रांची: झारखंड में भाजपा खरमास से इस कदर भयभीत है कि वह नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं कर पा रही है. इतना ही नहीं ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद सक्रिय राजनीति में वापसी की तैयारी कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के भाजपा में शामिल होने के कामों में भी खरमास ने रोड़ा अटका दिया है.
भाजपा विधायक सीपी सिंह ने इसका खुलासा करते हुए कहा है कि खरमास में सनातन धर्म के अनुयायी कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं, इसलिए केंद्रीय नेतृत्व 14 जनवरी के बाद नेता प्रतिपक्ष के नाम पर फैसला लेगा. उन्होंने कहा कि रघुवर दास भी खरमास के बाद ही पार्टी में शामिल होंगे. बजट सत्र से पहले नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा होने का दावा करते हुए सीपी सिंह ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व जो भी फैसला लेगा, उसे सभी स्वीकार करेंगे.
नेता प्रतिपक्ष को लेकर सियासत जारी
नेता प्रतिपक्ष को लेकर यह बहाना हो सकता है, लेकिन हकीकत यह है कि पार्टी अब तक नेता प्रतिपक्ष का नाम तय करने में सफल नहीं हो पाई है. जाहिर है, इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं. सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा है कि खरमास तो बहाना है, हकीकत ये है कि पार्टी के अंदर कोई फूट न हो इसको ध्यान में रखते हुए इसे टाला जा रहा है.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि फूट के कारण ये बहाना बनाया जा रहा है, बाबूलाल जी को कहना चाहिए कि हम सनातनी हैं, हम सरना को नहीं मानते, हम सरना धर्म कोड नहीं चाहते. उन्होंने कहा कि क्या महाराष्ट्र में खरमास का खतरा था कि 13 दिन बाद हमें वहां मुख्यमंत्री मिल गया. भारतीय जनता पार्टी खरमास को दोष ना दे, अपने गिरेबान में झांके और पार्टी को फूट के खतरे से बचाए.
सियासी बयानबाजी के बीच विपक्ष का नेता कौन बनेगा इस पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. मुख्य विपक्षी पार्टी होने के नाते भारतीय जनता पार्टी को तय करना है कि विधायक दल का नेता कौन होगा और विधानसभा में विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी किसे मिलेगी.
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