पटनाः 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान लोगों ने तेजस्वी यादव को राजनीतिक मंच पर मुरेठा बांधते और हाथ लहराते हुए कई बार देखा होगा, लेकिन वही तेजस्वी यादव अब मुरेठा बांधते नजर नहीं आएंगे. मुरेठा तो छोड़िये आरजेडी का सिंबल बन चुका हरा गमछा भी अब तेजस्वी को रास नहीं आ रहा है. तभी तो उन्होंने पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं से हरे गमछे और मुरेठा की जगह हरी टोपी और बैज लगाने के निर्देश दिए हैं.
पिता का लाइसेंस, पुत्र का बैनः दरअसल तीन साल पहले 2021 में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को हरे रंग के गमछे और टोपी के इस्तेमाल के निर्देश दिए थे. लालू प्रसाद ने इसे आरजेडी का 'लाइसेंस' कहा था. लेकिन अब पिता लालू प्रसाद का 'लाइसेंस' पुत्र तेजस्वी यादव के सियासी एजेंडे में फिट नहीं बैठ रहा है. हरे रंग के गमछे वाली आरजेडी की छवि तेजस्वी यादव के लिए एक चुनौती बन गयी है. इसलिए उन्होंने हरे रंग के गमछे से दूरी बनाने का निर्णय लिया है.
यात्रा से पहले छवि बदलने की कवायदः तेजस्वी प्रसाद यादव 10 सितंबर से बिहार में एक बार फिर से यात्रा पर निकल रहे हैं. उनकी यात्रा की शुरुआत समस्तीपुर से शुरू होगी. तेजस्वी यादव की यात्रा पर निकलने से पहले आरजेडी अपनी छवि बदलने की कवायद में जुटा है. ऐसे में आरजेडी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को कई खास दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जिसमें हरे रंग के गमछा नहीं रखने के साथ-साथ और भी कई हिदायत दी गयी है.
जगदानंद सिंह ने जारी किया पत्रः तेजस्वी यादव के कार्यकर्ता संवाद यात्रा को लेकर आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कार्यकर्ताओं के लिए 12 दिशा निर्देश जारी किए हैं. जिसमें कार्यक्रम में शामिल होनेवाले कार्यकर्ताओं को खास हिदायत दी गयी है. इसी पत्र के क्रमांक संख्या 9 में ये बताया गया है कि पार्टी के कार्यकर्ता हरे गमछे के स्थान पर पार्टी की हरी टोपी एवं बैज पहनने को प्राथमिकता दें.
कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देशः जगदानंद सिंह के इस पत्र में कार्यकर्ताओं को ये भी कहा गया है कि पार्टी के प्रदेश कार्यालय से जारी गोपनीय दिशा निर्देश और महत्वपूर्ण बैठकों की जानकारी सोशल मीडिया इत्यादि प्लेटफार्म पर शेयर ना करें.इसके साथ ही तेजस्वी की यात्रा के दौरान कार्यकर्ताओं को संयमित व्यवहार करने के निर्देश दिए गये हैं.अपने कार्यक्रम के दौरान तेजस्वी प्रसाद यादव कार्यक्रम स्थल पर सिर्फ आमंत्रित कार्यकर्ताओं से ही संवाद करेंगे जिन कार्यकर्ताओं से संवाद के दौरान मुलाकात नहीं हो पाएगी उन कार्यकर्ताओं से वो सर्किट हाउस में मुलाकात करेंगे.
गमछे ने दिया हमले का मौकाः आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष के इस दिशा-निर्देश पर विपक्षी दलों को राजनीति करने का मौका मिल गया है. जेडीयू के विधान पार्षद और प्रवक्ता नीरज कुमार ने आरजेडी पर तंज करते हुए कहा कि लालू वाद एक विचारधारा है. गमछे से परहेज क्यों ? तकरार क्यों ? गमछा तो बिहारी अस्मिता का प्रतीक है.श्रमिकों की सेवा का प्रतीक है.बुनकरों की भावना का प्रतीक है. आरजेडी ने गमछे को मुरेठा में तब्दील कर दिया. लाठी के साथ गमछा संस्कृति का राजनीति में अपमान कर दिया.
"बहुत देर भये नंदलाला. बहुत विलंब हो गया. अब आत्म अपराध महसूस हो रहा है जब लोकसभा में चार सीट आई हैं. सच यह है कि कितनो को टोपी पहनाइएगा ? 43 बीघा 12 कट्ठा 16 धुर तो पटना में टोपी पहना दिए रोजगार के नाम पर. टोपी जनता पहनने को तैयार नहीं, इसलिए गमछा बदल लीजिए टोपी बदल लीजिए बैज लगा लीजिए. लेकिन वो खौफनाक लोग ही आरजेडी में अग्रिम भूमिका में हैं तो भय और खौफ का वातावरण रहेगा ही."- नीरज कुमार, प्रवक्ता, जेडीयू
'जंगलराज का प्रतीक है गमछा': इस मुद्दे पर बीजेपी का कहना है कि गमछा जंगल राज का प्रतीक.बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव पूरे बिहार में गमछा लेकर के अपने कार्यकर्ताओं को इसलिए घूमने से मना कर रहे हैं कि क्योकि यह जंगल राज का प्रतीक था, नरसंहारों का अपहरण उद्योग का प्रतीक था, और हत्या और बलात्कार का प्रतीक था.
"अपने पिता के पुराने चेहरे को जनता के बीच में उजागर नहीं होने देना चाहते हैं.यही कारण है कि तेजस्वी यादव पहले कार्यकर्ताओं को टोपी पहनाकर बिहार की जनता को भी टोपी पहनाने की तैयारी कर रहे हैं."- अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी
आरजेडी का दिशा-निर्देश से इंकारः विरोधी जहां आरजेडी पर हमलावर हैं वहीं आरजेडी इस तरह के किसी भी दिशा-निर्देश से साफ इंकार कर रहा है. आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि इस तरह का मामला नहीं है.जिनका राजनीतिक रूप से जनता और जनता के मुद्दों से मतलब नहीं है, जिनको जनता के हितों से मतलब नहीं है, वे ऐसे मामलों को लेकर बैठ जाते हैं.
"इस तरह का कहीं कोई मामला नहीं है. सब कुछ जो पार्टी के स्तर से पहले से दिशा-निर्देश हैं उसी दिशा-निर्देश में सब चल रहा है. इस तरह के मामले को बढ़ा-चढ़ा कर जो लोग प्रस्तुत कर रहे हैं, दरअसल उनके यहां यह सब होता है और वह अपने आचरण को सुधार लें तो बेहतर रहेगा. हमारा लक्ष्य और हमारा उद्देश्य है जनता की सेवा करना." - एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
'गमछे का अपमान हो रहा है': पार्टी के नये दिशा-निर्देश को पार्टी के कार्यकर्ता भी मानने को तैयार हैं. हालांकि उनका कहना है कि गमछे का अपमान हो रहा है. राघोपुर के रहने वाले और आरजेडी कार्यकर्ता राजन कुमार यादव का कहना है कि हम लोगों को भी बोल रहे हैं.लेकिन गमछा दिया गया है तो हम लोग रख रहे हैं.
"तेजस्वी भैया की बात का हमलोग पालन करते हैं और करते रहेंगे. टोपी और बैज मिल रहा है. वही लेकर आएंगे हमलोग. गमछा मिला है कंधा पर रखने के लिए लेकिन कई लोग इसे कमर में बांध लेता है तो ये गमछे का अपमान हो रहा है."- राजन कुमार यादव, आरजेडी कार्यकर्ता
'छवि बदलना चाहते हैं तेजस्वीः' गमछा हटाने के आरजेडी के फैसले पर वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का मानना है कि लोगों में ये धारणा बन गयी है कि आरजेडी के कार्यकर्ता हुड़दंगी होते हैं. कंधे पर गमछा रखकर जिस तरीके से ये सड़कों पर ओवर रिएक्ट करते हैं इससे पार्टी की छवि कैसी बनेगी यह समझ जा सकता है इस तरीके के व्यवहार से अच्छी छवि नहीं बनेगी.
"MY समीकरण की बात है तो तेजस्वी यादव ने कहा था कि पार्टी को A to Z की पार्टी बनायेंगे. यानी पार्टी का सामाजिक जनाधार बढ़ाएंगे. इससे पहले भी तेजस्वी यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को कहा था कि आप शिष्टता से पेश आइए. सिर्फ गमछा हटाने से छवि तो नहीं बदलेगी.लोग टोपी पहने या बैज लगाएं वो कार्यकर्ता तो आरजेडी के ही रहेंगे. ऐसे में जरूरी है कि आरजेडी कार्यकर्ताओं को अपना व्यवहार बदलना चाहिए."- अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
कभी बिहारी पहचान, अब हुड़दंग का निशान !: इसमें कोई शक नहीं कि गमछा बिहार और बिहारी की पहचान है. कांधे पर गमछा रखना या सिर पर पगड़ी बांधना कहीं से भी किसी उद्दडंता की निशानी नहीं हो सकती है. गमछे का उद्दडंता और हुड़दंग की निशानी बनना इस बात पर निर्भर है कि उसका इस्तेमाल करनेवाले की उसके पीछे की मंशा क्या है. मतलब साफ है गमछे पर बैन से ज्यादा जरूरी है हुड़दंगी मानसिकता पर लगाम.
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