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पंजाब से पांच दोस्त हर साल पितृपक्ष में आते हैं गयाजी, स्पेशल लंगर लगाने की कहानी है दिलचस्प - punjabi langar in pitru paksha

Pitru Paksha 2024: आज हम आपको पितृपक्ष से जुड़ी एक रोचक कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं. यहां पंजाबी लंगर में वीआईपी होटलों जैसी व्यवस्था देखने को मिल रही है. दरअसल भटिन्डा के पांच दोस्तों की ये अनोखी कहानी है. कभी परिवार के साथ ये सभी पिंडदान करने गया जी आए थे. फिर इनके साथ एक हादसा हुआ, जिसने इन लोगों की दुनिया ही बदल दी.

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पंजाब के पांच दोस्त गया में लगाते हैं लंगर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 21, 2024, 7:41 PM IST

गया: विश्व विख्यात पितृ पक्ष मेला चल रहा है. पितृपक्ष मेले में ऐसी श्रद्धा भी देखने को मिल रही है, जो अनोखी है. ऐसी ही अनोखी श्रद्धा की कहानी पंजाब के पांच दोस्तों की है. पंजाब के भटिंडा के पांच दोस्त अपने परिवार के साथ गया जी में पिंडदान करने आए थे. उनके रुपए खो गए, तो भूखे रहना पड़ा था.

5 पंजाबी दोस्त 2013 में आए थे गयाजी: बता दें कि वर्ष 2013 में पंजाब के भटिंडा के रहने वाले स्वामी विजय गुप्ता और उनके अन्य चार दोस्त पूर्वजों का पिंडदान करने गया जी आए थे, लेकिन यहां उनको काफी परेशानी हुई. खाने-पीने की समस्या से जूझना पड़ा. ऐसे में इन पांचों दोस्तों ने पंजाब वापस लौटकर निर्णय लिया, कि किसी के पैसे खो जाए तो उन्हें भूखा न रहना पड़े. इसे लेकर वे हर साल पितृ पक्ष मेले में लंगर चलाएंगे. उनका यह निर्णय आज पिछले 10 सालों से मिसाल कायम कर रहा है.

लंगर चलने वाले श्रद्धालु स्वामी विजय कुमार (ETV Bharat)

ऐसे मिली लंगर लगाने की प्रेरणा: पंजाब सरीखे भोजन यहां काफी महंगे थे. ऐसे में इन पांच दोस्तों और उनके परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जब परिवार और पांचों दोस्त पिंडदान कर वापस गया से पंजाब के भटिंडा को लौटे, तो पांचो दोस्त वहां इकट्ठा हुए और फिर पांचो दोस्तों ने मिलकर एक बड़ा निर्णय लिया. उन्होंने आपस में निर्णय लिया कि जिस तरह से पैसे के अभाव के कारण हमें परेशानियां हुई, उस तरह से और किसी को परेशानी न झेलना पड़े. इसे लेकर वे लोग गयाजी धाम में लंगर चलाएंगे.

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5 पंजाबी दोस्त 2013 से लगा रहे गया जी में लंगर (ETV Bharat)

2014 से चला रहे विशाल लंगर: पितृपक्ष पक्ष मेले में देश-विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए भी उन्होंने इस तरह पुण्य वाले काम करने की ठान ली. इसके बाद अगले साल 2014 से वे पंजाब से 20 दिनों के लिए बिहार आ जाते हैं. बिहार आकर गया में भी लंगर चलाते हैं. अभी उनका लंगर गया के पंजाबी धर्मशाला में संचालित है. इस लंगर में प्रतिदिन हजारों लोग निशुल्क तीनों पहर भोजन करते हैं. नाश्ता भी मुहैया होता है.

ढाई लाख लोग उठाते हैं लंगर का निशुल्क लाभ: फिलहाल में इस लंगर में ढाई लाख के करीब लोग इसका निशुल्क लाभ उठाते हैं. इन्हें सुबह से चाय के साथ नाश्ता मिलता है. फिर भोजन फिर शाम में नाश्ता, फिर रात में 11 बजे की रात्रि तक भोजन मिलता रहता है. लंगर शुरू हुआ कि लंबी कतारें लग जाती है.

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ढाई लाख लोगों का भरता है पेट (ETV Bharat)

आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बड़ी राहत: निशुल्क लंगर चलने से जहां आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बड़ी राहत होती है. वहीं जो पिंड दानी गया जी धाम को आते हैं, वह भी इस लंगर का लाभ उठाते हैं और एक बेहतरीन मैसेज गया जी से लेकर जाते हैं. क्योंकि यहां खाना तीनों पहर मिलता है. नाश्ता भी मिलते हैं. इस तरह पांच दोस्तों का लंगर पिछले 10 सालों से गयाजी धाम में लगाया जा रहा है. इसमें किसी से रुपए नहीं लिए जाते हैं. किसी की मर्जी हुई तो दे जाते हैं. आपस में चंदा कर लंगर चला रहे हैं. कुछ सामाजिक लोगों से भी मदद मिल जाती है.

वीआईपी होटल जैसा मिलता है खाना: लंगर की सबसे बड़ी खासियत है, कि यहां कोई काम चलाउ भोजन नहीं मिलता है. इस लंगर में वीआईपी होटल की तरह भोजन मिलता है. भोजन में चावल रोटी खीर टिक्की समेत अन्य कई ऐसे खाने की सामग्री होती है, जो एक जगह पर मिल जाती है. यह भोजन काफी स्वादिष्ट होता है और ऐसा भोजन वीआईपी होटल में ही मुहैया हो पता है.

ढाई लाख भूखों का भरता है पेट: इस लंगर को चलाने वाले स्वामी विजय गुप्ता बताते हैं, कि अपने ऊपर आई दिक्कत तो सभी के नजरिए से उन्होंने देखा और यही वजह है आज पांच दोस्त मिलकर इस तरह का विशाल लंगर चला रहे हैं. इसमें अभी की बात करें तो ढाई लाख लोग इसका निशुल्क लाभ पितृ पक्ष मेले की अवधि में उठाते हैं. इस लंगर में जो पितृपक्ष में आए पिंडदानी होते हैं, वह भी आते हैं. स्थानीय या बाहर के पुजारी भी आते हैं. स्थानीय लोग भी आते हैं. किसी को रोक-टोक नहीं है.

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स्वामी विजय कुमार दस सालों से लगा रहे लंगर (ETV Bharat)

"जितना भोजन करना है, वह कर सकते हैं, लेकिन भोजन बर्बाद नहीं करने की बात हम लोगों से जरूर कहते हैं. वर्ष 2013 में पांच दोस्त और उसके परिवार के लोग गया जी आए थे. 17 दिन का श्राद्ध करना था. इस बीच रुपए गुम हो गए थे. कई दिक्कतें आईं. भूखे भी रहने पड़ा. ऐसे में हम लोग जब अपने घर पंजाब के भटिंडा लौटे. सभी पांचों दोस्तो ने मिलकर निर्णय लिया और फिर 2014 से गया में लंगर चलाना शुरू कर दिया."- स्वामी विजय कुमार, लंगर चलने वाले श्रद्धालु

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फाइव स्टार होटल जैसा मिलता है खाना (ETV Bharat)

लंगर का मेन्यू भी जान लें: स्वामी विजय कुमार ने कहा कि लंगर चलाने के लिए चंदा करते हैं. प्रतिदिन हजारों लोग लंगर का लाभ उठाते हैं. यहां सुबह से ही नाश्ता चाय मिलना शुरू हो जाता है. सुबह 6:00 बजे से लंंगर चलता है. वह रात्रि के 11 बजे तक चलता रहता है. इस तरह पिछले 10 सालों से हम पांच दोस्तों के द्वारा गया जी धाम में लंगर चलाया जा रहा है. यह सेवा भाव मैं जीवन भर करता रहूंगा. हमारे साथ चार अन्य दोस्त हैं, उसमें लूसी, नीलू, सुशील और गुलशन शामिल हैं. लंगर में मलाई कोफ्ता, चावल, रोटी, खीर, चाय समेत अन्य सामग्री होती है, जो खाने में काफी स्वादिष्ट होती है. जो भी यहां लंगर में आते हैं, वह भोजन को जरूर पसंद करते हैं.

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5 पंजाबी दोस्त 2013 में आए थे गयाजी: बता दें कि वर्ष 2013 में पंजाब के भटिंडा के रहने वाले स्वामी विजय गुप्ता और उनके अन्य चार दोस्त पूर्वजों का पिंडदान करने गया जी आए थे, लेकिन यहां उनको काफी परेशानी हुई. खाने-पीने की समस्या से जूझना पड़ा. ऐसे में इन पांचों दोस्तों ने पंजाब वापस लौटकर निर्णय लिया, कि किसी के पैसे खो जाए तो उन्हें भूखा न रहना पड़े. इसे लेकर वे हर साल पितृ पक्ष मेले में लंगर चलाएंगे. उनका यह निर्णय आज पिछले 10 सालों से मिसाल कायम कर रहा है.

लंगर चलने वाले श्रद्धालु स्वामी विजय कुमार (ETV Bharat)

ऐसे मिली लंगर लगाने की प्रेरणा: पंजाब सरीखे भोजन यहां काफी महंगे थे. ऐसे में इन पांच दोस्तों और उनके परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जब परिवार और पांचों दोस्त पिंडदान कर वापस गया से पंजाब के भटिंडा को लौटे, तो पांचो दोस्त वहां इकट्ठा हुए और फिर पांचो दोस्तों ने मिलकर एक बड़ा निर्णय लिया. उन्होंने आपस में निर्णय लिया कि जिस तरह से पैसे के अभाव के कारण हमें परेशानियां हुई, उस तरह से और किसी को परेशानी न झेलना पड़े. इसे लेकर वे लोग गयाजी धाम में लंगर चलाएंगे.

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5 पंजाबी दोस्त 2013 से लगा रहे गया जी में लंगर (ETV Bharat)

2014 से चला रहे विशाल लंगर: पितृपक्ष पक्ष मेले में देश-विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए भी उन्होंने इस तरह पुण्य वाले काम करने की ठान ली. इसके बाद अगले साल 2014 से वे पंजाब से 20 दिनों के लिए बिहार आ जाते हैं. बिहार आकर गया में भी लंगर चलाते हैं. अभी उनका लंगर गया के पंजाबी धर्मशाला में संचालित है. इस लंगर में प्रतिदिन हजारों लोग निशुल्क तीनों पहर भोजन करते हैं. नाश्ता भी मुहैया होता है.

ढाई लाख लोग उठाते हैं लंगर का निशुल्क लाभ: फिलहाल में इस लंगर में ढाई लाख के करीब लोग इसका निशुल्क लाभ उठाते हैं. इन्हें सुबह से चाय के साथ नाश्ता मिलता है. फिर भोजन फिर शाम में नाश्ता, फिर रात में 11 बजे की रात्रि तक भोजन मिलता रहता है. लंगर शुरू हुआ कि लंबी कतारें लग जाती है.

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ढाई लाख लोगों का भरता है पेट (ETV Bharat)

आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बड़ी राहत: निशुल्क लंगर चलने से जहां आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बड़ी राहत होती है. वहीं जो पिंड दानी गया जी धाम को आते हैं, वह भी इस लंगर का लाभ उठाते हैं और एक बेहतरीन मैसेज गया जी से लेकर जाते हैं. क्योंकि यहां खाना तीनों पहर मिलता है. नाश्ता भी मिलते हैं. इस तरह पांच दोस्तों का लंगर पिछले 10 सालों से गयाजी धाम में लगाया जा रहा है. इसमें किसी से रुपए नहीं लिए जाते हैं. किसी की मर्जी हुई तो दे जाते हैं. आपस में चंदा कर लंगर चला रहे हैं. कुछ सामाजिक लोगों से भी मदद मिल जाती है.

वीआईपी होटल जैसा मिलता है खाना: लंगर की सबसे बड़ी खासियत है, कि यहां कोई काम चलाउ भोजन नहीं मिलता है. इस लंगर में वीआईपी होटल की तरह भोजन मिलता है. भोजन में चावल रोटी खीर टिक्की समेत अन्य कई ऐसे खाने की सामग्री होती है, जो एक जगह पर मिल जाती है. यह भोजन काफी स्वादिष्ट होता है और ऐसा भोजन वीआईपी होटल में ही मुहैया हो पता है.

ढाई लाख भूखों का भरता है पेट: इस लंगर को चलाने वाले स्वामी विजय गुप्ता बताते हैं, कि अपने ऊपर आई दिक्कत तो सभी के नजरिए से उन्होंने देखा और यही वजह है आज पांच दोस्त मिलकर इस तरह का विशाल लंगर चला रहे हैं. इसमें अभी की बात करें तो ढाई लाख लोग इसका निशुल्क लाभ पितृ पक्ष मेले की अवधि में उठाते हैं. इस लंगर में जो पितृपक्ष में आए पिंडदानी होते हैं, वह भी आते हैं. स्थानीय या बाहर के पुजारी भी आते हैं. स्थानीय लोग भी आते हैं. किसी को रोक-टोक नहीं है.

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स्वामी विजय कुमार दस सालों से लगा रहे लंगर (ETV Bharat)

"जितना भोजन करना है, वह कर सकते हैं, लेकिन भोजन बर्बाद नहीं करने की बात हम लोगों से जरूर कहते हैं. वर्ष 2013 में पांच दोस्त और उसके परिवार के लोग गया जी आए थे. 17 दिन का श्राद्ध करना था. इस बीच रुपए गुम हो गए थे. कई दिक्कतें आईं. भूखे भी रहने पड़ा. ऐसे में हम लोग जब अपने घर पंजाब के भटिंडा लौटे. सभी पांचों दोस्तो ने मिलकर निर्णय लिया और फिर 2014 से गया में लंगर चलाना शुरू कर दिया."- स्वामी विजय कुमार, लंगर चलने वाले श्रद्धालु

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फाइव स्टार होटल जैसा मिलता है खाना (ETV Bharat)

लंगर का मेन्यू भी जान लें: स्वामी विजय कुमार ने कहा कि लंगर चलाने के लिए चंदा करते हैं. प्रतिदिन हजारों लोग लंगर का लाभ उठाते हैं. यहां सुबह से ही नाश्ता चाय मिलना शुरू हो जाता है. सुबह 6:00 बजे से लंंगर चलता है. वह रात्रि के 11 बजे तक चलता रहता है. इस तरह पिछले 10 सालों से हम पांच दोस्तों के द्वारा गया जी धाम में लंगर चलाया जा रहा है. यह सेवा भाव मैं जीवन भर करता रहूंगा. हमारे साथ चार अन्य दोस्त हैं, उसमें लूसी, नीलू, सुशील और गुलशन शामिल हैं. लंगर में मलाई कोफ्ता, चावल, रोटी, खीर, चाय समेत अन्य सामग्री होती है, जो खाने में काफी स्वादिष्ट होती है. जो भी यहां लंगर में आते हैं, वह भोजन को जरूर पसंद करते हैं.

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