पटना: जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. हालांकि उनकी पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता मिल चुकी है, लेकिन प्रशांत किशोर विधानसभा चुनाव 2025 में लगे हुए हैं. इस बीच जाति पाति को खारिज करने वाले पीके ने इस बार जातिवादी राजनीति की ओर कदम बढ़ाया है. बता दें कि प्रशांत किशोर जाती आधारित राजनीति की मुखालफत करते रहे हैं. लेकिन अब वह अति पिछड़ाओं को टिकट देने की बात कह कर जातिगत राजनीति की ओर ही बढ़ रहे हैं.
पिछड़ों से सिर्फ वोट लेती पार्टी: जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि गरीबों का हर उस सरकार ने हक मारा है जो पिछड़ों की बात कर सिर्फ पिछड़ों से वोट लेती है. बिहार में आज सबसे अशिक्षित बच्चे पिछड़ों के समाज से आते हैं. आपने भागीदारी मांगी सत्ता में, लेकिन आपको भागीदारी मिली गरीबी और भुखमरी में.
अपना फायदा देखिए: उन्होंने कहा कि आज इस मंच से मैं आप सब से हाथ जोड़कर विनती करने आया हूं कि किसी दल, किसी नेता का झंडा ढोने की जगह अपना फायदा देखिए अपने बच्चों का फायदा देखिए. तभी जाकर आपकी उन्नति हो सकेगी. साल 2025 के विधानसभा चुनाव में पहली बार आप देखेंगे कि किसी राजनीतिक प्लेटफॉर्म से कम से कम 75 लोग आपके समाज से विधायक का चुनाव लड़ेंगे.
"हम अगर पिछड़े समाज के लोगों को चुनाव लड़ाएंगे तो चुनाव लड़ाने की तैयारी भी कराएंगे. उसके पीछे जन सुराज अपनी पूरी ताकत और व्यवस्था लगाएगी. ये आपको मैं आश्वासन दे रहा हूं." - प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
बिहार में होगा जन बल का समीकरण: बता दें कि कुछ दिनों पहले ही प्रशांत किशोर ने कहा था कि बिहार के अन्य पार्टियों को समीकरण बनाने दीजिए, कोई MY समीकरण बना रहा है तो कोई PY बना रहा है तो कोई A to Z बना रहा है. आप देखियेगा बिहार में 1 ही समीकरण होगा वो होगा जन बल का समीकरण. देश में जन बल के आगे कोई समीकरण नहीं है. लेकिन लगता है वह भी इन्हीं समीकरण पर काम कर रहे है.