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बिहार तकनीकी सेवा आयोग की भर्ती में पटना हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, EWS को आरक्षण का मामला - Patna High Court

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सीधी भर्ती में 10 फीसदी आरक्षण देने पर पटना हाईकोर्ट ने बिहार तकनीकी सेवा आयोग से जवाब तलब किया है. इस मामले में अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 5, 2024, 7:39 PM IST

पटना : पटना हाई कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को अनारक्षित पदों पर आरक्षण देने के बजाय सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण देने पर राज्य सरकार सहित बिहार तकनीकी सेवा आयोग से जबाब तलब किया है. चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने अजय कुमार लाल व अन्य की याचिकायों पर सुनवाई करते हुए चार सप्ताह में जबाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है.

सीधी भर्ती में आरक्षण का मामला : आवेदकों की ओर से वरीय अधिवक्ता डीके सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार अनारक्षित उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध पदों पर आरक्षण देने के बजाय सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण दे रही हैं. जबकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का कानून हैं.

सरकार के नियम 4 को चुनौती : आवेदक के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार इन्हें आरक्षण देने के बजाय सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण दे रही हैं. उन्होंने सरकार के नियम 4 को चुनौती देते हुए कहा कि जब दस प्रतिशत आरक्षण देना है , तो फिर कैसे कोई सीधी भर्ती में आरक्षण दे सकता हैं. उन्होंने इस नियम को निरस्त करने की मांग कोर्ट से की. वहीं, सरकार की ओर से आवेदकों की ओर से पेश दलील को नामंजूर करते हुए कहा गया कि सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण दे रही है.

EWS का मामला : उनका कहना था कि ईडब्लूएस के उम्मीदवार, जो अपने गुणवत्ता के आधार पर चुने जाते हैं, की गणना सीधी भर्ती कोटि में की जाएगी. गौरतलब है कि सरकारी रिक्तियों और शैक्षणिक संस्थानों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए) में प्रवेश में आरक्षण अधिनियम, 2019 और पदों और सेवा में रिक्तियों और शैक्षणिक संस्थानों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए) में प्रवेश में आरक्षण की घोषणा की हैं.

10 फीसदी EWS को आरक्षण : संविधान के 16 (6), 16 और 16(4 ए) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दस प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा कि संविधान और आरक्षण कानून सभी रिक्तियों में दस प्रतिशत आरक्षण देने की बात करता हैं. चार सप्ताह बाद इस मामले पर सुनवाई की जाएगी.

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पटना : पटना हाई कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को अनारक्षित पदों पर आरक्षण देने के बजाय सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण देने पर राज्य सरकार सहित बिहार तकनीकी सेवा आयोग से जबाब तलब किया है. चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने अजय कुमार लाल व अन्य की याचिकायों पर सुनवाई करते हुए चार सप्ताह में जबाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है.

सीधी भर्ती में आरक्षण का मामला : आवेदकों की ओर से वरीय अधिवक्ता डीके सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार अनारक्षित उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध पदों पर आरक्षण देने के बजाय सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण दे रही हैं. जबकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का कानून हैं.

सरकार के नियम 4 को चुनौती : आवेदक के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार इन्हें आरक्षण देने के बजाय सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण दे रही हैं. उन्होंने सरकार के नियम 4 को चुनौती देते हुए कहा कि जब दस प्रतिशत आरक्षण देना है , तो फिर कैसे कोई सीधी भर्ती में आरक्षण दे सकता हैं. उन्होंने इस नियम को निरस्त करने की मांग कोर्ट से की. वहीं, सरकार की ओर से आवेदकों की ओर से पेश दलील को नामंजूर करते हुए कहा गया कि सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण दे रही है.

EWS का मामला : उनका कहना था कि ईडब्लूएस के उम्मीदवार, जो अपने गुणवत्ता के आधार पर चुने जाते हैं, की गणना सीधी भर्ती कोटि में की जाएगी. गौरतलब है कि सरकारी रिक्तियों और शैक्षणिक संस्थानों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए) में प्रवेश में आरक्षण अधिनियम, 2019 और पदों और सेवा में रिक्तियों और शैक्षणिक संस्थानों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए) में प्रवेश में आरक्षण की घोषणा की हैं.

10 फीसदी EWS को आरक्षण : संविधान के 16 (6), 16 और 16(4 ए) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दस प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा कि संविधान और आरक्षण कानून सभी रिक्तियों में दस प्रतिशत आरक्षण देने की बात करता हैं. चार सप्ताह बाद इस मामले पर सुनवाई की जाएगी.

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