जयपुर: महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को लेकर एक बार फिर प्रदेश की सियासत में उबाल आता दिख रहा है. दरअसल, जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को हिंदी माध्यम में बदलने के प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं. इस पर तंज कसते हुए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि भाजपा सरकार महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करने के लिए हर दिन षड्यंत्र रच रही है.
गोविंद सिंह डोटासरा ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बयान जारी कर कहा कि भाजपा नेताओं के बच्चे इंग्लैंड, अमेरिका और विदेशी मुल्कों में पढ़ रहे हैं. नामी अंग्रेजी स्कूलों में पढ़कर कामयाब बन रहे हैं, लेकिन ये लोग नहीं चाहते हैं कि गरीब का बच्चा अंग्रेजी में पढ़ें, आगे बढ़ेे और अच्छी नौकरियां पाएं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को लेकर अपनी नीति साफ करनी चाहिए.
भाजपा नेताओं के बच्चे इंग्लैंड, अमेरिका और विदेशी मुल्कों में पढ़ रहे हैं, नामी अंग्रेजी स्कूलों में पढ़कर कामयाब बन रहे हैं।
— Govind Singh Dotasra (@GovindDotasra) February 18, 2025
लेकिन ये लोग नहीं चाहते है कि गरीब का बच्चा अंग्रेजी में पढ़े, आगे बढ़े और अच्छी नौकरियां पाएं।
इसलिए प्रदेश की भाजपा सरकार महात्मा गांधी अंग्रेजी… pic.twitter.com/QZKgtALOWO
अंग्रेजी स्कूलों को खत्म करने का नया तरीका : डोटासरा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करने के लिए हर दिन नई-नई तरकीब और षड्यंत्र रच रही है. अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा के निर्णय की चौतरफा निंदा के बाद अब भाजपा सरकार ने इन स्कूलों को खत्म करने का नया तरीका निकाला है. सरकार बड़ी संख्या में अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को हिंदी में रूपांतरित कर रही है. शिक्षा मंत्री अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को हिंदी में रूपांतरित करने के लिए दबाव बनाकर प्रस्ताव मांग रहे हैं.
कोटा में 28 स्कूलों के रूपांतरण के प्रस्ताव : उन्होंने दावा किया कि अकेले कोटा में बिना किसी ठोस कारण के 28 स्कूलों को फिर से हिंदी माध्यम में बदलने के प्रस्ताव भेजे गए. इन स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई है. बोर्ड की परीक्षाएं सिर पर हैं, लेकिन भाजपा सरकार का फोकस सिर्फ अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करने पर है. सरकार अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में न तो शिक्षकों की नियुक्ति कर रही है और न ही स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कोई बजट दे रही है.