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हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के ये मुद्दे क्या बीजेपी के वोट बैंक को डालेंगे डेंट, जानिए कौन-कौन सी हैं अड़चने ? - LOK SABHA ELECTION 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Hamirpur Lok Sabha election fight: हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में पिछले 8 बार से जब भी चुनाव हुए हैं तो जीत बीजेपी को मिली है. 1998 से ये सिलसिला बरकरार है. हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव के अलावा 2007 और 2008 में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी को जीत मिली थी.

Hamirpur Lok Sabha election
हमीरपुर लोकसभा सीट (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 17, 2024, 9:25 PM IST

Updated : May 19, 2024, 7:39 PM IST

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर की लोकसभा सीट बीजेपी का सबसे मजबूत किला है. साल 1998 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी का ही 'कमल' खिला है. चुनाव दर चुनाव बीजेपी इस सीट पर मजबूत होती चली गई. वहीं, कांग्रेस का 'हाथ' आज भी इस सीट पर अपनी जमीन तलाश रहा है.

अनुराग ठाकुर लगा चुके हैं जीत का चौका: हमीरपुर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर लगातार 4 बार चुनाव जीत चुके हैं. पार्टी ने इस बार भी उन्हें ही चुनावी मैदान में उतारा है. अनुराग ठाकुर 2008 का लोकसभा उपचुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इसके बाद से वह लगातार 2009, 2014 और 2019 में इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अनुराग ठाकुर को वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली थी. जबकि मौजूदा समय में वह खेल, युवा और सूचना प्रसारण मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा हारे हैं विधानसभा चुनाव: हमीरपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अनुराग ठाकुर के खिलाफ साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने हारे हुए प्रत्याशी सतपाल रायजादा को टिकट दिया है. सतपाल रायजादा मूल रूप से ऊना जिले के रहने वाले हैं. यह पहली दफा है जब वह लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती को चुनाव हराया था. साल 2022 में सतपाल सिंह सत्ती ने उन्हें ऊना सदर सीट से पटखनी दी. विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद भी सतपाल सिंह रायजादा को काफी माथापच्ची करने के बाद कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है.

हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से कब कौन रहा सांसद.
हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से कब कौन रहा सांसद. (ETV Bharat (GFX))

सीएम समेत 3 बड़े नेताओं की दांव पर है साख: हमीरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की राह आसान नहीं है. इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के अलावा हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी आते हैं. कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा के साथ इन तीनों बड़े कांग्रेसी नेताओं की साख इस सीट पर दांव पर है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से सांसद अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस प्रत्याशी राम लाल ठाकुर को 3,99,572 मतों से हराया था. इस करारी हार के बाद अब कांग्रेस सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रही होगी. क्योंकि मौजूदा समय में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है.

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के मुद्दे: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की 4 लोकसभा सीटों में से हमीरपुर लोकसभा सीट ऐसी है. जिसका अधिकतर हिस्सा मैदानी है और पंजाब से लगता है. ऐसे में इस इलाके के मौसम से लेकर भाषा, बोली और संस्कृति प्रदेश के अन्य पहाड़ी क्षेत्रों से अलग है. वहीं, अगर मुद्दों की बात की जाए तो इस लोकसभा क्षेत्र में लोगों के कई मुद्दे हैं.

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो (ETV Bharat GFX)

अग्निवीर स्कीम है बड़ा मुद्दा: हमीरपुर संसदीय सीट से सेना में नौकरी करने वालों की एक अच्छी खासी संख्या है. करीब हर एक गांव से इस संसदीय सीट में एक फौजी है. हाल ही में बीजेपी की केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई अग्निवीर स्कीम युवाओं के बीच बड़ा मुद्दा है. सेना में भर्ती की तैयारी करने वाले युवा केंद्र सरकार की इस स्कीम से नाखुश हैं. ऐसे में बीजेपी को इसका नुकसान हो सकता है. वहीं, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में अग्निवीर स्कीम को बंद करने की बात कही है. ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस इसका कितना फायदा उठाती है.

रोजगार के लिए युवाओं को करना पड़ता है पलायन: हमीरपुर संसदीय सीट में युवाओं का पलायन भी बड़ा मुद्दा है. ऊना जिले को छोड़ दें तो इस संसदीय सीट में ना के बराबर उद्योग हैं. ऐसे में युवाओं को पड़ोसी राज्य पंजाब, केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ व अन्य बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता है. प्रदेश के युवा हर चुनाव में राजनीतिक दलों से इसकी शिकायत करते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है.

ऊना-हमीरपुर रेल लाइन: इस सीट पर रेल लाइन एक बड़ा मुद्दा है. ऊना से हमीरपुर तक रेल लाइन का मसला केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने 2015 में प्रमुखता से उठाया था, लेकिन अभी तक इस पर काम शुरू नहीं हो पाया है. बीजेपी-कांग्रेस इस मुद्दे पर एक दूसरे के सिर पर ठीकरा फोड़ रहे हैं. अनुराग ठाकुर कई बार चुनावी भाषणों में कह चुके हैं कि कांग्रेस सरकार ने अपने हिस्से की राशि रेल लाइन निर्माण के लिए जमा नहीं करवाई. वहीं, प्रदेश कांग्रेस और खुद सीएम सुक्खू कह चुके हैं कि ऊना-हमीरपुर रेल लाइन के नाम पर बस राजनीति करते हैं. चुनाव के समय उन्हें इसकी याद आती है. बता दें कि 45 किमी लंबी हमीरपुर-ऊना रेलवे लाइन में 4 स्टेशन बनेंगे. इस रेलवे लाइन में 11 सुरंगे और 13 पुल का निर्माण प्रस्तावित है. सियासी दावों के विपरीत इस रेलवे लाइन को पिछले 3 साल से बजट नहीं, बल्कि ₹1000 का शगुन मिल रहा है. प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत साल 2019 में 5000 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई थी.

युवाओं में बढ़ता नशे का प्रचलन: यहां युवाओं में बढ़ता नशे का सेवन भी बड़ा मुद्दा है. खासतौर पर चिट्टा हमीरपुर संसदीय सीट में कई घरों के चिराग बुझा चुका है. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के ऊना व बिलासपुर जिले की सीमाएं पड़ोसी राज्य पंजाब से लगती हैं. यहां से तस्कर चिट्टे को हिमाचल पहुंचाते हैं. परिजनों के लिए चिट्टा एक बड़ा सिरदर्द है जबकि कांग्रेस और भाजपा इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं.

OPS है बड़ा मुद्दा: सुक्खू सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों के लिए सत्ता में आते ही पहली कैबिनेट बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी थी. सुक्खू सरकार इसी मुद्दे पर बीजेपी सरकार को हराने में सफल रही थी. वहीं, लोकसभा चुनाव में सुक्खू सरकार को इस फैसले के लिए वोट पड़ेंगे या नहीं यह देखना खास होगा. बता दें कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में हमीरपुर संसदीय सीट में 17 विधानसभा सीटों में से 10 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी. जबकि 5 सीटें बीजेपी और 2 पर निर्दलीय विधायक जीते थे.

1967 में अस्तित्व में आई सीट: 1967 में हमीरपुर लोकसभा सीट पहली बार अस्तित्व में आई थी. उस लोकसभा चुनाव के दौरान पहली और आखिरी बार हिमाचल में 6 सीटें थीं. जिसमें हमीरपुर के अलावा महासू, शिमला, कांगड़ा, चंबा और मंडी शामिल थीं. उसके बाद से हिमाचल में 4 लोकसभा सीटें हैं. 1977 में चली जनता दल की आंधी के दौरान यहां भी जनता दल के रणजीत सिंह ने चुनाव जीता था. इसके अलावा 1967 से 1984 तक कांग्रेस का ही एकछत्र राज रहा. जिसे 1989 में पहली बार बीजेपी उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल ने चुनाव जीतकर कांग्रेस का राज खत्म किया. इसके बाद सिर्फ 1996 के चुनावों में ही कांग्रेस उम्मीदवार यहां से जीत पाया. तब से अब तक ये सीट बीजेपी की झोली में ही जाती रही है.

हमीरपुर लोकसभा चुनाव 2019: लोकसभा चुनाव 2019 में हमीरपुर लोकसभा सीट पर कुल 13,62,269 मतदाता थे. इनमें 6,91,683 पुरुष और 6,70,579 महिला और 7 थर्ड जेंडर मतदाता थे. चुनाव आयोग ने कुल 1764 पोलिंग स्टेशन बनाए थे, जहां मतदाताओं ने 11 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद की थी. 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो अनुराग ठाकुर ने बंपर जीत हासिल की थी और कांग्रेस उम्मीदवार राम लाल ठाकुर को 3,99,572 वोट से हराया था. अनुराग ठाकुर को कुल 6,82,692 वोट (68.61%) और राम लाल ठाकुर को 2,83,120 वोट (28.87%) मिले थे.

ये भी पढ़ें: लगातार 8 बार खिल चुका है कमल, क्या इस बार 'हाथ' आएगी हमीरपुर लोकसभा सीट

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर की लोकसभा सीट बीजेपी का सबसे मजबूत किला है. साल 1998 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी का ही 'कमल' खिला है. चुनाव दर चुनाव बीजेपी इस सीट पर मजबूत होती चली गई. वहीं, कांग्रेस का 'हाथ' आज भी इस सीट पर अपनी जमीन तलाश रहा है.

अनुराग ठाकुर लगा चुके हैं जीत का चौका: हमीरपुर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर लगातार 4 बार चुनाव जीत चुके हैं. पार्टी ने इस बार भी उन्हें ही चुनावी मैदान में उतारा है. अनुराग ठाकुर 2008 का लोकसभा उपचुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इसके बाद से वह लगातार 2009, 2014 और 2019 में इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अनुराग ठाकुर को वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली थी. जबकि मौजूदा समय में वह खेल, युवा और सूचना प्रसारण मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा हारे हैं विधानसभा चुनाव: हमीरपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अनुराग ठाकुर के खिलाफ साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने हारे हुए प्रत्याशी सतपाल रायजादा को टिकट दिया है. सतपाल रायजादा मूल रूप से ऊना जिले के रहने वाले हैं. यह पहली दफा है जब वह लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती को चुनाव हराया था. साल 2022 में सतपाल सिंह सत्ती ने उन्हें ऊना सदर सीट से पटखनी दी. विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद भी सतपाल सिंह रायजादा को काफी माथापच्ची करने के बाद कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है.

हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से कब कौन रहा सांसद.
हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से कब कौन रहा सांसद. (ETV Bharat (GFX))

सीएम समेत 3 बड़े नेताओं की दांव पर है साख: हमीरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस की राह आसान नहीं है. इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के अलावा हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी आते हैं. कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा के साथ इन तीनों बड़े कांग्रेसी नेताओं की साख इस सीट पर दांव पर है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से सांसद अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस प्रत्याशी राम लाल ठाकुर को 3,99,572 मतों से हराया था. इस करारी हार के बाद अब कांग्रेस सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रही होगी. क्योंकि मौजूदा समय में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है.

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के मुद्दे: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की 4 लोकसभा सीटों में से हमीरपुर लोकसभा सीट ऐसी है. जिसका अधिकतर हिस्सा मैदानी है और पंजाब से लगता है. ऐसे में इस इलाके के मौसम से लेकर भाषा, बोली और संस्कृति प्रदेश के अन्य पहाड़ी क्षेत्रों से अलग है. वहीं, अगर मुद्दों की बात की जाए तो इस लोकसभा क्षेत्र में लोगों के कई मुद्दे हैं.

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो (ETV Bharat GFX)

अग्निवीर स्कीम है बड़ा मुद्दा: हमीरपुर संसदीय सीट से सेना में नौकरी करने वालों की एक अच्छी खासी संख्या है. करीब हर एक गांव से इस संसदीय सीट में एक फौजी है. हाल ही में बीजेपी की केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई अग्निवीर स्कीम युवाओं के बीच बड़ा मुद्दा है. सेना में भर्ती की तैयारी करने वाले युवा केंद्र सरकार की इस स्कीम से नाखुश हैं. ऐसे में बीजेपी को इसका नुकसान हो सकता है. वहीं, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में अग्निवीर स्कीम को बंद करने की बात कही है. ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस इसका कितना फायदा उठाती है.

रोजगार के लिए युवाओं को करना पड़ता है पलायन: हमीरपुर संसदीय सीट में युवाओं का पलायन भी बड़ा मुद्दा है. ऊना जिले को छोड़ दें तो इस संसदीय सीट में ना के बराबर उद्योग हैं. ऐसे में युवाओं को पड़ोसी राज्य पंजाब, केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ व अन्य बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता है. प्रदेश के युवा हर चुनाव में राजनीतिक दलों से इसकी शिकायत करते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है.

ऊना-हमीरपुर रेल लाइन: इस सीट पर रेल लाइन एक बड़ा मुद्दा है. ऊना से हमीरपुर तक रेल लाइन का मसला केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने 2015 में प्रमुखता से उठाया था, लेकिन अभी तक इस पर काम शुरू नहीं हो पाया है. बीजेपी-कांग्रेस इस मुद्दे पर एक दूसरे के सिर पर ठीकरा फोड़ रहे हैं. अनुराग ठाकुर कई बार चुनावी भाषणों में कह चुके हैं कि कांग्रेस सरकार ने अपने हिस्से की राशि रेल लाइन निर्माण के लिए जमा नहीं करवाई. वहीं, प्रदेश कांग्रेस और खुद सीएम सुक्खू कह चुके हैं कि ऊना-हमीरपुर रेल लाइन के नाम पर बस राजनीति करते हैं. चुनाव के समय उन्हें इसकी याद आती है. बता दें कि 45 किमी लंबी हमीरपुर-ऊना रेलवे लाइन में 4 स्टेशन बनेंगे. इस रेलवे लाइन में 11 सुरंगे और 13 पुल का निर्माण प्रस्तावित है. सियासी दावों के विपरीत इस रेलवे लाइन को पिछले 3 साल से बजट नहीं, बल्कि ₹1000 का शगुन मिल रहा है. प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत साल 2019 में 5000 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई थी.

युवाओं में बढ़ता नशे का प्रचलन: यहां युवाओं में बढ़ता नशे का सेवन भी बड़ा मुद्दा है. खासतौर पर चिट्टा हमीरपुर संसदीय सीट में कई घरों के चिराग बुझा चुका है. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के ऊना व बिलासपुर जिले की सीमाएं पड़ोसी राज्य पंजाब से लगती हैं. यहां से तस्कर चिट्टे को हिमाचल पहुंचाते हैं. परिजनों के लिए चिट्टा एक बड़ा सिरदर्द है जबकि कांग्रेस और भाजपा इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं.

OPS है बड़ा मुद्दा: सुक्खू सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों के लिए सत्ता में आते ही पहली कैबिनेट बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी थी. सुक्खू सरकार इसी मुद्दे पर बीजेपी सरकार को हराने में सफल रही थी. वहीं, लोकसभा चुनाव में सुक्खू सरकार को इस फैसले के लिए वोट पड़ेंगे या नहीं यह देखना खास होगा. बता दें कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में हमीरपुर संसदीय सीट में 17 विधानसभा सीटों में से 10 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी. जबकि 5 सीटें बीजेपी और 2 पर निर्दलीय विधायक जीते थे.

1967 में अस्तित्व में आई सीट: 1967 में हमीरपुर लोकसभा सीट पहली बार अस्तित्व में आई थी. उस लोकसभा चुनाव के दौरान पहली और आखिरी बार हिमाचल में 6 सीटें थीं. जिसमें हमीरपुर के अलावा महासू, शिमला, कांगड़ा, चंबा और मंडी शामिल थीं. उसके बाद से हिमाचल में 4 लोकसभा सीटें हैं. 1977 में चली जनता दल की आंधी के दौरान यहां भी जनता दल के रणजीत सिंह ने चुनाव जीता था. इसके अलावा 1967 से 1984 तक कांग्रेस का ही एकछत्र राज रहा. जिसे 1989 में पहली बार बीजेपी उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल ने चुनाव जीतकर कांग्रेस का राज खत्म किया. इसके बाद सिर्फ 1996 के चुनावों में ही कांग्रेस उम्मीदवार यहां से जीत पाया. तब से अब तक ये सीट बीजेपी की झोली में ही जाती रही है.

हमीरपुर लोकसभा चुनाव 2019: लोकसभा चुनाव 2019 में हमीरपुर लोकसभा सीट पर कुल 13,62,269 मतदाता थे. इनमें 6,91,683 पुरुष और 6,70,579 महिला और 7 थर्ड जेंडर मतदाता थे. चुनाव आयोग ने कुल 1764 पोलिंग स्टेशन बनाए थे, जहां मतदाताओं ने 11 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद की थी. 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो अनुराग ठाकुर ने बंपर जीत हासिल की थी और कांग्रेस उम्मीदवार राम लाल ठाकुर को 3,99,572 वोट से हराया था. अनुराग ठाकुर को कुल 6,82,692 वोट (68.61%) और राम लाल ठाकुर को 2,83,120 वोट (28.87%) मिले थे.

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Last Updated : May 19, 2024, 7:39 PM IST
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