देहरादूनः राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या अब बढ़कर 55 होने जा रही है. अब तक यहां पर बाघों की संख्या 54 है. लेकिन अब एक और बाघिन कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी टाइगर रिजर्व में लाई जा रही है. इसके लिए राजाजी टाइगर रिजर्व के मोतीचूर रेंज में एक बड़ा बाड़ा तैयार किया गया है, जहां पर कॉर्बेट से लाकर इस बाघिन को रखा जाएगा. ईटीवी भारत ने मोतीचूर रेंज पहुंचकर वन विभाग द्वारा की गई तैयारी का जायजा लिया. साथ ही उन अधिकारियों से भी बात की जो दिन-रात बाघिन को राजाजी टाइगर रिजर्व में लाने से लेकर दूसरी व्यवस्थाओं के काम में जुटे हुए हैं.
राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए काफी लंबे समय से प्रोजेक्ट चल रहा है और इसी के तहत अब तक दो बाघिन और एक बाघ यहां कॉर्बेट से पहले भी लाए जा चुके हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत यह चौथे बाघ को लाया जा रहा है. इसमें एक बाघ के अलावा ये तीसरी बाघिन होगी. दरअसल, राजाजी टाइगर रिजर्व में कुल 54 बाघों में से करीब 51 बाघ पूर्वी राजाजी क्षेत्र में है. जबकि पश्चिमी राजाजी क्षेत्र में करीब तीन से चार बाघ ही मौजूद हैं.
मोतीचूर रेंज में आएगा नया मेहमान: एक तरफ मोतीचूर रेंज में नए मेहमान के आने की तैयारी हो रही है तो दूसरी तरफ कॉर्बेट में बाघिन को चिन्हित कर उसे ट्रेंकुलाइज करते हुए चिकित्सकों की टीम की निगरानी में रखा गया है. जबकि राजाजी टाइगर रिजर्व की एक टीम भी कॉर्बेट के लिए रवाना हुई है, जो की पूरी देखरेख के साथ अपनी निगरानी में इस टाइगर को मोतीचूर रेंज लाएगी.
हाइड्रोलिक सिस्टम से बनाया गया केज: राजाजी टाइगर रिजर्व के मोतीचूर में मौजूद एक बड़ा वाहन इसके लिए तैयार किया गया है. इसी वाहन के जरिए बाघिन को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सड़क मार्ग से होते हुए मोतीचूर रेंज में स्थित बने बाड़े में लाया जाएगा. वन्य जीव रेस्क्यू वाहन में बाघिन के लिए हाइड्रोलिक सिस्टम वाले केज को रखा गया है. इसी वाहन के जरिए कॉर्बेट से राजाजी के एक लंबे सफर को यह बाघिन तय करेगी. इस सफर में इस दौरान वन विभाग के अधिकारियों के साथ ही पशु चिकित्सक भी मौजूद रहेंगे जो कि हर पल बाघिन के मूवमेंट और स्वास्थ्य पर नजर रखेंगे.
बाड़े की खासियत: बाघिन के राजाजी टाइगर रिजर्व पहुंचने के बाद उसे मोतीचूर रेंज में जंगल के बीचों-बीच बने बाड़े में रखा जाएगा. यह बाड़ा एक हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया गया है. बाड़े इस तरह तैयार किया गया है कि बाघिन इसे एक नेचुरल हैबिटेट के रूप में महसूस करे. बाड़े में करीब 10 से 11 फीट ऊंची लोहे की जालियों वाली दीवार खड़ी की गई है, जिसमें अंदर से चारों तरफ 10 फीट तक ऊंचे घास और नेचुरल लुक देने वाली लड़कियों को लगाया गया है. इसके अलावा यहां अंदर दो पानी से भरे वाटर प्वाइंट बनाए गए हैं. जिसमें बाघिन प्यास लगने पर पानी पी सकती है. या इसमें जाकर ठंडे पानी का भी आनंद ले सकती है.
बाड़े में बनाए गए दो एग्जिम प्वाइंट: इस बार इस बाड़े में झाड़ियां को कुछ छोटा किया है. ताकि बाघिन पर नजर रखने में दिक्कत ना हो. बाड़े के चारों ओर 10 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इसके जरिए बाघिन पर दिन-रात नजर रखी जाएगी. उधर बाड़े से बाहर निकलने के लिए इस बार एक की जगह दो एग्जिट प्वाइंट भी तैयार किए गए हैं. ताकि जब बाघिन को नेचुरल हैबिटेट के लिए छोड़ जाए तो इस बाड़े से बाहर निकलने में उसे किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो.
बाघिन पर लगाया गया रेडियो कॉलर: जिस बाघिन को कॉर्बेट से राजाजी टाइगर रिजर्व में लाया जा रहा है, उस पर रेडियो कॉलर भी लगाया गया है. ताकि उसकी मूवमेंट पर हर पल नजर रखी जा सके. जानकारी के अनुसार राजाजी टाइगर रिजर्व में रात तक इस बाघिन को लाया जाएगा. उसके बाद करीब 2 से 3 दिनों तक यह बाघिन मोतीचूर में मौजूद बाड़े में ही रहेगी. इसके बाद इसे यहां से जंगल में छोड़ दिया जाएगा.
राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों को लाने का मकसद वैसे तो राजाजी के पश्चिमी क्षेत्र में भी बाघों की मौजूदगी को बढ़ाना है. लेकिन इसके जरिए कॉर्बेट में बाघों का बढ़ रहा दबाव भी कम हो रहा है. यानी इस प्रोजेक्ट के जरिए एक तीर से दो निशाने लगाए जा रहे हैं.
राजाजी के लिए रवाना हुई बाघिन: कॉर्बेट के डिप्टी डायरेक्टर दिगंत नायक ने बताया कि स्वास्थ्य रिपोर्ट के आधार पर बाघिन को राजाजी के लिए रवाना कर दिया गया है. बाघिन की उम्र 3 से 4 वर्ष है. कॉर्बेट से पांच बाघों को राजाजी नेशनल पार्क भेजा जाना है. इसमें से अब तक दो मादा बाघ और नर बाघ को राजाजी टाइगर रिजर्व भेज दिया गया है.
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