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गायत्री परिवार पढ़ाई के साथ बच्चों में भर रहे हैं संस्कार, हर प्रकार की सुविधा कराते हैं उपलब्ध - RAHUL KUMAR

शिक्षा के साथ संस्कार, इसी मकसद से गोपालगंज निवासी राहुल कुमार नि:शुल्क शिक्षादान कर रहे हैं. उनकी पहल की खूब प्रशंसा भी हो रही है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 9, 2024, 2:06 PM IST

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में राहुल कुमार युवा शिक्षक के रूप में बच्चों के जीवन में नई रोशनी फैला रहे हैं. पिछले कई वर्षों से बच्चों को न केवल निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार भी दे रहे हैं. इनके प्रयासों से बच्चों में नैतिक मूल्य, सामाजिक व्यवहार और अच्छे चरित्र का विकास हो रहा है.

संस्कारी योद्धा तैयार कर रहे राहुल: राहुल कुमार विजयीपुर प्रखंड के रामपुर गांव के रहने वाले हैं. समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले आज योद्धा तैयार कर रहे हैं, जो समाज को साफ-सुथरा और आपसी भाईचारा से चल सके. राहुल ने स्नातक तक पढ़ाई की है. पिता श्रीराम कृष्ण प्रसाद विदेश में कार पेंटर का काम करते है. दो भाइयो में सबसे बड़े राहुल आज बच्चों के भविष्य की चिंता कर रहे हैं.

गोपालगंज गायत्री मंदिर परिसर (ETV Bharat)

बच्चों को संस्कार देना बेहद जरूरी: राहुल शहर के रामनाथ शर्मा मार्ग स्थित वार्ड नंबर 20 स्थिति गायत्री मंदिर परिसर में पिछले दो वर्षो से बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के साथ साथ संस्कार दे रहे हैं. यह युवा शिक्षक बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के मूल्यों का महत्व भी सिखाते हैं. वे बच्चों को ईमानदारी, सच्चाई, कर्तव्यनिष्ठा, सहयोग और सम्मान जैसे गुणों के बारे में बताते हैं.

समाज में आ सकता है बदलाव: इनके प्रयास से बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास, सामाजिक व्यवहार में सुधार, अच्छे चरित्र का निर्माण, आत्मविश्वास और नेतृत्व के गुणों का विकास हो रहा है. इन बच्चों ने कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है और जिले का नाम रोशन किया है. राहुल कुमार ने कहा कि एक व्यक्ति के छोटे से प्रयास से भी समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है.

संस्कारशाला में प्रार्थना करते बच्चे
संस्कारशाला में प्रार्थना करते बच्चे (ETV Bharat)

"यहां बाल संस्कारशाला है जो परम पूज्य गुरुदेवजी का एक अभियान था. यहां नि:शुल्क बच्चों को पढ़ाया जाता है. पिछले 2 साल से पढ़ाया जा रहा है. स्कूल में शिक्षा मिल जाती है लेकिन संस्कार यहां मिलता है जो बच्चों के लिए बहुत जरूरी है. यहां बच्चों को यह भी सिखाया जाता है कि देश को कैसे सुरक्षित रखना है." -राहुल कुमार, शिक्षक

पहले मजाक उड़ाते थे लोग: राहुल बताते हैं कि उन्होंने चार साल पूर्व पटना में रहकर पढ़ाई की थी. इसी बीच कंकड़बाग में आयोजित प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ के कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला था. इसके बाद प्रतिज्ञा ली कि मुझे भी समाज में व्याप्त गंदगी और बुराइयों को साफ करने में अपना कुछ समय देना चाहिए. तब से ही उन्होंने ने मन में सोच कर युवाओं और छात्र छात्राओं को समझाना शुरू किया. शुरुआत में कई लोग उनकी बातों को मजाक में उड़ा देते थे लेकिन उन्होंने अपना प्रयास नहीं छोड़ा.

संस्कारशाला में योगभ्यास करते बच्चे
संस्कारशाला में योगभ्यास करते बच्चे (ETV Bharat)

बाल संस्कार शाला में 40 बच्चे: दो वर्ष पूर्व गायत्री मंदिर परिसर में निः शुल्क बाल संस्कार शाला की शुरुआत की गई. राहुल द्वारा छोटे छोटे बच्चों को शिक्षा के साथ साथ संस्कार देना शुरू हुआ. आलम यह है की इस संस्कार शाला में करीब 40 बच्चे पढ़ाई करते हैं. बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करना है और बच्चों को धर्म, संस्कृति और समाज सेवा के बारे में सिखाया जाता है.

क्या है उद्देश्य?: बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया जाता है. योग, ध्यान और खेलकूद जैसी गतिविधियां बच्चों को शारीरिक रूप से फिट रखने के साथ-साथ मानसिक तनाव से मुक्त रखने में भी मदद करता है. बाल संस्कारशाला में बच्चों को विभिन्न विषयों पर ज्ञान दिया जाता है. उन्हें पढ़ने, लिखने और गणित जैसे बुनियादी कौशल सिखाए जाते हैं.

संस्कारशाला में पौधरोपण करते बच्चे
संस्कारशाला में पौधरोपण करते बच्चे (ETV Bharat)

सभ्यता और संस्कृति जानना जरूरी: राहुल कुमार बताते हैं कि उनका उद्देश्य जरूरतमंद बच्चे जो पढ़ने के इच्छुक हैं तथा बेहतर शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं उनको सामाजिक सहयोग से शिक्षित बनाना है. बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ देश की सभ्यता और संस्कृति के प्रति जागरूकता लाना है. कहा कि वर्तमान समय में विद्यार्थियों के स्कूल, कॉलेज एवं ट्यूशन में बेहतर शिक्षा मिल रही है लेकिन संस्कार नहीं मिल पा रहे है.

संस्कारशाला में पौधरोपण करते बच्चे
संस्कारशाला में पौधरोपण करते बच्चे (ETV Bharat)

"बच्चों को बाल संस्कार शाला अच्छी शिक्षा देने की कोशिश कर रहा है. आज-कल के बच्चे राह भटक जा रहे है. नशा की गिरफ्त में आ जा रहे हैं. ऐसे बच्चों को यदि अच्छे माहौल में शिक्षा के साथ संस्कार देने का भी कार्य किया जाए तो उनका भविष्य और भी बेहतर होगा." -राहुल कुमार, शिक्षक

कई तरह की मिलती है जानकारी: स्थान में शिक्षा ग्रहण कर रही छात्रा ने बताया कि 'यहां शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देने का भी कार्य किया जाता है. पर्यावरण को कैसे संरक्षित रखेंगे, अपने परिवार समाज के लोगों से कैसे बातचीत करेंगे, समेत कई सारी चीजों की जानकारी दी जाती है.'

यह भी पढ़ेंः बिहार का ऐसा थाना, जहां 425 बच्चों के नाम दर्ज.. पुलिस पदाधिकारी के सामने घंटों करते हैं यह काम - School In Police Station

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में राहुल कुमार युवा शिक्षक के रूप में बच्चों के जीवन में नई रोशनी फैला रहे हैं. पिछले कई वर्षों से बच्चों को न केवल निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार भी दे रहे हैं. इनके प्रयासों से बच्चों में नैतिक मूल्य, सामाजिक व्यवहार और अच्छे चरित्र का विकास हो रहा है.

संस्कारी योद्धा तैयार कर रहे राहुल: राहुल कुमार विजयीपुर प्रखंड के रामपुर गांव के रहने वाले हैं. समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले आज योद्धा तैयार कर रहे हैं, जो समाज को साफ-सुथरा और आपसी भाईचारा से चल सके. राहुल ने स्नातक तक पढ़ाई की है. पिता श्रीराम कृष्ण प्रसाद विदेश में कार पेंटर का काम करते है. दो भाइयो में सबसे बड़े राहुल आज बच्चों के भविष्य की चिंता कर रहे हैं.

गोपालगंज गायत्री मंदिर परिसर (ETV Bharat)

बच्चों को संस्कार देना बेहद जरूरी: राहुल शहर के रामनाथ शर्मा मार्ग स्थित वार्ड नंबर 20 स्थिति गायत्री मंदिर परिसर में पिछले दो वर्षो से बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के साथ साथ संस्कार दे रहे हैं. यह युवा शिक्षक बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के मूल्यों का महत्व भी सिखाते हैं. वे बच्चों को ईमानदारी, सच्चाई, कर्तव्यनिष्ठा, सहयोग और सम्मान जैसे गुणों के बारे में बताते हैं.

समाज में आ सकता है बदलाव: इनके प्रयास से बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास, सामाजिक व्यवहार में सुधार, अच्छे चरित्र का निर्माण, आत्मविश्वास और नेतृत्व के गुणों का विकास हो रहा है. इन बच्चों ने कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है और जिले का नाम रोशन किया है. राहुल कुमार ने कहा कि एक व्यक्ति के छोटे से प्रयास से भी समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है.

संस्कारशाला में प्रार्थना करते बच्चे
संस्कारशाला में प्रार्थना करते बच्चे (ETV Bharat)

"यहां बाल संस्कारशाला है जो परम पूज्य गुरुदेवजी का एक अभियान था. यहां नि:शुल्क बच्चों को पढ़ाया जाता है. पिछले 2 साल से पढ़ाया जा रहा है. स्कूल में शिक्षा मिल जाती है लेकिन संस्कार यहां मिलता है जो बच्चों के लिए बहुत जरूरी है. यहां बच्चों को यह भी सिखाया जाता है कि देश को कैसे सुरक्षित रखना है." -राहुल कुमार, शिक्षक

पहले मजाक उड़ाते थे लोग: राहुल बताते हैं कि उन्होंने चार साल पूर्व पटना में रहकर पढ़ाई की थी. इसी बीच कंकड़बाग में आयोजित प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ के कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला था. इसके बाद प्रतिज्ञा ली कि मुझे भी समाज में व्याप्त गंदगी और बुराइयों को साफ करने में अपना कुछ समय देना चाहिए. तब से ही उन्होंने ने मन में सोच कर युवाओं और छात्र छात्राओं को समझाना शुरू किया. शुरुआत में कई लोग उनकी बातों को मजाक में उड़ा देते थे लेकिन उन्होंने अपना प्रयास नहीं छोड़ा.

संस्कारशाला में योगभ्यास करते बच्चे
संस्कारशाला में योगभ्यास करते बच्चे (ETV Bharat)

बाल संस्कार शाला में 40 बच्चे: दो वर्ष पूर्व गायत्री मंदिर परिसर में निः शुल्क बाल संस्कार शाला की शुरुआत की गई. राहुल द्वारा छोटे छोटे बच्चों को शिक्षा के साथ साथ संस्कार देना शुरू हुआ. आलम यह है की इस संस्कार शाला में करीब 40 बच्चे पढ़ाई करते हैं. बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करना है और बच्चों को धर्म, संस्कृति और समाज सेवा के बारे में सिखाया जाता है.

क्या है उद्देश्य?: बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया जाता है. योग, ध्यान और खेलकूद जैसी गतिविधियां बच्चों को शारीरिक रूप से फिट रखने के साथ-साथ मानसिक तनाव से मुक्त रखने में भी मदद करता है. बाल संस्कारशाला में बच्चों को विभिन्न विषयों पर ज्ञान दिया जाता है. उन्हें पढ़ने, लिखने और गणित जैसे बुनियादी कौशल सिखाए जाते हैं.

संस्कारशाला में पौधरोपण करते बच्चे
संस्कारशाला में पौधरोपण करते बच्चे (ETV Bharat)

सभ्यता और संस्कृति जानना जरूरी: राहुल कुमार बताते हैं कि उनका उद्देश्य जरूरतमंद बच्चे जो पढ़ने के इच्छुक हैं तथा बेहतर शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं उनको सामाजिक सहयोग से शिक्षित बनाना है. बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ देश की सभ्यता और संस्कृति के प्रति जागरूकता लाना है. कहा कि वर्तमान समय में विद्यार्थियों के स्कूल, कॉलेज एवं ट्यूशन में बेहतर शिक्षा मिल रही है लेकिन संस्कार नहीं मिल पा रहे है.

संस्कारशाला में पौधरोपण करते बच्चे
संस्कारशाला में पौधरोपण करते बच्चे (ETV Bharat)

"बच्चों को बाल संस्कार शाला अच्छी शिक्षा देने की कोशिश कर रहा है. आज-कल के बच्चे राह भटक जा रहे है. नशा की गिरफ्त में आ जा रहे हैं. ऐसे बच्चों को यदि अच्छे माहौल में शिक्षा के साथ संस्कार देने का भी कार्य किया जाए तो उनका भविष्य और भी बेहतर होगा." -राहुल कुमार, शिक्षक

कई तरह की मिलती है जानकारी: स्थान में शिक्षा ग्रहण कर रही छात्रा ने बताया कि 'यहां शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देने का भी कार्य किया जाता है. पर्यावरण को कैसे संरक्षित रखेंगे, अपने परिवार समाज के लोगों से कैसे बातचीत करेंगे, समेत कई सारी चीजों की जानकारी दी जाती है.'

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