जयपुर. भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल के टोबैको सेसेशन क्लिनिक (टीसीसी) में किए गए शोध में तंबाकू की लत छुड़ाने का खुलासा हुआ है. शोध में राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात, नेपाल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल थे. पांच साल तक चले इस शोध में सामने आया कि तीन माह की साइको थैरेपी और एक साल के फॉलोअप के जरिए तंबाकू की लत को आसानी से छोड़ा जा सकता है. इस थेरेपी के सहयोग से लत को छोड़ने के लिए दवा पर निर्भर रहने की जरूरत भी नहीं रहती है. शोध में सामने आया है कि तंबाकू की लत को छोड़ने के संकल्प के साथ ही साइको थेरेपी भी जुड़ जाए, तो इस जानलेवा आदत से सौ फीसदी छुटकारा पाया जा सकता है.
दरअसल, BMCHRC के टोबैको सेसेशन क्लिनिक की शोध में फरवरी 2019 से जनवरी 2024 के बीच 878 तंबाकू का सेवन करने वाले लोग शामिल हुए. इसमें कैंसर रोगी और उनके परिजन भी शामिल थे. शोध में राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात, नेपाल और पश्चिम बंगाल के लोग शामिल हुए थे. इन लोगों में तंबाकू का सेवन करने वालों में 50 फीसदी लोग 35 से 55 साल के थे. इस दौरान सामने आया कि तंबाकू के उपयोग में सबसे अधिक सेवन स्मोकिंग के तौर पर (सिगरेट, बीड़ी, हुक्का आदि) पर किया जाता है. तंबाकू के उपयोग से 57 फीसदी लोगों को मुंह और गले का कैंसर, 16 फीसदी लोगों में छाती (थॉरैक्स) का कैंसर और साथ ही शरीर के अलग-अलग हिस्सों में कैंसर हुआ.
इन लक्षणों पर थैरेपी जरूरी : साइको ऑन्कोलॉजिस्ट प्रियसी सुरोलिया ने बताया कि रिसर्च के दौरान देखा गया तंबाकू सेवन की आदत जब बन जाती है, तो उसका छोड़ना उतना ही ज्यादा मुश्किल होता है. ऐसे लोगों में तंबाकू सेवन ना करने पर शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं, जिनकों दूर करने की दिशा में खास ध्यान देना जरूरी होता है. इन लक्षणों में नींद ना आना, गुस्सा आना, थकान, सिर दर्द, पेट में भारी पन, कब्ज, चिड़चिड़ापन जैसे कई बदलाव शामिल हैं. इन बदलाव के आने पर व्यक्ति को साइको थेरेपी से राहत दिलाई जाती है.
तंबाकू से जुड़े हुए हैं कई भ्रम : अस्पताल की शोध के दौरान तंबाकू उपयोग के कारणों पर विस्तार से कार्य किया गया, इसमें सबसे ज्यादा कारण तनाव कम होना और पेट का साफ होना बताया गया. साइको ऑन्कोलॉजिस्ट प्रियसी सुरोलिया ने बताया कि तंबाकू सेवन से जुडे कई तरह के भ्रम लोगों में हैं. इसमें सबसे ज़्यादा 'तंबाकू के सेवन से ही सुबह पेट साफ होता है' की बात शामिल है. कुछ लोगों ने बताया कि अगर कोई सालों से तंबाकू खा रहा हो, तो छोड़ने पर उसे कैंसर हो जाता है. 'हुक्का पीने से कैंसर नहीं होता, इसमें तो पानी फिल्टर होकर आता है', जैसे भ्रम भी लोगों के जेहन पर हावी रहें.
कैंसर होने का डर बना प्रमुख कारण : आमतौर पर तंबाकू को छोड़ने के दौरान जब साइको थैरेपी दी जाती है, तो उसके इस लत से छूटकारा पाने वालों की संख्या 35 से 58 फीसदी तक होती है, लेकिन BMCHRC के टोबैको सेसेशन क्लिनिक में हुए इस शोध में यह संख्या 98.97 फीसदी रही. इसका प्रमुख कारण कैंसर होने या जिनमें यह रोग है, उन्हें इस बीमारी के दोबारा होने का डर भी था. पांच साल पहले शोध में रजिस्टर्ड रोगी आज भी तंबाकू से पूरी तरह दूरी बनाए हुए हैं.
27 फीसदी कैंसर का कारण तंबाकू : कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तेज प्रकाश सोनी ने बताया कि तंबाकू का सेवन करने से लोगों में कई तरह के कैंसर होते हैं. इनमें सबसे प्रमुख कैंसर मुंह और गले का है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार 27 फीसदी कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू हैं, वहीं राजस्थान में कैंसर हॉस्पिटल में पहुंचने वाले 50 फीसदी कैंसर रोगियों में तंबाकू सेवन की आदत देखी जाती है. इतना हानिकारक होने के बावजूद भी तंबाकू के उपयोग में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है. यही कारण है कि देश में हर साल 1 मिलियन वयस्कों की मृत्यु तंबाकू के उपयोग से हो रही है.