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'केके पाठक जनरल डायर तो भगत सिंह बनकर लड़ेंगे शिक्षक', बेगूसराय में सक्षमता परीक्षा के विरोध में मशाल जुलूस - सक्षमता परीक्षा

Competency Test: बिहार के बेगूसराय में हजारों शिक्षक सक्षमता परीक्षा के विरोध में मशाल जुलूस निकाले. इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि केके पाठक जनरल डायर हैं तो शिक्षक भगत सिंह बनकर लड़ेंगे. पढ़ें पूरी खबर.

बेगूसराय में सक्षमता परीक्षा के विरोध में मशाल जुलूस
बेगूसराय में सक्षमता परीक्षा के विरोध में मशाल जुलूस
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 10, 2024, 9:46 PM IST

बेगूसराय में सक्षमता परीक्षा के विरोध में मशाल जुलूस

बेगूसरायः बिहार के बेगूसराय में शिक्षकों ने मशाल जुलूस निकाल कर सक्षमता परीक्षा का विरोध किया. शनिवार की शाम शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और सरकार के विरोध में नियोजित शिक्षकों ने विशाल मशाल जुलूस निकाला. शहर के जेके स्कूल से विभिन्न चौक-चौराहों से गुजरता हुआ शिक्षा विभाग कार्यालय के पास पहुंचा. हजारों की संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएं शामिल हुए.

'केके पाठक जनरल डायर': अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शिक्षकों ने एकता का परिचय दिया. शिक्षक एकता मंच के बैनर तले आयोजित विरोध प्रदर्शन में शिक्षकों ने केके पाठक को जनरल डायर बताया और कहा कि वे भगत सिंह बनकर उनका विरोध करेंगे. शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन के माध्यम से स्पष्ट शब्दों में कहां कि सरकार तीन बार या पांच बार परीक्षा ले उससे मतलब नहीं है. वे सक्षमता परीक्षा नहीं देंगे.

"केके पाठक यदि जनरल डायर की भूमिका में रहेंगे तो शिक्षक भी भगत सिंह बनकर उनके तुगलकी फरमान का सामना करेंगे. शिक्षकों की मांग है कि उन्हें बिना परीक्षा लिए राज्यकर्मी घोषित किया जाए. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो हमलोग आगे भी प्रदर्शन करेंगे." -राजू सिंह, शिक्षक नेता

60 साल के लिए हुआ नियोजनः नियोजित शिक्षकों का आरोप है कि जिस वक्त से उनकी नियुक्ति की गई. उसके बाद उन्होंने पूरी लगन से छात्रों के जीवन को संवारने का काम किया. यही वजह है कि आज मैट्रिक से लेकर इंटर तक में छात्र अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन राज्य कर्मी का दर्जा देने के बदले सरकार उन्हें प्रताड़ित कर रही है. उम्र के इस पड़ाव पर जब वो लोग कुछ वर्षों में रिटायर होंगे तो उनको परीक्षा देने को कहा जा रहा है. सरकार ने 60 साल के लिए बहाल किया था.

'नहीं देंगे परीक्षा': शिक्षकों का कहना है कि जब उनकी नियुक्ति की गई थी उसी वक्त उन्होंने साक्षमता परीक्षा दी थी. अब परीक्षा का कोई औचित्य नहीं बनता. जबकि नियोजित शिक्षकों के वेतनमान में भी कोई वृद्धि नहीं की गई है. शिक्षक पूरी ताकत से सरकार के इस दमनकारी रवैया का विरोध कर रहे हैं. शिक्षिका ने साफ साफ शब्दों में कहा कि सरकार तीन बार या 5 बार परीक्षा ले लेकिन वे लोग परीक्षा नहीं देंगे.

"सक्षमता परीक्षा के विरोध मे मशाल जुलूस निकाला है. हम लोगों को साक्षमता परीक्षा पास करने को कहा जा रहा है, लेकिन हम लोग यह परीक्षा किसी भी कीमत पर नहीं देंगे. हम लोग की बहाली 60 साल के लिए हुई है तो हम लोग परीक्षा क्यों दें." -अर्चना कुमारी, शिक्षिका

यह भी पढ़ेंः मोतिहारी में केके पाठक के फरमान को नियोजित शिक्षकों ने दिखाया ठेंगा, मशाल जुलूस निकालकर भरी हुंकार

बेगूसराय में सक्षमता परीक्षा के विरोध में मशाल जुलूस

बेगूसरायः बिहार के बेगूसराय में शिक्षकों ने मशाल जुलूस निकाल कर सक्षमता परीक्षा का विरोध किया. शनिवार की शाम शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और सरकार के विरोध में नियोजित शिक्षकों ने विशाल मशाल जुलूस निकाला. शहर के जेके स्कूल से विभिन्न चौक-चौराहों से गुजरता हुआ शिक्षा विभाग कार्यालय के पास पहुंचा. हजारों की संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएं शामिल हुए.

'केके पाठक जनरल डायर': अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शिक्षकों ने एकता का परिचय दिया. शिक्षक एकता मंच के बैनर तले आयोजित विरोध प्रदर्शन में शिक्षकों ने केके पाठक को जनरल डायर बताया और कहा कि वे भगत सिंह बनकर उनका विरोध करेंगे. शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन के माध्यम से स्पष्ट शब्दों में कहां कि सरकार तीन बार या पांच बार परीक्षा ले उससे मतलब नहीं है. वे सक्षमता परीक्षा नहीं देंगे.

"केके पाठक यदि जनरल डायर की भूमिका में रहेंगे तो शिक्षक भी भगत सिंह बनकर उनके तुगलकी फरमान का सामना करेंगे. शिक्षकों की मांग है कि उन्हें बिना परीक्षा लिए राज्यकर्मी घोषित किया जाए. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो हमलोग आगे भी प्रदर्शन करेंगे." -राजू सिंह, शिक्षक नेता

60 साल के लिए हुआ नियोजनः नियोजित शिक्षकों का आरोप है कि जिस वक्त से उनकी नियुक्ति की गई. उसके बाद उन्होंने पूरी लगन से छात्रों के जीवन को संवारने का काम किया. यही वजह है कि आज मैट्रिक से लेकर इंटर तक में छात्र अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन राज्य कर्मी का दर्जा देने के बदले सरकार उन्हें प्रताड़ित कर रही है. उम्र के इस पड़ाव पर जब वो लोग कुछ वर्षों में रिटायर होंगे तो उनको परीक्षा देने को कहा जा रहा है. सरकार ने 60 साल के लिए बहाल किया था.

'नहीं देंगे परीक्षा': शिक्षकों का कहना है कि जब उनकी नियुक्ति की गई थी उसी वक्त उन्होंने साक्षमता परीक्षा दी थी. अब परीक्षा का कोई औचित्य नहीं बनता. जबकि नियोजित शिक्षकों के वेतनमान में भी कोई वृद्धि नहीं की गई है. शिक्षक पूरी ताकत से सरकार के इस दमनकारी रवैया का विरोध कर रहे हैं. शिक्षिका ने साफ साफ शब्दों में कहा कि सरकार तीन बार या 5 बार परीक्षा ले लेकिन वे लोग परीक्षा नहीं देंगे.

"सक्षमता परीक्षा के विरोध मे मशाल जुलूस निकाला है. हम लोगों को साक्षमता परीक्षा पास करने को कहा जा रहा है, लेकिन हम लोग यह परीक्षा किसी भी कीमत पर नहीं देंगे. हम लोग की बहाली 60 साल के लिए हुई है तो हम लोग परीक्षा क्यों दें." -अर्चना कुमारी, शिक्षिका

यह भी पढ़ेंः मोतिहारी में केके पाठक के फरमान को नियोजित शिक्षकों ने दिखाया ठेंगा, मशाल जुलूस निकालकर भरी हुंकार

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