शिवपुरी: मध्य प्रदेश जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) योजना के तहत विशेष रूप से पिछड़े जनजातीय परिवारों के लिये पक्का आवास बनाने में सबसे आगे है. मध्य प्रदेश में कुल 1,13,433 जनमन आवास स्वीकृत हुए थे. इनमें से 22,619 आवास बनाकर मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है. ओडिशा 1620 आवासों के साथ दूसरे, छत्तीसगढ़ 526 आवास बनाकर तीसरे और राजस्थान 87 आवास बनाकर चौथे स्थान पर है. प्रदेश में शिवपुरी में सबसे ज्यादा 4,443 आवास बने हैं. उमरिया 3,264 आवास बनाकर दूसरे और शहडोल 3,164 आवासों के साथ तीसरे, मंडला 2,112 आवासों के साथ चौथे और अनूपपुर 1,891 के साथ प्रदेश में पांचवे स्थान पर है. इसके साथ ही देश की पहली प्रधानमंत्री जनमन कालोनी शिवपुरी में बनाकर मध्य प्रदेश ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
प्रहलाट पटेल ने किया दौरा
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल शनिवार को शिवपुरी के दौरे पर थे. मंत्री ने जनपद पंचायत के हातौद, कोटा और डबिया ग्राम पंचायतों में पीएम-जनमन योजना के तहत बने मकानों का निरीक्षण किया. उन्होंने सहरिया परिवारों का स्वागत किया और नया घर मिलने की बधाई दी. सहरिया परिवार की महिलाओं ने उन्हें राखी भी बांधी. पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की ओर से भी लाभार्थी परिवारों को बधाई और शुभकामनाएं दी.
शिवपुरी में सबसे पहला आवास और कॉलोनी
प्रहलाद पटेल ने कहा कि, 'देश में सबसे पहला जनमन आवास बनाने वाला जिला शिवपुरी है और सबसे पहले जनमन कालोनी बनाने का रिकॉर्ड बनाने वाले जिला भी शिवपुरी है. मध्य प्रदेश आवास बनाने में देश में सबसे आगे है. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रधानमंत्री आदिवासी न्याय महाअभियान शुरू होने के 23 दिन के भीतर ही शिवपुरी में पहला आवास बन गया था और 29 दिनों में छिंदवाड़ा में दूसरा आवास बना.' उन्होंने लाभार्थी सहरिया परिवारों से आग्रह किया कि, 'पक्का घर मिलने के साथ ही बच्चों की पढ़ाई पर और ज्यादा ध्यान दें. आवास के साथ बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य की सुविधा एक साथ मिलना भी सहरिया परिवारों के लिए सबसे बड़ी सहूलियत हैं.'
लाभार्थियों ने की आवास की जमकर तारीफ
जनमन योजना की लाभार्थी सिया एक महीने से अपने नए घर में रह रही हैं. मकान मिलने से वह बहुत खुश हैं. सिया ने बताया कि, 'जनवरी से ही मकान बनना शुरू हो गया था. पहले 50 हजार मिले थे. इसके बाद दूसरी और तीसरी बार में 75 हजार मिले. घर मिलने से बच्चे सबसे ज्यादा खुश हैं. घर में कोई कमी नहीं है. पानी, बाथरूम, लाइट सभी सुविधाएं हैं.'
वहीं, एक और लाभार्थी सीमा सहरिया अपने 5 बच्चों के साथ घर में रहते हुए बहुत खुश हैं. वे कहती हैं कि, 'हमें हमेशा के लिए कच्चे घर से छुट्टी मिल गई. कच्चे घर में हमेशा टूट होती रहती थी. आधा समय घर ठीक करने में ही चला जाता था. काम पर जाते थे तो वहां भी घर की चिंता सताती रहती थी. अब प्रधानमंत्री ने सबकी चिंता ही दूर कर दी.'
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शहीद के नाम पर है कालोनी का नाम
ग्राम पंचायत हातौद में जनमन कालोनी का नाम शहीद तिलका मांझी आदिवासी कालोनी रखा गया है. यहां 18 सहरिया परिवारों के 75 लोग रह रहे हैं. डबिया ग्राम पंचायत में जनमन कालोनी का नाम श्रीराम बिहार कोलोनी है. यहां 28 सहरिया परिवारों के 99 लोग रह रहे हैं जबकि कोटा ग्राम पंचायत देश की तीसरी जनमन कालोनी है. इसका नाम जौहर कालोनी रखा गया है. यहां 18 सहरिया परिवारों के 90 लोग रह रहे हैं.