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पटना हाईकोर्ट: 31 मार्च 2015 के बाद अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति या नियोजन अवैध - untrained teacher appointment

Patna High Court 31 मार्च 2015 के बाद राज्य में किसी भी अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति या नियोजन को अवैध माना जाएगा. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की फुल बेंच ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया. पढ़ें, विस्तार से.

पटना हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 21, 2024, 9:44 PM IST

पटनाः पटना हाइकोर्ट ने 31 मार्च 2015 के बाद राज्य में किसी भी अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति या नियोजन को अमान्य करार दिया है. कोर्ट ने ऐसे शिक्षकों के नियोजन को कानूनी रूप से अवैध बताया है. चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की फुल बेंच ने गुरुवार 21 मार्च को यह फैसला सुनाया. बता दें कि इस मामले में पिछली सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया.

क्या है मामलाः गौरतलब है कि 31मार्च, 2015 को बिहार में शिक्षा के अधिकार कानून लागू हुआ था, जिसके कोई भी अप्रशिक्षित शिक्षक सेवा में नहीं रह सकता है. हाई कोर्ट ने यह भी तय किया है कि राज्य में 1अप्रैल, 2010 से लेकर 31 मार्च, 2015 के बीच नियोजित हुए अप्रशिक्षित शिक्षक यदि 8अगस्त, 2021 तक या उससे पहले न्यूनतम प्रशिक्षण योग्यता पूरा कर लिए हैं, तो उनके नियोजन को बरकरार रखा जा सकता है. हाई कोर्ट ने सिर्फ उन्हीं नियोजित शिक्षकों की सेवा को बरकरार रखने का निर्देश दिया है, जो 8 अगस्त 2021 या उससे पूर्व न्यूनतम प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका हो.

प्रशिक्षण लेने के लिये मिला था समयः कोर्ट ने यह भी माना कि शिक्षा का अधिकार कानून, जिसे केंद्र सरकार ने 1अप्रैल 2010 से लागू किया था, लेकिन बिहार में यह कानून 31 मार्च, 2015 के प्रभाव से लागू हुआ. इसलिए 1 अप्रैल, 2010 से 31मार्च , 2015 के बीच नियोजित हुए अप्रशिक्षित शिक्षकों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सेवा में रहते हुए प्रशिक्षण लेने की छूट एक निर्धारित समय अवधि के लिए दी जा सकती है.

समय सीमा बढ़ायी थीः शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 1अप्रैल, 2010 को या उससे पहले नियुक्त हुए किसी अप्रशिक्षित शिक्षक को सेवा में रहते हुए प्रशिक्षण लेने हेतु अधिकतम 5 वर्ष की समय सीमा दी गई है. उक्त समय सीमा को और 4 साल तक विस्तारित करने का प्रावधान शिक्षा का अधिकार की धारा 23 द्वारा प्रदत्त है. हाई कोर्ट ने उन नियोजित शिक्षकों को भी सेवा में रहने का मौका दिया है, जिनके प्रशिक्षण कोर्स और परीक्षाएं 8 अगस्त, 2021 से पहले हो गई लेकिन रिजल्ट अटका रहा या इस तारीख के बाद निकला था.

इसे भी पढ़ेंः सरकारी नौकरी में 65% आरक्षण के खिलाफ सुनवाई पूरी, पटना हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

पटनाः पटना हाइकोर्ट ने 31 मार्च 2015 के बाद राज्य में किसी भी अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति या नियोजन को अमान्य करार दिया है. कोर्ट ने ऐसे शिक्षकों के नियोजन को कानूनी रूप से अवैध बताया है. चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की फुल बेंच ने गुरुवार 21 मार्च को यह फैसला सुनाया. बता दें कि इस मामले में पिछली सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया.

क्या है मामलाः गौरतलब है कि 31मार्च, 2015 को बिहार में शिक्षा के अधिकार कानून लागू हुआ था, जिसके कोई भी अप्रशिक्षित शिक्षक सेवा में नहीं रह सकता है. हाई कोर्ट ने यह भी तय किया है कि राज्य में 1अप्रैल, 2010 से लेकर 31 मार्च, 2015 के बीच नियोजित हुए अप्रशिक्षित शिक्षक यदि 8अगस्त, 2021 तक या उससे पहले न्यूनतम प्रशिक्षण योग्यता पूरा कर लिए हैं, तो उनके नियोजन को बरकरार रखा जा सकता है. हाई कोर्ट ने सिर्फ उन्हीं नियोजित शिक्षकों की सेवा को बरकरार रखने का निर्देश दिया है, जो 8 अगस्त 2021 या उससे पूर्व न्यूनतम प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका हो.

प्रशिक्षण लेने के लिये मिला था समयः कोर्ट ने यह भी माना कि शिक्षा का अधिकार कानून, जिसे केंद्र सरकार ने 1अप्रैल 2010 से लागू किया था, लेकिन बिहार में यह कानून 31 मार्च, 2015 के प्रभाव से लागू हुआ. इसलिए 1 अप्रैल, 2010 से 31मार्च , 2015 के बीच नियोजित हुए अप्रशिक्षित शिक्षकों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सेवा में रहते हुए प्रशिक्षण लेने की छूट एक निर्धारित समय अवधि के लिए दी जा सकती है.

समय सीमा बढ़ायी थीः शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 1अप्रैल, 2010 को या उससे पहले नियुक्त हुए किसी अप्रशिक्षित शिक्षक को सेवा में रहते हुए प्रशिक्षण लेने हेतु अधिकतम 5 वर्ष की समय सीमा दी गई है. उक्त समय सीमा को और 4 साल तक विस्तारित करने का प्रावधान शिक्षा का अधिकार की धारा 23 द्वारा प्रदत्त है. हाई कोर्ट ने उन नियोजित शिक्षकों को भी सेवा में रहने का मौका दिया है, जिनके प्रशिक्षण कोर्स और परीक्षाएं 8 अगस्त, 2021 से पहले हो गई लेकिन रिजल्ट अटका रहा या इस तारीख के बाद निकला था.

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