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गर्भवती महिला का 40 फीसदी ही काम कर रहा था दिल, डॉक्टर्स ने बचाई तीन जिंदगियां - KANPUR DOCTORS SAVED 3 LIVES - KANPUR DOCTORS SAVED 3 LIVES

पियरे रॉबिंस सिंड्रोम बीमारी से ग्रसित गर्भवती का 40 प्रतिशत हार्ट ही काम कर रहा था. कानपुर में डॉक्टरों ने एक साथ तीन जिंदगी बचा कर चमत्कार कर दिया. शहर के अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज में 45 मिनट तक चली सर्जरी. महिला ने जुड़वां बच्चे को जन्म दिया.

कानपुर के डॉक्टर्स बने देवदूत
कानपुर के डॉक्टर्स बने देवदूत (Photo Source Media Cell GSVM Medical College)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 8:25 PM IST

Updated : Jul 22, 2024, 10:10 PM IST


कानपुर: डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है. एक बार फिर कानपुर में डॉक्टरों ने एक साथ तीन जिंदगियों को बचाकर इसको साबित किया है. शहर के अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज अस्पताल में सोमवार को एक ऐसा मरीज आया, जिसकी बीमारी जानकर डॉक्टर भी परेशान हो उठे. लेकिन, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों ने असंभव को अपनी हिम्मत से संभव कर दिखाया और एक परिवार को मिली दोहरी खुशखबरी.

दरअसल, जालौन से एक 25 साल नौ माह की गर्भवती अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज अस्पताल पहुंची थी. जैसे ही डॉक्टरों ने युवती का इलाज शुरू किया तो पता चला कि युवती का हार्ट केवल 40 प्रतिशत काम कर रहा है. युवती के दोनों फेफड़ों में पानी भरा था. युवती पियरे रॉबिंस सिंड्रोम बीमारी से भी अनुवांशिक तौर पर पीड़ित थी. ऐसे में उसको एनीस्थिसिया देना डॉक्टरों के लिए असंभव था. लेकिन, हिम्मत दिखाते हुए एनीस्थिसिया विभाग के एचओडी डॉ.अनिल वर्मा के नेतृत्व में कई डॉक्टरों की टीम ने पहले युवती को एनीस्थिसिया दिया, फिर उसकी सर्जरी की गई.

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम ने 45 मिनट तक सर्जरी में असंभव को संभव कर दिखाया. एनीस्थिसिया देते समय ही तय हो गया था, कि मरीज को जीवन रक्षक दवाएं दी जाएंगी. अगर जरूरत पड़ी तो सांस लेने के लिए गले से रास्ता बनाया जाएगा. ऐसे में रीजनल एनेस्थिसिया की मदद से जब गर्भवती की सिजेरियन डिलीवरी कराई गई और उसने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. बच्चों की शारीरिक कमजोरी को देखते हुए उन्हें एनआईसीयू में रखा गया, वहीं युवती को भी आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. डॉक्टरों का कहना था, कि उनके लिए सर्जरी आसान नहीं थी. लेकिन, मरीज को बचाने के लिए जब सभी जीजान से जुट गए तो उन्हें सफलता मिल गई.

ये भी पढ़ें: यूपी में डॉक्टरी की पहले साल की फीस 13.73 लाख, सबसे सस्ते कॉलेज की फीस 10.77 लाख, सरकारी कॉलेजों की फीस इतनी...


कानपुर: डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है. एक बार फिर कानपुर में डॉक्टरों ने एक साथ तीन जिंदगियों को बचाकर इसको साबित किया है. शहर के अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज अस्पताल में सोमवार को एक ऐसा मरीज आया, जिसकी बीमारी जानकर डॉक्टर भी परेशान हो उठे. लेकिन, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों ने असंभव को अपनी हिम्मत से संभव कर दिखाया और एक परिवार को मिली दोहरी खुशखबरी.

दरअसल, जालौन से एक 25 साल नौ माह की गर्भवती अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज अस्पताल पहुंची थी. जैसे ही डॉक्टरों ने युवती का इलाज शुरू किया तो पता चला कि युवती का हार्ट केवल 40 प्रतिशत काम कर रहा है. युवती के दोनों फेफड़ों में पानी भरा था. युवती पियरे रॉबिंस सिंड्रोम बीमारी से भी अनुवांशिक तौर पर पीड़ित थी. ऐसे में उसको एनीस्थिसिया देना डॉक्टरों के लिए असंभव था. लेकिन, हिम्मत दिखाते हुए एनीस्थिसिया विभाग के एचओडी डॉ.अनिल वर्मा के नेतृत्व में कई डॉक्टरों की टीम ने पहले युवती को एनीस्थिसिया दिया, फिर उसकी सर्जरी की गई.

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम ने 45 मिनट तक सर्जरी में असंभव को संभव कर दिखाया. एनीस्थिसिया देते समय ही तय हो गया था, कि मरीज को जीवन रक्षक दवाएं दी जाएंगी. अगर जरूरत पड़ी तो सांस लेने के लिए गले से रास्ता बनाया जाएगा. ऐसे में रीजनल एनेस्थिसिया की मदद से जब गर्भवती की सिजेरियन डिलीवरी कराई गई और उसने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. बच्चों की शारीरिक कमजोरी को देखते हुए उन्हें एनआईसीयू में रखा गया, वहीं युवती को भी आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. डॉक्टरों का कहना था, कि उनके लिए सर्जरी आसान नहीं थी. लेकिन, मरीज को बचाने के लिए जब सभी जीजान से जुट गए तो उन्हें सफलता मिल गई.

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Last Updated : Jul 22, 2024, 10:10 PM IST
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