लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक बुजुर्ग मां ने याचिका दाखिल कर आरोप लगाया है, एमबीए शिक्षित उसके बेटे को चोरी के फर्जी केस में सिर्फ इसलिए गिरफ्तारी दिखा दी गई, क्योंकि उसने रायबरेली के एसपी अभिषेक अग्रवाल को टैक्सी देने से इंकार कर दिया था. मंगलवार को न्यायालय ने मामले को बहुत गंभीर मानते हुए, पुलिस महानिदेशक को मामले में एसआईटी गठित कर जांच कराने का आदेश दिया.
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि एसआईटी में ऐसे अधिकारी रखे जाएं, जो एसपी अभिषेक अग्रवाल व मामले में शामिल अन्य पुलिस अधिकारियों से वरिष्ठ हों. इसी के साथ न्यायालय ने दो माह में एसआईटी को अपनी रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने गोमती मिश्रा की याचिका पर पारित किया.
याची की ओर से दलील दी गई कि उसके बेटे अलख मिश्रा को 30-31 मार्च की रात को पुलिस ने रायबरेली के मौरांवा पेट्रोल पम्प से गिरफ्तार किया व उसे थाना खीरो ले जाया गया, जहां उसे मारा पीटा गया और अगले दिन 31-1 की रात को उसकी हिंदूपुर गांव में चोरी के दौरान गिरफ्तारी दिखा दी. कहा गया कि 30-31 मार्च को पेट्रोल पम्प से की गई गिरफ्तारी की सीसीटीवी फुटेज मौजूद है.
न्यायालय ने मामले में पुलिस अधिकारियों से जवाब मांगा, लेकिन कोर्ट द्वारा कई बार समय दिए जाने के बावजूद रायबरेली पुलिस की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा सका. पुलिस अधिकारी सिर्फ यही दोहराते रहे कि अलख मिश्रा को 31 मार्च और 1 अप्रैल की रात्रि में गिरफ्तार किया गया था.
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