पटना: बिहार के पटना में 6 किलोमीटर लंबा अटल पथ का उद्देश्य था कि गाड़ियों की रफ्तार बढ़े और राहगीर सुरक्षित मंजिल तक पहुंचें. मगर आज यही सड़क उन्हीं नागरिकों के लिए संघर्ष का प्रतीक बन गई है, जिनके लिए इसमें फुट ओवर ब्रिज और उसके साथ लिफ्ट की सुविधा जोड़ी गई थी.
उद्घाटन के बाद लिफ्ट चला ही नहीं: ऐसा इसलिए क्योंकि, 20 सितंबर 2021 को उद्घाटन के दिन कुछ घंटों तक चलने के बाद ओवर ब्रिज का लिफ्ट हमेशा के लिए बंद हो गया. नतीजा यह हुआ कि बुज़ुर्ग, बीमार और दिव्यांगों के लिए सड़क पार करना अब यातना बन गयी है, क्योंकि उन्हें लिफ्ट की सुविधा नहीं मिलती और ऊंची सीढ़ियां चढ़ने में सांसें फूलने लगती है.
सड़क पार करना मुश्किल: इंद्रपुरी फुट ओवर ब्रिज की सीढ़ी से उतर रही युवती ट्विंकल बताती है कि सिर्फ उद्घाटन वाले दिन लिफ्ट चला था. बचपन से यही रही है और आज तक उसके बाद कभी इस लिफ्ट को चलते हुए नहीं देखा. घर के बुजुर्ग को यदि उसे पर जाना हो तो लंबी योजना बनानी पड़ती है. घर से वाहन से निकालना पड़ता है.
"पहले जहां लोग बात-बात में सड़क इस पार से उस पार चले जाते थे. वह अब सड़क आर-पार करने से पहले काफी सोच विचार करते हैं, क्योंकि सीढ़ी चढ़ने उतरने में दम निकल जाता है. लिफ्ट नहीं चलती है." -ट्विंकल
लिफ्ट सिर्फ दिखावा: युवक आशुतोष कुमार पिछले एक साल से इस इलाके में रह रहे हैं. उन्होंने कभी भी लिफ्ट चलते हुए नहीं देखा. उन्होंने बताया कि लिफ्ट में कभी बिजली का कनेक्शन रहा ही नहीं है. ये लिफ्ट सिर्फ़ तस्वीरों में 'सुविधा' दिखाने के लिए लगाए गए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस फुट ओवर ब्रिज पर कई सारी समस्याएं हैं.
"शाम होते ही फुट ओवर ब्रिज पर खाली पड़े लिफ्ट के सामने वाले हिस्से पर असामाजिक तत्वों और नशेड़ियों का जमावड़ा होता है. इसके कारण महिलाओं को सड़क पार करने में असुरक्षा महसूस होती है. यह संकट उनलोगों को और विवश कर देता है जो पहले से ही शारीरिक पीड़ा झेल रहे हैं." -आशुतोष कुमार
टूट जाती है सांसें: घनश्याम पाठक उच्च रक्तचाप हृदय रोग और घुटने के दर्द से जूझ रहे हैं. उनसे जब पूछा जाता है कि आप सीधी से क्यों उतार रहे हैं तो उनका दर्द और गहरा हो जाता है. वह बताते हैं कि पहले सड़क पार करना आसान था. अब ये फुट ओवर ब्रिज मेरे लिए मुश्किल बन गया है. उनकी आंखों में सवाल दिखता है कि क्या हमारी सुविधा के नाम पर सिर्फ़ दिखावा किया गया है?
"एक बार चढ़ने के बाद ऊपर बैठकर सांस लेनी पड़ती है. डर लगता है कि कहीं दिल का दौरा न पड़ जाए. अगर मीडिया इस पर रिपोर्ट सरकार तक पहुंचाती है तो उम्मीद है कि शायद उनका दर्द कम होगा." -घनश्याम पाठक
![Patna Atal Path Foot Over Bridge](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-02-2025/bh-pat-03-atal-path-lift-pkg-7204423_14022025161958_1402f_1739530198_692.jpg)
सुविधा का मतलब क्या?: अटल पथ की यह कहानी सिर्फ लिफ्ट के बंद होने की नहीं बल्कि उन हजारों लोगों के संघर्ष की है जो अपने ही शहर की सड़क को सुरक्षित पार करने में यातना का एहसास करते हैं.
13 करोड़ से 4 ब्रिज बने: लगभग 13 करोड़ रुपए की लागत से अटल पथ पर 4 फुट ओवरब्रिज बनाए गए. पहला एन कॉलेज-महेश नगर, दूसरी दीघा, तीसरा पुनाइचक और चौथा आर ब्लॉक में बनाया गया. इसे बनाने का उद्येश्य सड़क हादसा को कम करना था. सड़क पार करने के दौरान लगातार हादसे हो रहे थे. लेकिन यह रख-रखाव के कारण सिर्फ हाथी दांत बन गया है.
कब तक सांसें गिनेंगे लोग?: सिर्फ पुनाई चक के फुट ओवर ब्रिज में लिफ्ट की सुविधा नहीं है. अन्य तीनों जगह जहां लिफ्ट की सुविधा है तीनों बंद है. ऐसे में जब तक प्रशासन इन लिफ्टों को केवल "शो-पीस" समझता रहेगा, तब तक घनश्याम जैसे लोगों को सीढ़ियां चढ़ते हुए अपनी सांसें गिननी पड़ेंगी. क्योंकि यहां सुविधा का मतलब है दर्द को पार करने की जद्दोजहद.
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