देहरादून: कोरोनाकाल के दौरान पैरोल पर छूटे कैदियों ने जेल प्रशासन के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है. दरअसल उत्तराखंड में कोविड-19 के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार बनाई गई कमेटी ने कई कैदियों को पैरोल देने का निर्णय लिया था. मजे की बात यह है कि कोरोना तो खत्म हो गया लेकिन पैरोल पर छोड़े गए कैदी वापस नहीं आए. अब जेल प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझते हुए फॉरेन सभी जिलों के एसएसपी को इसकी जानकारी भेज दी है.इसके अलावा जेल अधीक्षकों को भी इस मामले में अग्रिम कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
उत्तराखंड में ऐसे 301 कैदी थे, जिन्हें कोरोनाकाल के दौरान पैरोल पर छोड़ा गया था. चिंता की बात यह है कि इनमें से 81 कैदी अब तक वापस ही नहीं लौटे हैं. हालांकि ये ऐसे कैदी थे जो 5 साल से कम वाली सजा के आरोप में जेल में थे. जेल के डीआईजी दाधीराम मौर्य ने इस मामले पर ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि हाईकोर्ट द्वारा कोविड 19 के दौरान एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने ऐसे कैदियों को पैरोल दी है जो चोरी और छोटे अपराध जिसमें 5 साल से कम की सजा का प्रावधान है.
चिंता सिर्फ इस बात की नहीं है कि कोरोनाकाल के दौरान छोड़े गए कैदियों की वापसी नहीं हो रही है, बल्कि परेशानी तो इस बात से भी बढ़ रही है कि जेल से जिन कैदियों को अंतरिम जमानत पर कोर्ट के निर्देशानुसार छोड़ा गया, ऐसे कई कैदियों ने भी सरेंडर नहीं किया. आंकड़ों के रूप में देखें तो अंतरिम जमानत वाले कुल 1102 कैदियों में से 512 कैदी अब तक बाहर ही हैं और उन्होंने जेल में वापसी नहीं की.
बड़ी बात यह है कि अब इतनी बड़ी संख्या में जो कैदी बाहर हैं, और जिनका पैरोल का समय भी खत्म हो चुका है. उनकी जानकारी ढूंढे से भी नहीं मिल रही है. उधर ऐसे कैदियों के पते पर नियमानुसार सूचना भी भेजी जा रही है लेकिन ये कैदी सरेंडर नहीं कर रहे हैं. आईजी जेल विमला गुंज्याल से भी ईटीवी भारत में बात की तो उन्होंने जेल से छोड़े गए कैदियों के वापस नहीं आने की बात को स्वीकार किया. विमला गुंज्याल ने कहा कि कैदियों के वापस नहीं आने की सूचना उच्च अधिकारियों को दे दी गई है और संबंधित मामले में नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई भी की जा रही है.
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