पटना/गया : बिहार में इन दिनों एक नई बीमारी का संक्रमण काफी तेज गति से बढ़ रहा है. इसके सबसे अधिक मामले पटना में देखने को मिल रहे हैं. दरअसल पटना के अस्पतालों और क्लिनिकों में लंगड़ा बुखार के काफी मामले सामने आ रहे हैं.
पटना में 'लंगड़ा' बुखार का कहर : चिकित्सक जब मरीज की हिस्ट्री ले रहे हैं तो पता चल रहा है कि उनके इलाके में डेंगू और चिकनगुनिया का प्रभाव अधिक है. अस्पतालों में लगभग 40 प्रतिशत बुखार के मामले में लंगड़ा बुखार की शिकायत लोगों में है. इसमें लोगों को पैदल चल पाने में तकलीफ है. बुखार छूटने के बाद भी ठीक से चलने में दो सप्ताह का समय लग जा रहा है.
इन इलाकों में सबसे अधिक मामले : पटना में जिन इलाकों में लंगड़ा बुखार के मामले सामने आ रहे हैं उनमें लोहानीपुर, कदमकुआं, भूतनाथ रोड, चित्रगुप्गुतनगर, कांटी फैट्री रोड, अशोकनगर, न्यू पाटलिपुत्र कॉलोनी, दीघा, सिपारा, जयप्रकाशनगर और पीसी कॉलोनी आदि इलाके शामिल हैं.
''कुछ दिनों पहले मेरे परिवार में तीन लोग डेंगू से संक्रमित हो गए थे. आसपास इलाके में डेंगू का प्रभाव अधिक है. जब बुखार हुआ तो अचानक से पैर में तेज दर्द होने लगा. खासकर पैर के घुटने और एड़ी में दर्द अधिक महसूस हुई. इसके बाद से दर्द बना हुआ है और चलने में कठिनाई हो रही है. फिजिशियन से दिखाने के बाद डेंगू और चिकनगुनिया की रिपोर्ट भी नेगेटिव निकली है. बुखार से राहत मिल गई है लेकिन दर्द से राहत नहीं है. डॉक्टर ने बताया है कि 10 से 15 दिन में दर्द ठीक होगा.''- मुकेश कुमार, लंगड़ा बुखार के मरीज, भूतनाथ रोड
डेंगू और चिकनगुनिया की जांच निगेटिव : एक खास मोहल्ले से ऐसे दर्जनों मामले आ रहे हैं. यह वह मोहल्ले हैं जहां डेंगू और चिकनगुनिया के मामले भी अधिक हैं. हैरानी की बात है कि डेंगू और चिकनगुनिया की जांच मरीज की निगेटिव रह रही है. ऐसे में डॉक्टरों के लिए यह नया संक्रमण नया सिरदर्द बनता जा रहा है.
क्या है लंगड़ा बुखार ? : पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि लंगड़ा बुखार एक तरीके से डेंगू और चिकनगुनिया का ही वेरिएंट जैसा है. डेंगू और चिकनगुनिया के जो लक्षण होते हैं वही लक्षण इस बुखार के भी हैं, लेकिन डेंगू और चिकनगुनिया के जांच रिपोर्ट में नेगेटिव मिल जा रहा हैं.
''लंगड़ा बुखार के मामले उसी इलाके में अधिक मिल रहे हैं जो इलाका डेंगू और चिकनगुनिया से अफेक्टेड है. ऐसे में अभी जरूरत है कि सरकार इसका रिसर्च कराए. सरकारी जांच इंस्टिट्यूट में ऐसे लोगों के सैंपल लिए जाएं जो लंगड़ा बुखार से संक्रमित हैं और उनके सैंपल की रीडिंग की जाए. सैंपल का रिसर्च इसलिए जरूरी है ताकि पता चल सके की आनेवाले दिनों में यह संक्रमण का प्रभाव कैसा होगा.''- डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
हर 10 में से 4 से 5 मरीज लंगड़ा बुखार के : डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि उनके क्लीनिक पर आने वाले बुखार के 10 मरीज में 4 से 5 मरीज लंगड़ा बुखार के रह रहे हैं. बुखार के सिम्टम्स के आधार पर ट्रीटमेंट चल रहा है.
''अभी के समय जरूरी है कि लोग मच्छरों से बच के रहें क्योंकि यह मच्छर जनित बीमारी ही नजर आ रही है. इसके अलावा अभी मौसम बदल रहा है तो ठंड से भी बचकर रहने की जरूरत है. ठंड लगने पर भी शरीर में जोड़ों में दर्द महसूस होने लगता है. इस बुखार में पैर के जोड़ों में तेज दर्द रह रहा है और ठंड का असर होगा तो इसे ठीक होने में समय लगेगा.''- डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
कराह चुका है गया का पटवा टोली : बता दें कि मिनी मैनचेस्टर ऑफ बिहार के नाम से प्रसिद्ध गया के 'पटवा टोली' वासियों में पिछले वर्ष एक अज्ञात बीमारी को लेकर डर का वातावरण पैदा था. 300 से अधिक लोग उस बीमारी से प्रभावित थे. इसका लक्षण तेज बुखार और चलने में कठिनाई थी. इस बीमारी से प्रभावित लोग सही से चल नहीं पा रहे थे, इस कारण लोग ने इसे 'लंगड़ा बुखार' का नाम दे दिया.
PMCH में सैंपल जांच : हालांकि बाद में बुखार से पीड़ित लोगों का सैंपल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जांच हुआ तो पाया गया कि यह 'चिकनगुनिया वायरस' है. इसके होने से तेज बुखार के साथ जोड़-जोड़ में दर्द होता है, जिसके कारण लोग चलने फिरने से बीमार रहने तक असमर्थ हो जाते हैं. पिछले वर्ष इस बीमारी ने उस पटवा टोली को डरा दिया था जहां के दर्जनों छात्र आईआईटियन बनते हैं.
इस वर्ष क्या है स्थिति? : पिछले वर्ष भी दशहरा के बाद ही लंगड़ा बुखार का प्रकोप बढ़ा था. इस बार भी बढ़ने की संभावना के साथ लोगों में डर था, लेकिन इस बार लोगों की जागरूकता और प्रशासन के बचाव अभियान से लंगड़ा बुखार नहीं हुआ है. अब तक लंगड़ा बुखार का कोई मामला सामने नहीं आया है.
''इस बार लंगड़ा बुखार का प्रभाव नहीं है. पिछले बार बहुत फैला हुआ था, इस बार लंगड़ा बुखार तो नहीं है लेकिन डेंगू का प्रकोप है. पटवा टोली के 40-50 लोगों को डेंगू हुआ है, मेरी जानकारी में इस वर्ष अभी तक मेडिकल टीम की जरूरत नहीं पड़ी है और ना ही मेडिकल टीम आई है.''- प्रमोद कुमार, अध्यक्ष, पटवा जाति सुधार समिति
10 में से 8 में हुई थी पुष्टि : इस संबंध में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एम इ हक़ ने बताया कि विगत वर्ष दशहरा के आसपास पटवा टोली लंगड़ा बुखार जिसे चिकनगुनिया भी कहा जाता है, उससे प्रभावित था. क्षेत्र से 10 लोगों का सैंपल लेकर पटना मेडिकल कॉलेज में जांच कराया गया था, इसमें आठ सैंपल की लंगड़ा बुखार के होने की पुष्टि हुई थी. पटवा टोली में मेडिकल कैंप लगाए गए थे और सभी बचाव के कार्य किए गए थे. यही नहीं WHO की टीम भी आयी थी.
''मेडिकल बुक में लिखा है कि एक बार जिस क्षेत्र में बड़ी संख्या में चिकनगुनिया 'लंगड़ा बुखार' हो जाता है, तो दोबारा उस क्षेत्र में कई वर्षों तक चिकनगुनिया का फैलाव नहीं होता है. क्योंकि बॉडी में इम्यूनिटी पैदा हो जाती है और वह प्रभावित होने नहीं देती है. डेंगू जिस एडीज से होता है, उस एडीज मच्छर के काटने से ही चिकनगुनिया होता है.''- डॉ एम इ हक़, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी
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