मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में 7 फरवरी को वाहन चेकिंग के दौरान अधिवक्ता पंकज कुमार की आंख पर डंडा मारने वाले सिपाही रोहित कुमार के खिलाफ अधिवक्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया है. सभी ने लाल रिबन लगाकर कार्य का वहिष्कार किया. यह आक्रोश मार्च कोर्ट से आईजी कार्यालय के पास तक निकाला गया.
"सिपाही को केवल सस्पेंड करते हुए विभागीय कार्रवाई नहीं करना है. उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होना चाहिए. साथ ही उस रात को सिपाही के साथ जो पुलिसकर्मी मौजूद थे, उनपर भी कार्रवाई होनी चाहिए." - रामकृष्ण ठाकुर, अध्यक्ष, जिला बार एसोसिएशन
सिटी एसपी और टाउन एएसपी ने की जांच: बताते चले की बीते शनिवार को सिपाही को एसएसपी ने निलंबित कर दिया था. मामले की जांच सिटी एसपी अवधेश सरोज और एएसपी टाउन ने की थी. इसमें पाया गया था कि पावर हाउस चौक के समीप पुलिस कर्मी द्वारा एक कार को टॉर्च जलाकर एवं हाथ से इशारा देकर रोकने का प्रयास किया गया. लेकिन, कार चालक ने कार नहीं रोकी. ऐसे में दूसरे पुलिसकर्मी ने हवा में लाठी लहरा दी. इस दौरान दुर्भाग्यवश लाठी छिटककर कार सवार अधिवक्ता को लग गई.
दोषी पाया गया सिपाही: अधिवक्ता ने थानाध्यक्ष पर आरोप लगाया था कि उनके आदेश पर ही मौजूद सिपाही ने लाठी उछाली थी. लेकिन, वीडियो फुटेज की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि वहां थानाध्यक्ष नहीं थे. उनके ऊपर लगाए आरोप तथ्यहीन हैं. प्रथम दृष्टया सिपाही रोहित कुमार दोषी पाया गया. उसे तत्काल निलंबित कर पुलिस केंद्र वापस किया गया है.
ओपी में दिया गया था आवेदन: घटना को लेकर पीड़ित ने एसकेएमसीएच ओपी में आवेदन दिया था. उसने बताया था कि वह बांकीपुर क्लब से वापस अपने घर बालूघाट लौट रहे थे. उनके साथ बड़े भाई, उनकी बहू और पोती भी थी. पावर हाउस चौक पर पुलिस वाहन जांच कर रही थी.
गाली देते हुए डंडा से किया हमला: इसी दौरान पुलिस ने हाथ दिया. गाड़ी से उतरने के बाद पुलिस ने पूछा कि इतनी रात कहां से आ रहे हो. जब तक पीड़ित कुछ बोलते कि थानेदार ने गाली देते हुए डंडा से मार कर आंख फोड़ दी. बता दें कि घटना के बाद पीड़ित ने आवेदन में काजी मोहम्मदपुर थानेदार मनोज साह और एक सिपाही पर प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने के लिए कहा था.
मानवाधिकार आयोग को भेजी शिकायत: अधिवक्ता की आंख फोड़ने का मामला अब मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है. पीड़ित ने मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा के माध्यम से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली एवं बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग, पटना में याचिका दायर की है. अधिवक्ता एसके झा ने कहा कि यह पूरा प्रकरण मानवाधिकार उल्लंघन के अति गंभीर श्रेणी का है.
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