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कोडरमा के इन गांव का हाल, विकास यहां पहुंचता नहीं, कल्याण की तो पूछिए मत, सालों से एक पुल की है मांग - Demand of Koderma villagers - DEMAND OF KODERMA VILLAGERS

Bishanpur village of Koderma. कोडरमा में आज भी कुछ गांव हैं, जहां विकास की एक झलक तक नहीं पहुंची है. एक पुल और एक सड़क के लिए लोग तरस रहे हैं. आलम यह है कि बारिश के दिनों में ये गांव टापू बन जाते हैं. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

DEMAND OF KODERMA VILLAGERS
कोडरमा के बदहाल गांव की तस्वीर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 19, 2024, 1:33 PM IST

Updated : May 19, 2024, 2:33 PM IST

जानकारी देते संवाददाता भोला शंकर (ETV BHARAT)

कोडरमा: जंगली क्षेत्र से बिहार से सटे हुए कोडरमा जिले के झरकी, बिशनपुर और सपहा गांव आज भी विकास से कोसों दूर हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आज तक इन तीनों गांव में आने जाने के लिए कोई भी रास्ता नहीं बन पाया है. कई एकड़ में फैली वृंदाहा नदी, बरसात को छोड़कर हर मौसम में इन तीनों गांवों तक आने का एकमात्र रास्ता होती है और जब बारिश का मौसम शुरू हो जाता है तो तकरीबन 4 महीने इस गांव के लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं या यूं कहें कि यह तीनों गांव टापू बन जाता है.

आज इस गांव की चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि चुनावी मौसम है और हर चुनावी मौसम में यहां के लोगों को यहां तक पहुंचने के लिए पुल निर्माण का आश्वासन मिला, लेकिन आज तक इन गांवों तक पहुंचने के लिए बृंदाहा नदी पर पुल निर्माण का आश्वासन पूरा नहीं हो पाया. लोकतंत्र के महापर्व में इस गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी भी निभाई, लेकिन एकमात्र रास्ता का अधिकार अब तक इन ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है.

इन तीनों गांव में तकरीबन 1500 की आबादी निवास करती है. इन गांव तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं होने के कारण यहां के ग्रामीणों को कई तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती है. तीन गांवों को मिलाकर दो स्कूल भी है, लेकिन इन तीनों गांव के बच्चे आठवीं से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते. दुर्गम जंगली रास्तों के अलावे कई बार इस नदी को पार करते वक्त हादसे भी हुए हैं, जिसके कारण यहां के लोग भयभीत भी रहते हैं.

गर्मी के मौसम में नदी का पानी सूखता है तो यहां के लोगों को रास्ता मिल जाता है, लेकिन पेयजल की समस्या गहराने लगती है. इन गांवों में कोई भी स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है, जिसके कारण कोई अगर बीमार पड़ जाता हैं तो खटिया या फिर किसी तरह लोग बीमार व्यक्ति को इलाज के लिए कोडरमा ला पाते हैं और सबसे ज्यादा परेशानी इनलोगों को बरसात में हो जाती है. मोटरसाइकिल के अलावे यहां तक आने जाने के लिए कोई साधन ही नहीं है. यहां के लोगों ने बताया कि इन समस्याओं को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर सरकारी अधिकारियों तक शिकायत पहुंचाई गई, लेकिन इनकी समस्याओं का अब तक हल नहीं हो पाया है.

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आज इस गांव की चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि चुनावी मौसम है और हर चुनावी मौसम में यहां के लोगों को यहां तक पहुंचने के लिए पुल निर्माण का आश्वासन मिला, लेकिन आज तक इन गांवों तक पहुंचने के लिए बृंदाहा नदी पर पुल निर्माण का आश्वासन पूरा नहीं हो पाया. लोकतंत्र के महापर्व में इस गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी भी निभाई, लेकिन एकमात्र रास्ता का अधिकार अब तक इन ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है.

इन तीनों गांव में तकरीबन 1500 की आबादी निवास करती है. इन गांव तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं होने के कारण यहां के ग्रामीणों को कई तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती है. तीन गांवों को मिलाकर दो स्कूल भी है, लेकिन इन तीनों गांव के बच्चे आठवीं से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते. दुर्गम जंगली रास्तों के अलावे कई बार इस नदी को पार करते वक्त हादसे भी हुए हैं, जिसके कारण यहां के लोग भयभीत भी रहते हैं.

गर्मी के मौसम में नदी का पानी सूखता है तो यहां के लोगों को रास्ता मिल जाता है, लेकिन पेयजल की समस्या गहराने लगती है. इन गांवों में कोई भी स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है, जिसके कारण कोई अगर बीमार पड़ जाता हैं तो खटिया या फिर किसी तरह लोग बीमार व्यक्ति को इलाज के लिए कोडरमा ला पाते हैं और सबसे ज्यादा परेशानी इनलोगों को बरसात में हो जाती है. मोटरसाइकिल के अलावे यहां तक आने जाने के लिए कोई साधन ही नहीं है. यहां के लोगों ने बताया कि इन समस्याओं को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर सरकारी अधिकारियों तक शिकायत पहुंचाई गई, लेकिन इनकी समस्याओं का अब तक हल नहीं हो पाया है.

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Last Updated : May 19, 2024, 2:33 PM IST
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