कानपुर: डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है. एक बार फिर कानपुर में डॉक्टरों ने एक साथ तीन जिंदगियों को बचाकर इसको साबित किया है. शहर के अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज अस्पताल में सोमवार को एक ऐसा मरीज आया, जिसकी बीमारी जानकर डॉक्टर भी परेशान हो उठे. लेकिन, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों ने असंभव को अपनी हिम्मत से संभव कर दिखाया और एक परिवार को मिली दोहरी खुशखबरी.
दरअसल, जालौन से एक 25 साल नौ माह की गर्भवती अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज अस्पताल पहुंची थी. जैसे ही डॉक्टरों ने युवती का इलाज शुरू किया तो पता चला कि युवती का हार्ट केवल 40 प्रतिशत काम कर रहा है. युवती के दोनों फेफड़ों में पानी भरा था. युवती पियरे रॉबिंस सिंड्रोम बीमारी से भी अनुवांशिक तौर पर पीड़ित थी. ऐसे में उसको एनीस्थिसिया देना डॉक्टरों के लिए असंभव था. लेकिन, हिम्मत दिखाते हुए एनीस्थिसिया विभाग के एचओडी डॉ.अनिल वर्मा के नेतृत्व में कई डॉक्टरों की टीम ने पहले युवती को एनीस्थिसिया दिया, फिर उसकी सर्जरी की गई.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम ने 45 मिनट तक सर्जरी में असंभव को संभव कर दिखाया. एनीस्थिसिया देते समय ही तय हो गया था, कि मरीज को जीवन रक्षक दवाएं दी जाएंगी. अगर जरूरत पड़ी तो सांस लेने के लिए गले से रास्ता बनाया जाएगा. ऐसे में रीजनल एनेस्थिसिया की मदद से जब गर्भवती की सिजेरियन डिलीवरी कराई गई और उसने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. बच्चों की शारीरिक कमजोरी को देखते हुए उन्हें एनआईसीयू में रखा गया, वहीं युवती को भी आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. डॉक्टरों का कहना था, कि उनके लिए सर्जरी आसान नहीं थी. लेकिन, मरीज को बचाने के लिए जब सभी जीजान से जुट गए तो उन्हें सफलता मिल गई.
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