पटना : बिहार की पटना हाई कोर्ट ने पूर्णिया जिले के अब्दुल्लानगर स्थित करीब तीन सौ घरों को खाली कराने के अदालती आदेश पर फिलहाल कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है. साथ ही हाई कोर्ट में केस दायर करने वाले सभी को नोटिस जारी किया है.
पटना हाईकोर्ट ने दिया स्टे : चीफ जस्टिस के विनोद चन्द्रन की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर अपील पर सुनवाई की. सरकार की ओर से अधिवक्ता अजय ने कोर्ट को बताया कि निचली अदालत में फर्जी तरीके से आपसी समझौता के आधार पर कपटपूर्ण डिक्री ले ली गई है. उनका कहना था कि इस बात की जानकारी हाई कोर्ट सहित निचली अदालत को नहीं दी गई. इसी बीच हाई कोर्ट में एक अर्जी दायर कर निचली अदालत का फैसला को लागू कराने की मांग कोर्ट से की गई.
आदेश की अवमानना का नोटिस : उनका कहना था कि हाई कोर्ट के एकलपीठ ने पूर्णिया के जिला जज को दस दिनों के भीतर इजराय वाद को पूरा करने का आदेश दिया.साथ ही जिला जज से की गई कार्रवाई का रिपोर्ट तलब किया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि आवेदकों की ओर से उनके वरीय अधिवक्ता ने एकलपीठ को बताया कि अनुमंडल पदाधिकारी अदालती आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं. इस पर एकलपीठ ने अदालती आदेश का पालन नहीं करने को लेकर अवमानना नोटिस जारी कर जबाब तलब किया.
29 एकड़ के 300 मकानों को तोड़ेगा प्रशासन : वहीं, पूर्णिया डीएम को तुरंत आदेश पालन करने का आदेश दिया. उनका कहना था कि निचली अदालत के फैसला के खिलाफ कई मामले दायर किया गया है. कई केसों में आगे की कार्रवाई पर रोक तक लगाया जा चुका है. इन सभी बातों को छुपाते हुए कोर्ट से निचली अदालत का आदेश लागू कराने का आदेश ले लिया गया है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि 29 एकड़ जमीन पर फैले करीब तीन सौ से ज्यादा पक्का मकान को तोड़ना होगा.
29 जून को फिर सुनवाई : इससे एक गम्भीर कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो जायेगी. कोर्ट ने विपक्षी पार्टी को नोटिस जारी किया. वहीं एकलपीठ के आदेश के कार्रवाई पर तत्काल रोक लगा दिया. कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 29 जून 2024 को निर्धारित किया है.
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