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'ब्रेथ एनालईजर टेस्ट शराब सेवन का निर्णायक प्रमाण नहीं', पटना हाईकोर्ट ने जारी किया निलंबित कर्मी की बहाली का आदेश - Patna High Court - PATNA HIGH COURT

पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए आदेश दिया है कि सिर्फ ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट रिपोर्ट से ये साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है कि संबंधित व्यक्ति ने शराब पी रखी है. हाईकोर्ट ने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि खून और पेशाब की जांच रिपोर्ट भी पेश की जाए. इसी आधार पर कोर्ट ने एक निलंबित कर्मचारी को बहाली का निर्देश जारी किया है. पढ़ें पूरी खबर-

ब्रेथ एनालईजर टेस्ट की फाइल फोटो
ब्रेथ एनालईजर टेस्ट की फाइल फोटो (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 25, 2024, 9:19 PM IST

पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया है कि ब्रेथ एनालाईजर टेस्ट शराब सेवन का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता. जस्टिस विवेक चौधरी ने प्रभाकर कुमार सिंह की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में पारित फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि रक्त एवं मूत्र परीक्षण किए बगैर केवल ब्रेथ एनालाईजर टेस्ट की रिपोर्ट यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि संबंधित व्यक्ति ने शराब का सेवन कर रखा है.

ब्रेथ एनालईजर टेस्ट शराब का निर्णायक प्रमाण नहीं : सुपौल स्थित एसडीओ कार्यालय के लिपिक प्रभाकर कुमार सिंह को 5 फरवरी 2018 को शराब सेवन करने के आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया था. बाद में सेवा संहिता का हवाला देते हुए उसे पद से निलंबित कर दिया गया. उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई. विभागीय कार्रवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उस समय पर वह सर्दी और खांसी से पीड़ित था और उसने अल्कोहल युक्त कफ सिरप लिया था. केवल संदेह के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया था.

पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : चिकित्सा अधिकारी या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा अल्कोहल की जांच के लिए उसके रक्त और मूत्र के नमूने नहीं लिए गए थे, लेकिन विभागीय कार्रवाई में उनकी कारणपृच्छा को स्वीकार योग्य नहीं मानते हुए उन्हें दोषी ठहराया कर बर्खास्त कर दिया गया. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के बर्खास्तगी आदेश को निरस्त करते हुए स्पष्ट किया कि केवल ब्रेथ एनालाईजर टेस्ट शराब सेवन का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता.

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पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया है कि ब्रेथ एनालाईजर टेस्ट शराब सेवन का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता. जस्टिस विवेक चौधरी ने प्रभाकर कुमार सिंह की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में पारित फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि रक्त एवं मूत्र परीक्षण किए बगैर केवल ब्रेथ एनालाईजर टेस्ट की रिपोर्ट यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि संबंधित व्यक्ति ने शराब का सेवन कर रखा है.

ब्रेथ एनालईजर टेस्ट शराब का निर्णायक प्रमाण नहीं : सुपौल स्थित एसडीओ कार्यालय के लिपिक प्रभाकर कुमार सिंह को 5 फरवरी 2018 को शराब सेवन करने के आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया था. बाद में सेवा संहिता का हवाला देते हुए उसे पद से निलंबित कर दिया गया. उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई. विभागीय कार्रवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उस समय पर वह सर्दी और खांसी से पीड़ित था और उसने अल्कोहल युक्त कफ सिरप लिया था. केवल संदेह के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया था.

पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : चिकित्सा अधिकारी या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा अल्कोहल की जांच के लिए उसके रक्त और मूत्र के नमूने नहीं लिए गए थे, लेकिन विभागीय कार्रवाई में उनकी कारणपृच्छा को स्वीकार योग्य नहीं मानते हुए उन्हें दोषी ठहराया कर बर्खास्त कर दिया गया. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के बर्खास्तगी आदेश को निरस्त करते हुए स्पष्ट किया कि केवल ब्रेथ एनालाईजर टेस्ट शराब सेवन का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता.

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