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IGMC पर प्राइवेट क्लीनिक से HIV टेस्ट करवाने के आरोप, हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन का हो रहा उल्लंघन!

आईजीएमसी अस्पताल शिमला पर मरीजों के तीमारदारों द्वारा निजी क्लीनिक से एचआईवी टेस्ट करवाने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

SHIMLA IGMC HIV TEST CASE
HIV टेस्ट को लेकर IGMC पर लगे गंभीर आरोप (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 13, 2024, 12:52 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला पर हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन का उल्लंघन करने का आरोप लगा है. जहां एक ओर आईजीएमसी में मरीजों को निशुल्क सेवा देने की बात की जा रही है. वहीं, अस्पताल में जो एचआईवी के टेस्ट होते हैं, उसे भी निजी लैब में करवाने के आरोप हैं, जिससे मरीजों को काफी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं. जबकि हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन में ये साफ है कि एचआईवी टेस्ट सरकारी अस्पताल के अंदर अपनी लैब में करवाए जाएं या फिर अस्पताल की अधिकृत लैब से टेस्ट करवाए जा सकते हैं. आईजीएमसी अस्पताल पर इन नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है.

तीमारदार का अस्पताल पर आरोप

आईजीएमसी अस्पताल के मरीज के तीमारदार ने आरोप लगाया है कि बीते रविवार को अपनी मां का इलाज करवाने के लिए आईजीएमसी के के ट्रॉमा सेंटर इमरजेंसी में गए थे. यहां उन्हें एचआईवी का टेस्ट करवाने के लिए कहा गया. इस दौरान वहां मौजूद डॉक्टर ने कहा कि वो इस टेस्ट को प्राइवेट क्लीनिक में करवाएं, क्योंकि छुट्टी होने के चलते अस्पताल के अंदर टेस्ट नहीं करवाए जा रहे हैं. तीमारदार का कहना है कि उन्हें एचआईवी टेस्ट के लिए अतिरिक्त 300 रुपए टेस्ट फीस देनी पड़ी. इसके अलावा भी अन्य 15 और मरीजों को इस लैब में टेस्ट करवाने के लिए भेजा गया. तीमारदार का कहना है कि अस्पताल के अंदर ये सुविधा क्यों नहीं दी जा रही है, जबकि यहां पर पर फ्री में एचआईवी का टेस्तट करवाया जाता है.

रोहड़ू में भी सामने आया था ऐसा मामला

पहले भी हिमाचल में एक ऐसा मामला सामने आया था. जब एक प्राइवेट क्लीनिक ने स्वस्थ मरीज की एचआईवी रिपोर्ट को खराब बता दिया था. इसको लेकर तब पूरे प्रदेश में खूब बवाल हुआ था. रोहड़ू के एक निजी क्लीनिक में महिला ने अपना एचआईवी टेस्ट करवाया था, तो वो पॉजिटिव था, लेकिन जब महिला ने सरकारी अस्पताल में ये टेस्ट करवाया तो वो नेगेटिव था. ऐसे में इस मामले के बाद से सरकार की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं कि सरकारी अस्पताल आने वाले मरीजों का एचआईवी टेस्ट अस्पताल की ही लैब में करवाया जाए.

WHO और हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन

डब्ल्यूएचओ और हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन भी साफ है कि सरकारी अस्पताल आने वाले मरीज प्राइवेट लैब से एचआईवी का टेस्ट नहीं करवा सकते हैं. एचआईवी का टेस्ट सिर्फ सरकारी अस्पताल की लैब और मान्यता प्राप्त लैब में ही करवा सकते हैं. इसके लिए सरकार से मंजूरी लेना भी जरूरी होता है. जबकि हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला पर इन नियमों को फॉलो न करने के आरोप लगे हैं.

आईजीएमसी के एमएस डॉ. राहुल राव ने बताया, "हेल्थ मिनिस्ट्री और डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक प्राइवेट लैब से एचआईवी का टेस्ट नहीं करवा सकते हैं. अगर इस तरह का मामला हुआ है तो इसकी जांच की जाएगी. इस बारे में संबंधित डॉक्टर से भी जवाब तलब किया जाएगा."

कैजुअल्टी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. अमन का कहना है, "मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है. अगर इस तरह से प्राइवेट क्लीनिक में एचआईवी टेस्ट करवाया गया है या करवाने के लिए डॉक्टर द्वारा लिखा गया हो तो इसकी जांच की जाएगी."

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शिमला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला पर हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन का उल्लंघन करने का आरोप लगा है. जहां एक ओर आईजीएमसी में मरीजों को निशुल्क सेवा देने की बात की जा रही है. वहीं, अस्पताल में जो एचआईवी के टेस्ट होते हैं, उसे भी निजी लैब में करवाने के आरोप हैं, जिससे मरीजों को काफी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं. जबकि हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन में ये साफ है कि एचआईवी टेस्ट सरकारी अस्पताल के अंदर अपनी लैब में करवाए जाएं या फिर अस्पताल की अधिकृत लैब से टेस्ट करवाए जा सकते हैं. आईजीएमसी अस्पताल पर इन नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है.

तीमारदार का अस्पताल पर आरोप

आईजीएमसी अस्पताल के मरीज के तीमारदार ने आरोप लगाया है कि बीते रविवार को अपनी मां का इलाज करवाने के लिए आईजीएमसी के के ट्रॉमा सेंटर इमरजेंसी में गए थे. यहां उन्हें एचआईवी का टेस्ट करवाने के लिए कहा गया. इस दौरान वहां मौजूद डॉक्टर ने कहा कि वो इस टेस्ट को प्राइवेट क्लीनिक में करवाएं, क्योंकि छुट्टी होने के चलते अस्पताल के अंदर टेस्ट नहीं करवाए जा रहे हैं. तीमारदार का कहना है कि उन्हें एचआईवी टेस्ट के लिए अतिरिक्त 300 रुपए टेस्ट फीस देनी पड़ी. इसके अलावा भी अन्य 15 और मरीजों को इस लैब में टेस्ट करवाने के लिए भेजा गया. तीमारदार का कहना है कि अस्पताल के अंदर ये सुविधा क्यों नहीं दी जा रही है, जबकि यहां पर पर फ्री में एचआईवी का टेस्तट करवाया जाता है.

रोहड़ू में भी सामने आया था ऐसा मामला

पहले भी हिमाचल में एक ऐसा मामला सामने आया था. जब एक प्राइवेट क्लीनिक ने स्वस्थ मरीज की एचआईवी रिपोर्ट को खराब बता दिया था. इसको लेकर तब पूरे प्रदेश में खूब बवाल हुआ था. रोहड़ू के एक निजी क्लीनिक में महिला ने अपना एचआईवी टेस्ट करवाया था, तो वो पॉजिटिव था, लेकिन जब महिला ने सरकारी अस्पताल में ये टेस्ट करवाया तो वो नेगेटिव था. ऐसे में इस मामले के बाद से सरकार की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं कि सरकारी अस्पताल आने वाले मरीजों का एचआईवी टेस्ट अस्पताल की ही लैब में करवाया जाए.

WHO और हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन

डब्ल्यूएचओ और हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन भी साफ है कि सरकारी अस्पताल आने वाले मरीज प्राइवेट लैब से एचआईवी का टेस्ट नहीं करवा सकते हैं. एचआईवी का टेस्ट सिर्फ सरकारी अस्पताल की लैब और मान्यता प्राप्त लैब में ही करवा सकते हैं. इसके लिए सरकार से मंजूरी लेना भी जरूरी होता है. जबकि हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला पर इन नियमों को फॉलो न करने के आरोप लगे हैं.

आईजीएमसी के एमएस डॉ. राहुल राव ने बताया, "हेल्थ मिनिस्ट्री और डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक प्राइवेट लैब से एचआईवी का टेस्ट नहीं करवा सकते हैं. अगर इस तरह का मामला हुआ है तो इसकी जांच की जाएगी. इस बारे में संबंधित डॉक्टर से भी जवाब तलब किया जाएगा."

कैजुअल्टी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. अमन का कहना है, "मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है. अगर इस तरह से प्राइवेट क्लीनिक में एचआईवी टेस्ट करवाया गया है या करवाने के लिए डॉक्टर द्वारा लिखा गया हो तो इसकी जांच की जाएगी."

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