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हिमाचल में आसमान से बरसी राहत की बारिश, खुशी से खिले किसानों के चेहरे, शुरू की फसलों की बुवाई - Pre Monsoon in Himachal

हिमाचल प्रदेश में प्री मानसून की बारिश शुरू हो गई है. जिससे किसानों के चेहरे खुशी से खिल गए हैं. खेतों में नमी आते ही किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई शुरू कर दी है. वहीं, इस साल कृषि विभाग ने भी खरीफ सीजन में 9 लाख मीट्रिक टन से अधिक के खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है.

PRE MONSOON IN HIMACHAL
हिमाचल में प्री मानसून की बारिश शुरू (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 22, 2024, 6:52 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में जून महीने के तीसरे सप्ताह में आखिर आसमान से राहत की बारिश बरसी है. ऐसे से लंबे समय से बारिश का इंतजार कर रहे किसानों ने मक्की सहित अन्य फसलों की बुवाई का काम शुरू कर दिया है. कृषि विभाग ने खरीफ सीजन में खाद्यान्नों सहित दालों व सब्जियों के उत्पादन के लिए 9 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य तय किया है, लेकिन समय पर बारिश न होने से किसान खरीफ सीजन में अभी तक मक्की, धान, रागी व दालों की बुवाई नहीं कर पाए थे. इसी तरह से शिमला मिर्च, टमाटर, बैंगन सहित अन्य सब्जियों के पौधों की रोपाई के लिए किसान बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे थे. ऐसे में हिमाचल में लंबे समय बाद आसमान से बारिश के रूप में अमृत बरसा है. जिससे अब खेती को संजीवनी मिलेगी और किसानों के सामने खड़ा हुआ रोजी रोटी का संकट अब दूर होने की संभावना है.

प्री मानसून से खिले किसानों के चेहरे

हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती बाड़ी लोगों की रोजी रोटी का मुख्य साधन है. प्रदेश में अधिकतर कृषि योग्य भूमि बारिश पर निर्भर है. ऐसे में अगर समय पर अच्छी बारिश होती है तो खाद्यान्न सहित सब्जियों का उत्पादन भी बढ़िया होने की उम्मीद रहती है, लेकिन मानसून सीजन में सामान्य से कम बारिश होने पर कृषि पर भी संकट के बादल छा जाते हैं. प्रदेश में जून माह से मानसून शुरू हो गया है, ऐसे में लोगों को बुवाई के लिए बारिश का इंतजार था. दो दिनों से पड़ रही प्री मानसून की बौछारों ने किसानों के चेहरे पर चमक ला दी है. प्रदेश भर में अब किसानों ने बुवाई का काम शुरू कर दिया है.

368 लाख हेक्टेयर में खाद्यान्न की बुवाई का लक्ष्य

वहीं, कृषि विभाग ने खरीफ सीजन में 368 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि पर मक्की, धान, रागी, दालें व अन्य खाद्यान्न की बुवाई का लक्ष्य रखा है. इसमें सबसे अधिक 272 लाख हेक्टेयर भूमि पर मक्की की बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसी तरह से खरीफ सीजन में 73 हजार हेक्टेयर में धान, 18 हजार हेक्टेयर में दालें व 12,700 हेक्टेयर में रागी आदि खाद्यान्नों की बुवाई होनी है. इसके अलावा 87 हजार हेक्टेयर में सब्जियों और 3 हजार हेक्टेयर अदरक की खेती करने का लक्ष्य तय किया गया है, लेकिन समय पर बारिश न होने से 19 जून तक प्रदेश में करीब 40 कृषि योग्य भूमि पर ही किसान बुवाई कर पाए थे.

9 लाख 70 मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य

हिमाचल में अधिकतर खेती बारिश पर निर्भर है, लेकिन फिर भी हर साल खरीफ सीजन में कृषि विभाग की तरफ से खाद्यान्न और सब्जियों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है. कृषि विभाग ने इस बार खरीफ सीजन में 9 लाख 70 हजार मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. इसमें सबसे अधिक मक्की की फसल का उत्पादन लक्ष्य 730 मीट्रिक रखा गया है. ये उत्पादन खरीफ सीजन में ली जाने वाली सभी फैसलों से कहीं अधिक है. खरीफ सीजन में धान की फसल का उत्पादन लक्ष्य 155 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है. इसी तरह से 1 लाख 75 हजार मीट्रिक टन दालें व 13 हजार मीट्रिक रागी उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. इसके अलावा प्रदेश में 18 लाख 17 हजार मीट्रिक टन सब्जियों और 34 हजार मीट्रिक टन अदरक के उत्पादन लक्ष्य रखा गया है.

खाद्य उत्पादन खाद्य सुरक्षा का प्रमुख आधार है. खाद्य सुरक्षा एक ऐसी स्थिति है, जो सभी लोगों को हर समय, पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक आहार संबंधी जरूरतों और खाद्य प्राथमिकताओं को पूरा करता है. कृषि विशेषज्ञ रामकृष्ण का कहना है कि बारिश के बाद जमीन में नमी आने से बुवाई के लिए ये समय उचित है.

ये भी पढ़ें: हीट वेव से मिली राहत, हिमाचल में बारिश से लुढ़का तापमान, 24 जून को प्री मानसून की दस्तक

शिमला: हिमाचल प्रदेश में जून महीने के तीसरे सप्ताह में आखिर आसमान से राहत की बारिश बरसी है. ऐसे से लंबे समय से बारिश का इंतजार कर रहे किसानों ने मक्की सहित अन्य फसलों की बुवाई का काम शुरू कर दिया है. कृषि विभाग ने खरीफ सीजन में खाद्यान्नों सहित दालों व सब्जियों के उत्पादन के लिए 9 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य तय किया है, लेकिन समय पर बारिश न होने से किसान खरीफ सीजन में अभी तक मक्की, धान, रागी व दालों की बुवाई नहीं कर पाए थे. इसी तरह से शिमला मिर्च, टमाटर, बैंगन सहित अन्य सब्जियों के पौधों की रोपाई के लिए किसान बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे थे. ऐसे में हिमाचल में लंबे समय बाद आसमान से बारिश के रूप में अमृत बरसा है. जिससे अब खेती को संजीवनी मिलेगी और किसानों के सामने खड़ा हुआ रोजी रोटी का संकट अब दूर होने की संभावना है.

प्री मानसून से खिले किसानों के चेहरे

हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती बाड़ी लोगों की रोजी रोटी का मुख्य साधन है. प्रदेश में अधिकतर कृषि योग्य भूमि बारिश पर निर्भर है. ऐसे में अगर समय पर अच्छी बारिश होती है तो खाद्यान्न सहित सब्जियों का उत्पादन भी बढ़िया होने की उम्मीद रहती है, लेकिन मानसून सीजन में सामान्य से कम बारिश होने पर कृषि पर भी संकट के बादल छा जाते हैं. प्रदेश में जून माह से मानसून शुरू हो गया है, ऐसे में लोगों को बुवाई के लिए बारिश का इंतजार था. दो दिनों से पड़ रही प्री मानसून की बौछारों ने किसानों के चेहरे पर चमक ला दी है. प्रदेश भर में अब किसानों ने बुवाई का काम शुरू कर दिया है.

368 लाख हेक्टेयर में खाद्यान्न की बुवाई का लक्ष्य

वहीं, कृषि विभाग ने खरीफ सीजन में 368 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि पर मक्की, धान, रागी, दालें व अन्य खाद्यान्न की बुवाई का लक्ष्य रखा है. इसमें सबसे अधिक 272 लाख हेक्टेयर भूमि पर मक्की की बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसी तरह से खरीफ सीजन में 73 हजार हेक्टेयर में धान, 18 हजार हेक्टेयर में दालें व 12,700 हेक्टेयर में रागी आदि खाद्यान्नों की बुवाई होनी है. इसके अलावा 87 हजार हेक्टेयर में सब्जियों और 3 हजार हेक्टेयर अदरक की खेती करने का लक्ष्य तय किया गया है, लेकिन समय पर बारिश न होने से 19 जून तक प्रदेश में करीब 40 कृषि योग्य भूमि पर ही किसान बुवाई कर पाए थे.

9 लाख 70 मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य

हिमाचल में अधिकतर खेती बारिश पर निर्भर है, लेकिन फिर भी हर साल खरीफ सीजन में कृषि विभाग की तरफ से खाद्यान्न और सब्जियों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है. कृषि विभाग ने इस बार खरीफ सीजन में 9 लाख 70 हजार मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. इसमें सबसे अधिक मक्की की फसल का उत्पादन लक्ष्य 730 मीट्रिक रखा गया है. ये उत्पादन खरीफ सीजन में ली जाने वाली सभी फैसलों से कहीं अधिक है. खरीफ सीजन में धान की फसल का उत्पादन लक्ष्य 155 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है. इसी तरह से 1 लाख 75 हजार मीट्रिक टन दालें व 13 हजार मीट्रिक रागी उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. इसके अलावा प्रदेश में 18 लाख 17 हजार मीट्रिक टन सब्जियों और 34 हजार मीट्रिक टन अदरक के उत्पादन लक्ष्य रखा गया है.

खाद्य उत्पादन खाद्य सुरक्षा का प्रमुख आधार है. खाद्य सुरक्षा एक ऐसी स्थिति है, जो सभी लोगों को हर समय, पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक आहार संबंधी जरूरतों और खाद्य प्राथमिकताओं को पूरा करता है. कृषि विशेषज्ञ रामकृष्ण का कहना है कि बारिश के बाद जमीन में नमी आने से बुवाई के लिए ये समय उचित है.

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