भरतपुर. महिला सशक्तिकरण की दंभ भरने वाली राज्य और केंद्र सरकार के दावों को तस्वीर भरतपुर में धुंधली नजर आ रही है. भरतपुर में एक महिला अपने, अपने पति और बच्चों के अधिकारों के लिए दर-दर की ठोकर खा रही है. महिला के हाथों की लकीरें धुंधली क्या पड़ीं मानो किस्मत और सरकार दोनों ने इसके परिवार से मुंह मोड़ लिया. महिला बीते 15 साल से आधार कार्ड बनवाने के लिए चक्कर काट रही है, लेकिन फिंगर प्रिंट सही नहीं होने की वजह से आधार नहीं बन पा रहा. यही वजह है कि ना तो परिवार को किसी सरकारी योजना का लाभ मिल पा रहा है, ना दिव्यांग पति को पेंशन मिल पा रहा है और ना ही होनहार बेटी को गार्गी पुरस्कार अब तक मिल पाया है. हालात ये हैं कि महिला और उसका परिवार अब आधार के लिए जिम्मेदारों के चक्कर काट काट के थक गए हैं.
उंगलियों की लकीरें धुंधली, मदद का इंतजार: असल में शहर के नमक कटरा निवासी प्रियंका (38) और उनके दिव्यांग पति प्रदीप एक छोटी सी किराना स्टोर चलाकर परिवार पालते हैं. प्रियंका बीते करीब 15 साल से अपना आधार कार्ड बनवाने का प्रयास कर रही है लेकिन उंगलियों की लकीर (फिंगर प्रिंट) धुंधली होने की वजह से आधार कार्ड नहीं बन पा रहा है. प्रियंका जब भी आधार बनवाने जाती है उसकी सभी उंगलियों के प्रिंट स्कैन नहीं हो पाते हैं और आधार अटक जाता है. प्रियंका ने बताया अब तक कई बार आवेदन किया लेकिन हर बार यही समस्या आ जाती है. इस संबंध में वो जिला कलेक्टर व संबंधित विभाग में भी कई बार मिल चुकी है लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.
बेटी का पुरस्कार व सुविधा अटकी : प्रियंका ने बताया कि आधार कार्ड नहीं बनने की वजह से राशन कार्ड, बीपीएल कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड और जनाधार कार्ड नहीं बन पा रहा है. इतना ही नहीं आधार की वजह से मेधावी बेटी को गार्गी पुरस्कार से भी वंचित होना पड़ा है, जबकि बेटी के 10वीं कक्षा में 80% अंक अर्जित किए हैं.
नहीं मिल रही दिव्यांग पेंशन : प्रियंका के पति प्रदीप ने बताया कि करीब दो साल पहले तक उन्हें हर महीने 500 रुपए दिव्यांग पेंशन मिलता था, लेकिन जब से दिव्यांग पेंशन के लिए जनाधार अनिवार्य किया है तब से पेंशन भी अटक गई. क्योंकि पत्नी प्रियंका का आधार कार्ड नहीं बनने की वजह से जनाधार कार्ड भी अटका हुआ है.
जिम्मेदार कटवा रहे चक्कर : प्रदीप ने बताया कि आधार कार्ड के लिए जिला कलेक्टर के पास भी गए लेकिन उन्होंने नगर निगम व संबंधित विभाग में संपर्क करने को बोल दिया गया. कई बार तो हमें आधार कार्ड बनवाने के लिए दिल्ली जाने तक को बोल दिया गया, जबकि पारिवारिक स्थिति ऐसी है कि दिल्ली नहीं जा सकते. इस संबंध में जब एडीएम सिटी श्वेता यादव से बात की तो उन्होंने बताया कि नमक कटरा निवासी महिला प्रियंका मेरे पास पहली बार आई थी, जिसका आधार कार्ड फिंगर प्रिंट की वजह से नहीं बन पाया है. पीड़िता की समस्या के समाधान के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के अधिकारी के पास भेज दिया है. महिला की समस्या का जल्द समाधान किया जाएगा.
सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के उपनिदेशक पुष्पेंद्र कुंतल ने बताया कि प्रियंका नामक महिला मेरे पास आई थी, उसका आधार कार्ड नहीं बना था. हमने आधार कार्ड बनाने के लिए पोस्ट ऑफिस में आधार कार्ड बनाने वाले संचालक को आधार कार्ड बनाने के लिए आदेशित कर दिया है. हमारे ऑफिस में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के नए आधार कार्ड बनाने की सरकार द्वारा अनुमति नहीं है. संचालक को प्रियंका की पुरानी रसीद को देखकर उसका स्टेटस पता लगाने के आदेश दे दिए गए हैं. अगर रिजेक्ट हो गया है तो उनके नामांकन की फिर से प्रक्रिया कराई जाएगी. अगर फिर से फिंगर प्रिंट नहीं आते हैं तो इसके लिए प्रियंका को चिकित्सक से लेटर हेड पर कारण लिखवाकर लाना होगा. कम उम्र का यह पहला मामला सामने आया है. मेरे संज्ञान में पहली बार मामला सामने आया है. इस तरह के मामले बुजुर्गों के आते हैं, जिनमें सिफारिस लेटर द्वारा आधार नामांकन के लिए जयपुर भेज दिया जाता है और उनका आधार कार्ड बन जाता है.