नई दिल्ली: राजधानी के बेबी केयर सेंटर में आग लगने से सात नवजात की दर्दनाक मौत ने पूरे दिल्ली के लोगों को हिलाकर रख दिया है. इस घटना के बाद जांच में परत दर परत ऐसी बातें सामने आ रही हैं, जो काफी चौंकाने वाली है. मसलन यह बेबी केयर सेंटर, नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन पर संचालित किया जा रहा था. और इसका लाइसेंस भी 31 मार्च 2024 को ही समाप्त हो चुका था, जिसका रिन्यूअल भी नहीं हुआ था. इतना ही नहीं, मौके पर आग बुझाने के कोई भी उपकरण नहीं लगे थे और न ही आग लगने की स्थिति में निकलने का कोई दूसरा रास्ता था.
इस घटना ने लोगों को दिल्ली में संचालित अन्य निजी नर्सिंग होम, बेबी केयर सेंटर, निजी क्लीनिक व अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्थाओं के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है. इन अस्पतालों और नर्सिंग होम को संचालित करने के लिए किन नियमों का पालन करना पड़ता है और कहां से लाइसेंस लेना पड़ता है, इसे लेकर 'ईटीवी भारत' ने दिल्ली नगर निगम स्वास्थ्य समिति के पूर्व अध्यक्ष और दिल्ली नर्सिंग होम फोरम के अध्यक्ष डॉ. वीके मोगा से बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या बताया..
सवाल: दिल्ली में नर्सिंग होम चलाने के लिए कहां से लाइसेंस लेना पड़ता है? साथ ही किन नियमों का पालन करना पड़ता है?
जवाब: दिल्ली में नर्सिंग होम चलाने के लिए दिल्ली सरकार के डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) से नर्सिंग होम एक्ट के तहत लाइसेंस लेना होता है. वहीं डीजीएचएस के कार्यालय में नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना होता है. इसके बाद डीजीएचएस की ओर से नर्सिंग होम की बिल्डिंग का निरीक्षण किया जाता है और अगर बिल्डिंग नियमों के तहत सही पाई जाती है तो नर्सिंग होम चलाने का लाइसेंस दे दिया जाता है.
सवाल: क्या रेजिडेंशियल एरिया में नर्सिंग होम या अस्पताल चलाए जा सकते हैं?
जवाब: दिल्ली का मास्टर प्लान 2021 यह कहता है कि रेजिडेंशियल एरिया में, जहां रोड की चौड़ाई 9 मीटर या उससे ज्यादा हो, वहां पर नर्सिंग होम या अस्पताल चलाया जा सकता है.
सवाल: क्या नर्सिंग होम या अस्पताल के लिए लाइसेंस लेने के अलावा फायर एनओसी की भी जरूरत होती है?
जवाब: दिल्ली फायर एक्ट के तहत फायर डिपार्टमेंट से नर्सिंग होम या अस्पताल चलाने के लिए फायर एनओसी तब लेनी होती है, जब उक्त बिल्डिंग की ऊंचाई नौ मीटर से ज्यादा हो. अगर बिल्डिंग की ऊंचाई नौ मीटर या उससे कम है और नर्सिंग होम ग्राउंड और पहले फ्लोर पर ही चलाया जा रहा है तो फायर एनओसी की जरूरत नहीं होती है.
सवाल: बेबी केयर सेंटर को नर्सिंग होम के लाइसेंस पर ही चलाया जा सकता है या इसके लिए अलग से कोई परमिशन लेनी पड़ती है?
जवाब: चाइल्ड बेबी केयर सेंटर चलाने के लिए अलग से किसी परमिशन की जरूरत नहीं पड़ती. उसे नर्सिंग होम के तहत ही पंजीकृत कराकर लाइसेंस लेकर चलाया जा सकता है. डीजीएचएस के द्वारा ही बेबी केयर सेंटर को भी नर्सिंग होम एक्ट में पंजीकृत किया जाता है.
सवाल: बेबी केयर सेंटर को चलाने के लिए किस तरह के क्वालिफाइड डॉक्टर्स की आवश्यकता होती है?
जवाब: बेबी केयर सेंटर चलाने के लिए प्रशिक्षित पीडियाट्रिशियन, स्पेशलिस्ट डॉक्टर और प्रशिक्षित नर्स की जरूरत होती है. इसके लिए सिर्फ एमबीबीएस क्वालिफाइड डॉक्टर को ही रखा जा सकता है.
सवाल: डीजीएचएस द्वारा नर्सिंग होम को कितने साल के लिए लाइसेंस दिया जाता है? कितने समय बाद इसका रिन्यूअल कराना होता है?
जवाब: डीजीएचएस द्वारा किसी भी नर्सिंग होम या अस्पताल को पहली बार तीन साल के लिए लाइसेंस दिया जाता है. लाइसेंस का समय खत्म होने से दो महीने पहले रिन्यूअल के लिए आवेदन करना होता है. आवेदन करने के बाद रिन्यूअल कई बार जल्दी मिल जाता है और कभी कई महीने का समय भी लग जाता है. लेकिन जब तक रिन्यूअल के लिए भेजे गए आवेदन को रिजेक्ट नहीं कर दिया जाता, तब तक अस्पताल और नर्सिंग होम संचालक अस्पताल को चला सकते हैं और रिन्यूअल का इंतजार करते हैं. रिन्यूअल न होने का मतलब यह नहीं है कि नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन खत्म हो गया. रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस रद्द होने के बाद ही उसको बंद किया जा सकता है.
सवाल: किसी नए नर्सिंग होम या हॉस्पिटल को दिल्ली नगर निगम से भी कोई एनओसी लेनी पड़ती है? क्या नगर निगम के पास इनको कंट्रोल करने की कोई पावर है?
जवाब: दिल्ली नगर निगम के नक्शे के हिसाब से ही बिल्डिंग बनती है. नगर निगम के नक्शे और बिल्डिंग को देखकर ही डीजीएचएस की ओर से लाइसेंस दिया जाता है. उसके बाद नगर निगम उस बिल्डिंग से हाउस टैक्स लेता है. इसके अलावा इसमें नगर निगम की और कोई भूमिका नहीं होती है.
सवाल: नर्सिंग होम खोलने के लिए क्या प्लॉट के साइज का भी कोई नियम है कि कम से कम इतने गज का प्लॉट होना चाहिए?
जवाब: नर्सिंग होम एक्ट के अनुसार, 100 वर्ग मीटर का कोई भी प्लॉट हो तो उसके ऊपर नर्सिंग होम हॉस्पिटल संचालित कर सकते हैं.
सवाल: दिल्ली के नर्सिंग होम में पहले भी आग लगने की घटनाएं होती रही हैं. नर्सिंग होम संचालक खुद नियमों को तोड़कर काम करते हैं, जिससे दुर्घटना होती है. इसके बाद डीजीएचएस की ओर से कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई?
जवाब: मैं यह नहीं मानता कि नर्सिंग होम संचालक खुद अपनी तरफ से कुछ कमी रखते हैं. दूसरी बात यह है कि आग सिर्फ नर्सिंग होम में या अस्पताल में नहीं लग रही. बल्कि सभी जगह लग रही है. होटल में भी आग लग रही है, गेस्ट हाउस में भी लग रही है और घरों में भी लग रही है. ऐसे में जब दिल्ली का टेंपरेचर 45 डिग्री से ऊपर चल रहा है तो आग तो कहीं भी लग सकती है.
सवाल: जांच में सामने आ रहा है और वहां रहने वाले लोग बता रहे हैं कि बेबी केयर सेंटर के नीचे अवैध ऑक्सीजन गैस की रीफिलिंग का काम होता था. बताया गया कि सिलेंडर फटने से यह आग लगी. इस पर क्या कहेंगे?
जवाब: देखिए मैं यह नहीं मानता कि कोई भी नर्सिंग होम वाला या हॉस्पिटल वाला ऑक्सीजन गैस की इस तरह से रिफिलिंग का काम करेगा, क्योंकि ऑक्सीजन को बड़े सिलेंडर से गैस छोटे सिलेंडर में भरना और उसको जाकर बेचने का कोई ज्यादा लाभ नहीं है.
सवाल: पता चला है कि एनआईसीयू सेंटर में बच्चों की देखभाल के लिए बीएएमएस डॉक्टर को रखा गया था. ऐसे डॉक्टर की जगह किस तरह के डॉक्टर को रखा जाना चाहिए था?
जवाब: एनआईसीयू सेंटर चलाने के लिए एमबीबीएस डॉक्टर का होना जरूरी है. बीएएमएस डॉक्टर को किसी भी नर्सिंग होम या अस्पताल में डॉक्टरी के काम के लिए नहीं रख सकते. एनआईसीयू की देखभाल करने के लिए तो और ज्यादा प्रशिक्षित डॉक्टर की जरूरत होती है.
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