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पटना हाईकोर्ट ने चेक गणराज्य के नागरिक को 15 दिन में देश छोड़ने का आदेश - Patna High Court

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 27, 2024, 10:15 PM IST

पटना हाईकोर्ट ने चेक गणराज्य के नागरिक को 15 दिनों के अंदर देश छोड़ने का आदेश दिया है. वह बिना वीजा के नेपाल के रास्ते भारत में घुसते समय पकड़ा गया था. एजेंसियों ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां से उसे 2 साल की सजा सुनाई जिसके खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था. पढ़ें पूरी खबर-

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पटना हाईकोर्ट (Etv Bharat)

पटना : बिहार के पटना हाईकोर्ट ने बगैर वीजा के देश में घुसने के मामले में चेक गणराज्य के नागरिक को 15 दिनों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया है. कोर्ट ने चेक गणराज्य के दूतावास को चेक गणराज्य के नागरिक कास्परेक पेट्र को भारत से चेक गणराज्य भेजने के बारे में कार्रवाई करने का आदेश दिया है.

बिना वीजा के घुसा विदेशी नागरिक : जस्टिस विवेक चौधरी ने कास्परेक पेट्र की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि साइबर अपराध के शिकार होने के बाद भारत में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए भारत की सीमा में प्रवेश कर गया. उनका कहना था कि आवेदक के साथ साइबर अपराध हुआ था. धोखाधड़ी को लेकर एफआईआर दर्ज कराने के लिए वह देश में आया था. उनका कहना था कि आवेदक एक विदेशी नागरिक है.

नेपाल के रास्ते अवैध तरीके से आया भारत : जब वह भारत सीमा में नेपाल के रास्ते प्रवेश कर रहा था, तो उसे रक्सौल (हर्रैया आउट पोस्ट) में पुलिस ने इस आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया. उसके पास भारत के क्षेत्र में प्रवेश करने और रहने के लिए कोई वैध वीजा नहीं था. अवैध रूप से भारत के क्षेत्र में प्रवेश किये जाने पर पुलिस ने विदेशी कानून की धारा 14/14ए/14बी के तहत प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू की.

पटना हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश : उनका कहना था कि गिरफ्तारी की तारीख से वह जेल में बंद है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि रक्सौल के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने आवेदक को दोषी ठहराते हुये दो वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का अर्थदण्ड की सजा दिया. इस सजा को अपील दायर कर चुनौती दी. लेकिन वह भी खारिज हो गया. जिसके बाद हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दायर कर सजा आदेश की वैधता को चुनौती दी.

विदेशी नागरिक की दलील : उनका कहना था कि कोई भी विदेशी नागरिक देश के पासपोर्ट कानून (भारत में प्रवेश) के तहत भारत में प्रवेश कर सकता हैं. वह भारत में प्रवेश करते पकड़े जाता हैं तो उसे तुरंत निर्वासित कर दिया जाना चाहिये, न कि अभियोजन एजेंसी उस पर बिना वैध वीज़ा के भारत के क्षेत्र में प्रवेश के लिए मुकदमा चलाकर दोषी करार देना न्यायोचित नहीं हैं. उसका पासपोर्ट वैध था.

15 दिनों के भीतर चेक वापस भेजने के निर्देश : उनका कहना था कि संबंधित अधिकारी को तुरंत उसके निर्वासन के लिए कदम उठाना चाहिए था. कोर्ट ने निचली अदालतों की सजा को निरस्त करते हुए कहा कि बगैर वैध वीजा के देश में रहना अवैध है. जबकि आवेदक बिना वीज़ा के रह रहा है. कोर्ट ने नई दिल्ली स्थित चेक गणराज्य के दूतावास को 7 दिनों के भीतर तत्काल आवेदक का चार्ज लेकर उसे दूतावास में रखने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने उसके बाद 15 दिनों के भीतर आवेदक को दूतावास की सहायता से उसके देश वापस भेजने का आदेश दिया.

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पटना : बिहार के पटना हाईकोर्ट ने बगैर वीजा के देश में घुसने के मामले में चेक गणराज्य के नागरिक को 15 दिनों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया है. कोर्ट ने चेक गणराज्य के दूतावास को चेक गणराज्य के नागरिक कास्परेक पेट्र को भारत से चेक गणराज्य भेजने के बारे में कार्रवाई करने का आदेश दिया है.

बिना वीजा के घुसा विदेशी नागरिक : जस्टिस विवेक चौधरी ने कास्परेक पेट्र की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि साइबर अपराध के शिकार होने के बाद भारत में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए भारत की सीमा में प्रवेश कर गया. उनका कहना था कि आवेदक के साथ साइबर अपराध हुआ था. धोखाधड़ी को लेकर एफआईआर दर्ज कराने के लिए वह देश में आया था. उनका कहना था कि आवेदक एक विदेशी नागरिक है.

नेपाल के रास्ते अवैध तरीके से आया भारत : जब वह भारत सीमा में नेपाल के रास्ते प्रवेश कर रहा था, तो उसे रक्सौल (हर्रैया आउट पोस्ट) में पुलिस ने इस आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया. उसके पास भारत के क्षेत्र में प्रवेश करने और रहने के लिए कोई वैध वीजा नहीं था. अवैध रूप से भारत के क्षेत्र में प्रवेश किये जाने पर पुलिस ने विदेशी कानून की धारा 14/14ए/14बी के तहत प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू की.

पटना हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश : उनका कहना था कि गिरफ्तारी की तारीख से वह जेल में बंद है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि रक्सौल के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने आवेदक को दोषी ठहराते हुये दो वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का अर्थदण्ड की सजा दिया. इस सजा को अपील दायर कर चुनौती दी. लेकिन वह भी खारिज हो गया. जिसके बाद हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दायर कर सजा आदेश की वैधता को चुनौती दी.

विदेशी नागरिक की दलील : उनका कहना था कि कोई भी विदेशी नागरिक देश के पासपोर्ट कानून (भारत में प्रवेश) के तहत भारत में प्रवेश कर सकता हैं. वह भारत में प्रवेश करते पकड़े जाता हैं तो उसे तुरंत निर्वासित कर दिया जाना चाहिये, न कि अभियोजन एजेंसी उस पर बिना वैध वीज़ा के भारत के क्षेत्र में प्रवेश के लिए मुकदमा चलाकर दोषी करार देना न्यायोचित नहीं हैं. उसका पासपोर्ट वैध था.

15 दिनों के भीतर चेक वापस भेजने के निर्देश : उनका कहना था कि संबंधित अधिकारी को तुरंत उसके निर्वासन के लिए कदम उठाना चाहिए था. कोर्ट ने निचली अदालतों की सजा को निरस्त करते हुए कहा कि बगैर वैध वीजा के देश में रहना अवैध है. जबकि आवेदक बिना वीज़ा के रह रहा है. कोर्ट ने नई दिल्ली स्थित चेक गणराज्य के दूतावास को 7 दिनों के भीतर तत्काल आवेदक का चार्ज लेकर उसे दूतावास में रखने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने उसके बाद 15 दिनों के भीतर आवेदक को दूतावास की सहायता से उसके देश वापस भेजने का आदेश दिया.

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