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श्राद्ध पक्ष : तीर्थराज पुष्कर में पूर्वजों के श्राद्ध से मिलता है अक्षय फल, जानिए श्राद्ध पक्ष की तिथियां - Pitru Paksha 2024

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 17, 2024, 6:32 AM IST

Updated : Sep 17, 2024, 8:21 AM IST

मंगलवार से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो रही है. श्राद्ध पक्ष इस बार 17 सितंबर से 3 अक्टूबर तक रहेगा. ऐसा माना जाता है कि अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना ही श्राद्ध है. पढ़िए पूरी खबर और जानिए श्राद्ध की महत्ता और तिथियों के बारे में.

श्राद्ध पक्ष 2024
श्राद्ध पक्ष 2024 (ETV Bharat GFX)
तीर्थराज पुष्कर में पूर्वजों के श्राद्ध से मिलता है अक्षय फल. (ETV Bharat ajmer)

अजमेर : हिंदू सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है. अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना ही श्राद्ध है. हिंदू रीति के अनुसार प्रमुख तीर्थ स्थानों पर पूर्वजों का श्राद्ध करने का विधान है, यदि कोई तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध कर्म के लिए नहीं जा पाता है तो अपने पास ही जलाशय जाकर भी अपने पूर्वजों का तर्पण कर सकता है. माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं. ऐसे में पूर्वजों के आगमन पर उनके प्रति श्रद्धा रखने से उनका आशीर्वाद खुशहाली और समृद्धि के रूप में मिलता है. तीर्थराज पुष्कर हिंदुओं की सबसे बड़ी तीर्थस्थली है. यहां श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है. भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध भी पुष्कर की पवित्र धरा पर ही किया था.

इस बार 17 सितंबर से 3 अक्टूबर तक श्राद्ध पक्ष रहेगा. इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं होंगे. तीर्थराज पुष्कर में श्राद्ध कर्म के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहेगा. जगत पिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है. पुष्कर के पवित्र सरोवर के 52 घाटों पर तीर्थ पुरोहितों के आचार्यत्व में श्राद्ध होंगे. इसके अलावा बूढ़ा पुष्कर और गया कुंड में भी श्राद्ध कर्म होते हैं. वराह घाट पर कुर्मांचल क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालुओं के पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा बताते हैं कि भाद्र पक्ष की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी 16 दिन श्राद्ध पक्ष के माने गए हैं. श्राद्ध पक्ष के दौरान पूर्वज अपने घर और अपनों को देखने के लिए आते हैं. पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध किया जाता है, यानी श्राद्ध कर्म करके पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है. उन्होंने बताया कि वेदों में उल्लेख है कि पूर्वजों की पूजा करने से धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, वंश में बढ़ोतरी होती है. देश में पांच प्रमुख तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. इनमें बोध गया, गंगा, पुष्कर, कुरुक्षेत्र और सौराष्ट्र में प्रबास तीर्थ है.

इसे भी पढ़ें- पितृपक्ष 2024: इस समय करें पितरों का तर्पण और पिंडदान, मिलेगी असीम कृपा, इनको लगाएं भोग - Pitra Paksha 2024

ब्रह्मा ने किया था पितृ मेघ यज्ञ : पंडित सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि पुष्कर में जगत पिता ब्रह्मा ने पितृ मेघ यज्ञ किया था. इस यज्ञ में ब्रह्मा ने अपने पितरों का पूजन किया और ऋषियों को पितरों की पूजा का विधान बताया. तीर्थ पुरोहित ने बताया कि पुष्कर तीर्थ में यदि कोई श्रद्धालु पिंडदान करता है तो उसके सात कुल का उद्धार तीर्थराज पुष्कर करते हैं. पद्म पुराण में यह उल्लेख है. उन्होंने बताया कि सभी पंच तीर्थ में सात कुलों के श्राद्ध का महत्व है. श्राद्ध पक्ष में पितरों से उम्मीद करते हैं कि उनके वंश में कोई तो भागीरथ होगा जो उनके लिए तर्पण, पिंडदान आदि करेगा. श्राद्ध करने से पितृ दोष का निवारण होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपने पितरों के निमित्त श्रद्धा रखें. श्राद्ध पक्ष में यदि कोई तीर्थ स्थान पर नहीं जा सकता है तो वह अपने आसपास किसी जलाशय पर जाकर ही पितरों के निमित्त तर्पण कर दें. पितृ उसे भी स्वीकार करते हैं.

17 सितंबर से 3 अक्टूबर तक रहेगा श्राद्ध पक्ष : पुष्कर में पंडित कैलाश नाथ दाधीच बताते हैं कि ज्योतिष एवं पंचांग की गणितीय ज्ञान के आधार पर 17 सितंबर मंगलवार चतुर्दशी को दिन में 11 बजकर 40 मिनट पर पूर्णिमा का आगमन होगा. इस दिन पूर्णिमा का श्राद्ध होगा पूर्णिमा का व्रत भी इसी दिन होगा. साथ ही अनंत चतुर्दशी का व्रत और गणपति विसर्जन भी इसी दिन होगा. 18 सितंबर बुधवार को प्रतिपदा का श्राद्ध होगा. इस दिन चंद्र ग्रहण विदेश में रहेगा. भारत में चंद्र ग्रहण की मान्यता नहीं होगी. यम नियम सूतक का प्रभाव नहीं रहेगा. उन्होंने बताया कि 19 सितंबर गुरुवार को दूज का श्राद्ध होगा. 20 सितंबर शुक्रवार को तृतीया का श्राद्ध होगा. 21 सितंबर शनिवार को चतुर्थी का श्राद्ध होगा. 22 सितंबर रविवार को पंचमी एवं छठ का श्राद्ध होगा. दोनों श्रद्धा एक ही दिन होगा. 23 सितंबर सोमवार को सप्तमी का श्राद्ध होगा. 24 सितंबर मंगलवार को अष्टमी का श्राद्ध होगा. 25 सितंबर बुधवार को नवमी का श्राद्ध और 26 सितंबर गुरुवार को दशमी का श्राद्ध होगा.

इसे भी पढ़ें- वैशाख अमावस्या आज, पितृ दोष से मुक्ति के लिए जरूर करें ये उपाय - Vaishakh Amavasya 2024

इसी तरह 27 सितंबर शुक्रवार को एकादशी का श्राद्ध होगा. 29 सितंबर रविवार को द्वादशी का श्राद्ध होगा. 30 सितंबर सोमवार को त्रयोदशी का श्राद्ध होगा. 1 अक्टूबर मंगलवार को चतुर्दशी का श्रद्धा होगा. पंडित कैलाशनाथ दाधीच बताते हैं कि 1 अक्टूबर को चतुर्दशी श्राद्ध के दिन अस्त्र-शास्त्र, आत्महत्या, दुर्घटना, जल, अग्नि, झगड़े (अकाल मृत्यु) में जिनकी मृत्यु हुई है, ऐसी आत्माओं की शांति के लिए श्राद्ध होगा. उन्होंने बताया कि 2 अक्टूबर बुधवार को देव पितृ या सर्वप्रथम अमावस्या रहेगी. इस दिन जिन दिवंगतों की तिथि दिन, वार, महीना तारीख नहीं मालूम है उन सभी आत्माओं का श्राद्ध तर्पण नारायण बलि पिंडदान प्रधान एक पिंड श्रद्धा त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म करने से पितरों की मोक्ष गति आत्मिक शांति और स्वर्ग प्राप्ति का योग बनता है. 3 अक्टूबर गुरुवार को माता, नाना, नानी का श्राद्ध करने के बाद नवरात्रि घट स्थापना अग्रसेन जयंती का पर्व मनाया जाएगा.

श्रीराम ने किया था पिता दशरथ का श्राद्ध : पुष्कर स्थित गया कुंड का भी यहां विशेष महत्व है. मान्यता है कि जो बिहार में गया जाकर अपने पितरों का श्राद्ध नहीं कर सकता है. वह पुष्कर के गया कुंड में श्राद्ध कर सकता है. पद्म पुराण के अनुसार वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ सहित सभी पूर्वजों का श्राद्ध गया कुंड में किया था. श्राद्ध कर्म के बाद भगवान श्री राम ने ऋषि मुनियों और ब्राह्मणों को यहीं भोजन भी करवाया था. द्वापर युग में पांडवों ने भी अपने पूर्वजों के निमित्त यहां श्राद्ध किया था. सदियों से श्रद्धालु पुष्कर में जगत पिता ब्रह्मा के दर्शनों के लिए आते रहे हैं. यहां आने पर श्रद्धालु अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करवाना नहीं भूलते हैं.

तीर्थराज पुष्कर में पूर्वजों के श्राद्ध से मिलता है अक्षय फल. (ETV Bharat ajmer)

अजमेर : हिंदू सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है. अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना ही श्राद्ध है. हिंदू रीति के अनुसार प्रमुख तीर्थ स्थानों पर पूर्वजों का श्राद्ध करने का विधान है, यदि कोई तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध कर्म के लिए नहीं जा पाता है तो अपने पास ही जलाशय जाकर भी अपने पूर्वजों का तर्पण कर सकता है. माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं. ऐसे में पूर्वजों के आगमन पर उनके प्रति श्रद्धा रखने से उनका आशीर्वाद खुशहाली और समृद्धि के रूप में मिलता है. तीर्थराज पुष्कर हिंदुओं की सबसे बड़ी तीर्थस्थली है. यहां श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है. भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध भी पुष्कर की पवित्र धरा पर ही किया था.

इस बार 17 सितंबर से 3 अक्टूबर तक श्राद्ध पक्ष रहेगा. इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं होंगे. तीर्थराज पुष्कर में श्राद्ध कर्म के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहेगा. जगत पिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है. पुष्कर के पवित्र सरोवर के 52 घाटों पर तीर्थ पुरोहितों के आचार्यत्व में श्राद्ध होंगे. इसके अलावा बूढ़ा पुष्कर और गया कुंड में भी श्राद्ध कर्म होते हैं. वराह घाट पर कुर्मांचल क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालुओं के पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा बताते हैं कि भाद्र पक्ष की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी 16 दिन श्राद्ध पक्ष के माने गए हैं. श्राद्ध पक्ष के दौरान पूर्वज अपने घर और अपनों को देखने के लिए आते हैं. पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध किया जाता है, यानी श्राद्ध कर्म करके पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है. उन्होंने बताया कि वेदों में उल्लेख है कि पूर्वजों की पूजा करने से धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, वंश में बढ़ोतरी होती है. देश में पांच प्रमुख तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. इनमें बोध गया, गंगा, पुष्कर, कुरुक्षेत्र और सौराष्ट्र में प्रबास तीर्थ है.

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ब्रह्मा ने किया था पितृ मेघ यज्ञ : पंडित सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि पुष्कर में जगत पिता ब्रह्मा ने पितृ मेघ यज्ञ किया था. इस यज्ञ में ब्रह्मा ने अपने पितरों का पूजन किया और ऋषियों को पितरों की पूजा का विधान बताया. तीर्थ पुरोहित ने बताया कि पुष्कर तीर्थ में यदि कोई श्रद्धालु पिंडदान करता है तो उसके सात कुल का उद्धार तीर्थराज पुष्कर करते हैं. पद्म पुराण में यह उल्लेख है. उन्होंने बताया कि सभी पंच तीर्थ में सात कुलों के श्राद्ध का महत्व है. श्राद्ध पक्ष में पितरों से उम्मीद करते हैं कि उनके वंश में कोई तो भागीरथ होगा जो उनके लिए तर्पण, पिंडदान आदि करेगा. श्राद्ध करने से पितृ दोष का निवारण होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है कि वह अपने पितरों के निमित्त श्रद्धा रखें. श्राद्ध पक्ष में यदि कोई तीर्थ स्थान पर नहीं जा सकता है तो वह अपने आसपास किसी जलाशय पर जाकर ही पितरों के निमित्त तर्पण कर दें. पितृ उसे भी स्वीकार करते हैं.

17 सितंबर से 3 अक्टूबर तक रहेगा श्राद्ध पक्ष : पुष्कर में पंडित कैलाश नाथ दाधीच बताते हैं कि ज्योतिष एवं पंचांग की गणितीय ज्ञान के आधार पर 17 सितंबर मंगलवार चतुर्दशी को दिन में 11 बजकर 40 मिनट पर पूर्णिमा का आगमन होगा. इस दिन पूर्णिमा का श्राद्ध होगा पूर्णिमा का व्रत भी इसी दिन होगा. साथ ही अनंत चतुर्दशी का व्रत और गणपति विसर्जन भी इसी दिन होगा. 18 सितंबर बुधवार को प्रतिपदा का श्राद्ध होगा. इस दिन चंद्र ग्रहण विदेश में रहेगा. भारत में चंद्र ग्रहण की मान्यता नहीं होगी. यम नियम सूतक का प्रभाव नहीं रहेगा. उन्होंने बताया कि 19 सितंबर गुरुवार को दूज का श्राद्ध होगा. 20 सितंबर शुक्रवार को तृतीया का श्राद्ध होगा. 21 सितंबर शनिवार को चतुर्थी का श्राद्ध होगा. 22 सितंबर रविवार को पंचमी एवं छठ का श्राद्ध होगा. दोनों श्रद्धा एक ही दिन होगा. 23 सितंबर सोमवार को सप्तमी का श्राद्ध होगा. 24 सितंबर मंगलवार को अष्टमी का श्राद्ध होगा. 25 सितंबर बुधवार को नवमी का श्राद्ध और 26 सितंबर गुरुवार को दशमी का श्राद्ध होगा.

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इसी तरह 27 सितंबर शुक्रवार को एकादशी का श्राद्ध होगा. 29 सितंबर रविवार को द्वादशी का श्राद्ध होगा. 30 सितंबर सोमवार को त्रयोदशी का श्राद्ध होगा. 1 अक्टूबर मंगलवार को चतुर्दशी का श्रद्धा होगा. पंडित कैलाशनाथ दाधीच बताते हैं कि 1 अक्टूबर को चतुर्दशी श्राद्ध के दिन अस्त्र-शास्त्र, आत्महत्या, दुर्घटना, जल, अग्नि, झगड़े (अकाल मृत्यु) में जिनकी मृत्यु हुई है, ऐसी आत्माओं की शांति के लिए श्राद्ध होगा. उन्होंने बताया कि 2 अक्टूबर बुधवार को देव पितृ या सर्वप्रथम अमावस्या रहेगी. इस दिन जिन दिवंगतों की तिथि दिन, वार, महीना तारीख नहीं मालूम है उन सभी आत्माओं का श्राद्ध तर्पण नारायण बलि पिंडदान प्रधान एक पिंड श्रद्धा त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म करने से पितरों की मोक्ष गति आत्मिक शांति और स्वर्ग प्राप्ति का योग बनता है. 3 अक्टूबर गुरुवार को माता, नाना, नानी का श्राद्ध करने के बाद नवरात्रि घट स्थापना अग्रसेन जयंती का पर्व मनाया जाएगा.

श्रीराम ने किया था पिता दशरथ का श्राद्ध : पुष्कर स्थित गया कुंड का भी यहां विशेष महत्व है. मान्यता है कि जो बिहार में गया जाकर अपने पितरों का श्राद्ध नहीं कर सकता है. वह पुष्कर के गया कुंड में श्राद्ध कर सकता है. पद्म पुराण के अनुसार वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ सहित सभी पूर्वजों का श्राद्ध गया कुंड में किया था. श्राद्ध कर्म के बाद भगवान श्री राम ने ऋषि मुनियों और ब्राह्मणों को यहीं भोजन भी करवाया था. द्वापर युग में पांडवों ने भी अपने पूर्वजों के निमित्त यहां श्राद्ध किया था. सदियों से श्रद्धालु पुष्कर में जगत पिता ब्रह्मा के दर्शनों के लिए आते रहे हैं. यहां आने पर श्रद्धालु अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करवाना नहीं भूलते हैं.

Last Updated : Sep 17, 2024, 8:21 AM IST
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