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जान का खतरा नहीं फिर भी मिल सकता है आर्म्स लाइसेंस, पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला - PATNA HIGH COURT

आर्म्स लाइसेंस को लेकर पटना उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है. सिर्फ जान का खतरा न होने के कारण आवेदन खारिज नहीं हो सकता.

Patna High Court
पटना हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 3, 2024, 8:48 AM IST

पटना: सोमवार को पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण में ये स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति का आर्म्स लाइसेंस के लिए दायर आवेदन केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता है कि आवेदक को जान का कोई खतरा नहीं है. जस्टिस मोहित कुमार शाह ने रंजन कुमार मंडल की रिट याचिका को स्वीकृत करते हुए यह निर्णय सुनाया है.

क्या है मामला?: याचिकाकर्ता के वकील रंजीत कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि रंजन एक रिटायर्ड फौजी है और भारतीय सेना की सेवा निवृति के बाद केंद्र सरकार ने उसे एक पेट्रोल पंप आवंटित किया गया था. परबत्ता थाने के पास हाईवे पर इस पेट्रोल पंप की सुरक्षा के मद्देनजर रंजन ने आर्म्स लाइसेंस के लिए खगड़िया जिला अधिकारी को आवेदन दिया था लेकिन उसे रिजेक्ट कर दिया गया था.

क्यों हुआ था रिजेक्ट?: आवेदन को सिर्फ इस बात पर अस्वीकृत कर दिया गया कि पुलिस रिपोर्ट में बताया गया है कि रंजन को जान का कोई खतरा नहीं है. जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ रंजन ने मुंगेर के आयुक्त के सामने अपील की गई, जिसे 15/11/2019 को उस पुलिस रिपोर्ट के आधार पर खारिज कर दिया गया.

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश: अब पटना उच्च न्यायालय ने यह तय किया है कि केवल जान के खतरे को केंद्र में रखते हुए शस्त्र अनुज्ञप्ति के आवेदन को खारिज करना केंद्र सरकार की नई शस्त्र नियमावली 2016 के प्रावधान के खिलाफ है. इस नियमावली में आवेदक के पेशे अथवा व्यापार का मूल्यांकन करना भी जरूरी है, जिसकी सुरक्षा के लिए शस्त्र जरूरी होता है.

ये भी पढ़ें: 'सिर्फ किसी शख्स पर FIR दर्ज होने पर उसका आर्म्स लाइसेंस नहीं होगा रद्द' , पटना हाईकोर्ट में DM की दलील खारिज

पटना: सोमवार को पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण में ये स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति का आर्म्स लाइसेंस के लिए दायर आवेदन केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता है कि आवेदक को जान का कोई खतरा नहीं है. जस्टिस मोहित कुमार शाह ने रंजन कुमार मंडल की रिट याचिका को स्वीकृत करते हुए यह निर्णय सुनाया है.

क्या है मामला?: याचिकाकर्ता के वकील रंजीत कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि रंजन एक रिटायर्ड फौजी है और भारतीय सेना की सेवा निवृति के बाद केंद्र सरकार ने उसे एक पेट्रोल पंप आवंटित किया गया था. परबत्ता थाने के पास हाईवे पर इस पेट्रोल पंप की सुरक्षा के मद्देनजर रंजन ने आर्म्स लाइसेंस के लिए खगड़िया जिला अधिकारी को आवेदन दिया था लेकिन उसे रिजेक्ट कर दिया गया था.

क्यों हुआ था रिजेक्ट?: आवेदन को सिर्फ इस बात पर अस्वीकृत कर दिया गया कि पुलिस रिपोर्ट में बताया गया है कि रंजन को जान का कोई खतरा नहीं है. जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ रंजन ने मुंगेर के आयुक्त के सामने अपील की गई, जिसे 15/11/2019 को उस पुलिस रिपोर्ट के आधार पर खारिज कर दिया गया.

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश: अब पटना उच्च न्यायालय ने यह तय किया है कि केवल जान के खतरे को केंद्र में रखते हुए शस्त्र अनुज्ञप्ति के आवेदन को खारिज करना केंद्र सरकार की नई शस्त्र नियमावली 2016 के प्रावधान के खिलाफ है. इस नियमावली में आवेदक के पेशे अथवा व्यापार का मूल्यांकन करना भी जरूरी है, जिसकी सुरक्षा के लिए शस्त्र जरूरी होता है.

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