पटना : पटना हाईकोर्ट ने खुसरूपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष के पुनः चुनाव कराये जाने पर अंतरिम रोक लगा दी. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन व जस्टिस पार्थसारथी की खंडपीठ ने निर्वाचित अध्यक्ष व अपीलकर्ता गुड्डू कुमार की ओर से दायर अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नवनीत कुमार पाण्डेय की 5 दिसंबर 2024 के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दिया.
खुसरूपुर नगर पंचायत अध्यक्ष को बड़ी राहत : जस्टिस नवनीत कुमार पाण्डेय की एकल पीठ ने अपने आदेश में वर्तमान निर्वाचित अध्यक्ष के चुनाव को रद्द कर पुनः अध्यक्ष का चुनाव कराने का निर्देश दिया था. इस आदेश के विरुद्ध गुड्डू कुमार ने अपील दायर कर चुनौती दी. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दिया.
22 जनवरी 2025 को अगली सुनवाई : कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2025 को निर्धारित किया है. निर्वाचित अध्यक्ष व अपीलकर्ता गुड्डू कुमार की ओर से वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को रखा. अधिवक्ता रवि रंजन ने चुनाव आयोग की ओर कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया. प्रतिवादि का पक्ष अधिवक्ता एस वी के मंगलम ने कोर्ट समक्ष रखा.
रेप के मामले में रिट याचिका : वहीं दूसरी तरफ, रेप के एक आरोपी को चार माह बाद भी पुलिस द्वारा गिरफ्तार नहीं किये जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट में एक आपराधिक रिट याचिका दायर की गयी है. ये याचिका याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ओमप्रकाश ने दायर की है.
'शादी का प्रलोभन देकर रेप' : उन्होंने बताया कि ये मामला मधुबनी जिले का है. जहां एक लड़की से रेप मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के चार माह बाद भी पुलिस ने अपराधी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया है. उन्होंने बताया कि पीड़िता सलमा (बदला हुआ नाम) को मधुबनी के लखनौर थाना निवासी मो. दिलबाग रजा (बदला हुआ नाम) के द्वारा शादी का प्रलोभन दे कर उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया.
'पुलिस ने नहीं लिया एक्शन' : ओमप्रकाश ने बताया कि बाद में दिलबाग ने लड़की से शादी करने से मना कर दिया और उसका गर्भपात भी करवाया. मधुबनी महिला थाना ने इस सम्बन्ध में पीड़िता के आवेदन को नहीं लिया. महिला पुलिस थाना ने रजा से फोन कर मात्र पूछताछ की, लेकिन पीड़िता का आवेदन नहीं लिया और न कोई कार्रवाई की. इसकी पुष्टि सीसीटीवी कैमरे से हो जाती है.
बाद में ग्रामीणों के सहयोग से महिला थाना ने 30 अगस्त 2024 को आवेदन लिया लेकिन पुलिस ने अपराधी के विरुद्ध सही धारा नहीं लगाया. इससे जहां अपराधी को लाभ मिलने की संभावना है, वहीं पीड़िता को न्याय नहीं मिल रहा था. सुसंगत धारा जोड़ने के लिए पीड़िता ने वरीय पुलिस अधिकारी को आवेदन दिया, पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
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