पटना: बिहार की राजधानी पटना में हृदय विदारक घटना घटी है. दानापुर में गंगा नदी में डूबने से एक सरकारी शिक्षक की मौत हो गई है. जानकारी के मुताबिक शिक्षक अपने अन्य साथियों के साथ स्कूल जाने के लिए गंगा नदी नाव से पार कर रहे थे. तभी सामने से आ रही नाव से टक्कर हो गई. इस टक्कर में बीपीएससी शिक्षक गंगा नदी में गिर गए. शिक्षक की डूबने से मौत हो गई है.
पटना में बीपीएससी शिक्षक की डूबने से मौत: इस घटना का सबसे दुखद पहलु ये है कि जब शिक्षक बचाने के लिए लोगों से गुहार लगा रहा था, तब नाव में मौजूद किसी भी शिक्षक ने उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की. यहां तक की नाविक ने भी डूबते शिक्षक को बचाने की कोशिश नहीं की.
कौन थे बीपीएससी शिक्षक?: मृतक की पहचान पिता राज करण प्रसाद के पुत्र अविनाश कुमार के रूप में हुई है, जो सरथुआ पटना के निवासी बताए जाते हैं. अविनाश कुमार उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय छोटा कासिमचक में शिक्षक थे.
महिला शिक्षक ने बतायी पूरी घटना: शिक्षक महिला साथी पल्लवी कुमारी ने बताया कि हमलोग रोज मोटरसाइकिल से साथ ही आते थे. स्कूल में परीक्षा चल रही है. आते ही टीचर ने बाइक लगाया और फिर कॉपी रखे थे. इसी बीच एक दूसरे नाव ने टक्कर मार दी. वहीं हमारे नाविक ने नाव को खोल दिया था.
"जिस नाव पर थे उसे खोल दिया. मैंने चिल्लाया बचाव रस्सी फेंको. सब नाविक मौके से भाग गया गए जबकि सबको तैरना आता था. अविनाश कुमार को तैरना नहीं आता था."- पल्लवी कुमारी, शिक्षिका
SDRF मौके पर मौजूद: डीएम की तरफ से जानकारी मिलते ही एसडीआरएफ की टीम को मौके पर भेजा गया. फिलहाल शिक्षक की तलाश की जा रही है. वहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी को भी घटनास्थल पर भेज दिया गया है. इन दोनों की निगरानी में गोताखोरों की टीम तलाशी अभियान चला रही है.
खतरे के निशान से ऊपर गंगा: बिहार में बाढ़ कहर जारी है. कई जिलों में बाढ़ से लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है.।राजधानी पटना के गांधी घाट पर खतरे के निशान से ऊपर गंगा का पानी बह रहा है.।दानापुर मवन गंगा नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान से थोड़ा नीचे है, लेकिन गंगा में उफान जारी है.
हर रोज जान जोखिम में डालते हैं लोग: वहीं दियारा के छह पंचायत में बाढ़ का खतरा बना हुआ है, जिससे आम से खास लोगों को रोजमर्रा के सामान के लिये जान जोखिम में डालकर गंगा नदी में नाव पर सवार होकर सफर करना पड़ रहा है. चाहे सरकारी स्कूल के शिक्षक हो या कर्मचारी सफर तो करना पड़ेगा ही क्योंकि इनके पास दूसरा कोई विकल्प है ही नहीं.
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