ्रमण भी करते हैं.
पहले चलने में तकलीफ थी, अब सीढ़ियां चढ़ रहा हूं
रायसेन दुर्ग पर रोजाना आने वाले प्रदीप गुर्जर का कहते हैं "यहां पिछले 5 माह से लगातार आ रहा हूं. उन्हें चलने में काफी तकलीफ होती थी. वह हिप ज्वाइंट की बीमारी से ग्रसित थे. डॉक्टर ने चलने के लिए मना किया था. काफ़ी हद तक उन्होंने डॉक्टर की बात मानी भी पर अपने परिचित के कहने पर उन्होंने किले पर आना और एक्सरसाइज करना प्रारंभ किया. अब वह लगभग 7 किलोमीटर प्रतिदिन चलते हैं और उनका वजन भी लगभग 10 किलो कम हो गया है."
शहरवासियों को प्रेरित कर रही फोर्ट क्लब संस्था
वहीं, रायसेन के 74 वर्षीय विकास मिश्रा बताते हैं "फोर्ट क्लब एक सामाजिक संस्था है. इसके माध्यम से हम लोगों को बताते हैं कि हमारा किला प्राकृतिक है. यहां पर स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक माहौल मिलता है. हम लोग रायसेन दुर्ग को स्वच्छ और साफ रखने के लिए भी पहल करते हैं. फिलहाल हमारे पास 90 से अधिक लोग हैं, जो यहां रोज आते हैं और हमारे साथ प्राणायाम करते हैं."
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शुगर पेशेंट भी यहां आकर हो रहे सेहतमंद
रायसेन पर रोजाना आने वाले 78 साल के आरके सोनी 6 साल से पहुंच रहे हैं. वह बताते हैं "सुबह का माहौल स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है. मैं एक शुगर पेशेंट हूं. पर मुझे ज्यादातर दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ती. सुबह मॉर्निंग वॉक में उसकी पूर्ति हो जाती है." रोजाना हम सुबह से हम किले के जीने चढ़ते हैं और प्राणायाम करते हैं. योगा और प्राणायाम से बहुत लाभ मिलता है. वहीं, रायसेन के जितेन ठाकुर बताते हैं "उनके सीनियर डॉक्टर वगैरह 7 साल पहले से आया करते थे. उन्हीं से प्रेरणा मिली यहां आने की. यहां युवाओं को किले के इतिहास और स्वास्थ्य की जानकारी भी दी जाती है. यहां आने से मेरे स्टैमिना में काफी फर्क पड़ा है."