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महेश्वरी साड़ी की द्रौपदी मुर्मू बनेंगी मुरीद, यहां तोहफे संग राष्ट्रपति देखेंगी अहिल्याबाई की धरोहर - Draupadi Murmu Maheshwari Saree

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार शाम को मिनी मुंबई इंदौर पहुंचेंगी. यहां वे देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगी. इस दौरान राष्ट्रपति फेमस चंदेरी, महेश्वरी और बाग प्रिंट की साड़ी कलेक्शन को भी देखेंगी और शिल्पकारों से संवाद करेगी. राष्ट्रपति को उपहार के तौर पर अहिल्याबाई होलकर के धरोहर का अनुपम उपहार भेंट किया जाएगा.

Draupadi Murmu Maheshwari Saree
अहिल्याबाई की धरोहर से रु-ब-रु होंगी राष्ट्रपति (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 18, 2024, 2:28 PM IST

Updated : Sep 18, 2024, 2:39 PM IST

इंदौर: देश और दुनिया में कलात्मक और सुंदर पहनावे की पहचान बन चुकी महेश्वरी साड़ी आज राष्ट्रपति डॉ द्रौपदी मुर्मू को उपहार में दी जाएगी. दरअसल, बुधवार को राष्ट्रपति मुर्मू इंदौर पहुंच रही हैं. जहां वे इंदौर के मृगनयनी एंपोरियम में महेश्वर, चंदेरी और धार इलाके के आदिवासी अंचल में तैयार होने वाली माहेश्वरी चंदेरी और बाघ प्रिंट की साड़ियों के कलेक्शन देखने के साथ इस अंचल के कपड़ा कारीगरों और शिल्पियों से संवाद करेंगी, इस अवसर पर उन्हें देवी अहिल्याबाई होलकर की विरासत के रूप में ख्यात महेश्वरी साड़ी उपहार में दी जाएगी.

माहेश्वरी, चंदेरी, बाग प्रिंट साड़ियों को देखेंगी राष्ट्रपति

मृगनयनी साड़ी एंपोरियम के मैनेजर राहुल जगताप ने बताया कि 'इंदौर में राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू मृगनयनी साड़ी एंपोरियम में उन साड़ियों का कलेक्शन देखेंगी. जो होलकर राजघराने की लोकमाता रहीं अहिल्याबाई होलकर द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में की गई पहल का परिणाम है. फिलहाल आज मृगनयनी एंपोरियम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए पारंपरिक साड़ियों के कलेक्शन के अलावा महेश्वरी चंदेरी और बाघ प्रिंट की साड़ियों का कलेक्शन बुलाया गया है. जिनका कलेक्शन राष्ट्रपति को दिखाया जाएगा. इस दौरान उन्हें एक सुंदर महेश्वरी साड़ी भेंट की जाएगी.'

अहिल्याबाई होलकर के प्रयासों का परिणाम

यह पहला मौका है, जब सीधे राष्ट्रपति द्वारा मध्य प्रदेश की कलात्मक धरोहर खासकर माहेश्वरी और चंदेरी साड़ी के अलावा बाग प्रिंट की साड़ियों के कलेक्शन को देखा जाएगा. इतना ही नहीं वह इन साड़ियों को बनाने वाले कारीगरों के अलावा वस्त्र शिल्पी से भी संवाद करके इन साड़ियों के निर्माण की प्रक्रिया और जटिलताओं को समझेंगी. गौरतलब है महेश्वरी साड़ी का निर्माण अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में महेश्वर से शुरू हुआ था. पहले के जमाने में पुराने पैटर्न में साड़ियां बनती थी, लेकिन बाद में धीरे-धीरे इन साड़ियों पर माहेश्वरी साड़ियों के साथ सिल्क का काम भी होने लगा.

यहां पढ़ें...

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वहीं दाना और बाना में कॉटन के काम के बाद साड़ियों को बाग प्रिंट में तैयार किया जाने लगा. जिनकी पहचान अब दुनिया भर में है. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू यहां बाग प्रिंट जिसे ट्राइबल प्रिंट कहा जाता है. उसकी निर्माण की प्रक्रिया को भी समझेंगी. जिन्हें अब क्रेप और शिफॉन साड़ियों के रूप में भी पहचाना जाता है.

इंदौर: देश और दुनिया में कलात्मक और सुंदर पहनावे की पहचान बन चुकी महेश्वरी साड़ी आज राष्ट्रपति डॉ द्रौपदी मुर्मू को उपहार में दी जाएगी. दरअसल, बुधवार को राष्ट्रपति मुर्मू इंदौर पहुंच रही हैं. जहां वे इंदौर के मृगनयनी एंपोरियम में महेश्वर, चंदेरी और धार इलाके के आदिवासी अंचल में तैयार होने वाली माहेश्वरी चंदेरी और बाघ प्रिंट की साड़ियों के कलेक्शन देखने के साथ इस अंचल के कपड़ा कारीगरों और शिल्पियों से संवाद करेंगी, इस अवसर पर उन्हें देवी अहिल्याबाई होलकर की विरासत के रूप में ख्यात महेश्वरी साड़ी उपहार में दी जाएगी.

माहेश्वरी, चंदेरी, बाग प्रिंट साड़ियों को देखेंगी राष्ट्रपति

मृगनयनी साड़ी एंपोरियम के मैनेजर राहुल जगताप ने बताया कि 'इंदौर में राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू मृगनयनी साड़ी एंपोरियम में उन साड़ियों का कलेक्शन देखेंगी. जो होलकर राजघराने की लोकमाता रहीं अहिल्याबाई होलकर द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में की गई पहल का परिणाम है. फिलहाल आज मृगनयनी एंपोरियम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए पारंपरिक साड़ियों के कलेक्शन के अलावा महेश्वरी चंदेरी और बाघ प्रिंट की साड़ियों का कलेक्शन बुलाया गया है. जिनका कलेक्शन राष्ट्रपति को दिखाया जाएगा. इस दौरान उन्हें एक सुंदर महेश्वरी साड़ी भेंट की जाएगी.'

अहिल्याबाई होलकर के प्रयासों का परिणाम

यह पहला मौका है, जब सीधे राष्ट्रपति द्वारा मध्य प्रदेश की कलात्मक धरोहर खासकर माहेश्वरी और चंदेरी साड़ी के अलावा बाग प्रिंट की साड़ियों के कलेक्शन को देखा जाएगा. इतना ही नहीं वह इन साड़ियों को बनाने वाले कारीगरों के अलावा वस्त्र शिल्पी से भी संवाद करके इन साड़ियों के निर्माण की प्रक्रिया और जटिलताओं को समझेंगी. गौरतलब है महेश्वरी साड़ी का निर्माण अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में महेश्वर से शुरू हुआ था. पहले के जमाने में पुराने पैटर्न में साड़ियां बनती थी, लेकिन बाद में धीरे-धीरे इन साड़ियों पर माहेश्वरी साड़ियों के साथ सिल्क का काम भी होने लगा.

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वहीं दाना और बाना में कॉटन के काम के बाद साड़ियों को बाग प्रिंट में तैयार किया जाने लगा. जिनकी पहचान अब दुनिया भर में है. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू यहां बाग प्रिंट जिसे ट्राइबल प्रिंट कहा जाता है. उसकी निर्माण की प्रक्रिया को भी समझेंगी. जिन्हें अब क्रेप और शिफॉन साड़ियों के रूप में भी पहचाना जाता है.

Last Updated : Sep 18, 2024, 2:39 PM IST
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