कोटा. 200 करोड़ से ज्यादा की लागत से कोटा जंक्शन को स्मार्ट बनाया जा रहा है. इसका निर्माण कार्य जोर-शोर से कोटा जंक्शन के हर एरिया में चल रहा है, लेकिन इस निर्माण से वर्तमान में हो रही असुविधा का खामियाजा रोज हजारों की संख्या में यात्री भुगत रहे हैं. कई प्लेटफॉर्म की चौड़ाई कम कर दी गई है. इसके चलते यात्रियों को ट्रेन पर चढ़ने और चलने के लिए भी काफी कम जगह मिल रही है. यह 5 फीट से लेकर 8 फीट के बीच ही रह गई है. इसके चलते यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है.
पूरे स्टेशन के अलग-अलग हिस्से में निर्माण कार्य हो रहा है. प्लेटफॉर्म नंबर एक, प्लेटफॉर्म नंबर दो और तीन, हर जगह पर खुदाई की गई है. बड़ी-बड़ी मशीनरी यहां पर खुदाई के लिए लगी है. खुदाई में निकल रही मिट्टी और मलबे को बाहर फेंकने के लिए डंपरों के आने-जाने का क्रम भी लगातार जारी रहता है. इन सब मुद्दों पर सीनियर डीसीएम रोहित मालवीय का कहना है कि रेलवे के अधिकारी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं. ट्रेनों के आगमन और प्रस्थान के समय रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के जवान भी खड़े रहते हैं. शेड लगाकर बैरिकेडिंग की गई है. इस संबंध में इंजीनियरिंग डिवीजन के अधिकारी भी मौके पर जाकर वस्तुस्थिति देखकर आए हैं. जहां-जहां भी स्टेशन पर यात्रियों को परेशानी आ रही है, उसकी पूरी समीक्षा की जाएगी. परेशानियों को दूर किया जाएगा.
पढे़ं. करोड़ों खर्च हुए भी 20 सालों में नहीं सुधरे जैसलमेर के सिटी पार्क के हालात - City Park in Jaisalmer
ठेला या ट्रॉली फंसी तो ट्रेन छूटी : यात्री विनय कुमार रजक का कहना है कि रेलवे प्लेटफॉर्म गली की तरह बन गया है. यहां से कोई भी ठेला या फिर फूड ट्रॉली निकलती है या फिर पार्सल बुकिंग का सामान जब निकलता है, तब रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है. ऐसे में यात्रियों को काफी देर लाइन बनाकर इंतजार करना पड़ता है. इसके चलते भीड़भाड़ हो जाती है और इस आनन-फानन में यात्रियों की ट्रेन भी छूट सकती है.
रास्ते ढूंढने में निकल जाता है पसीना : यात्री धीरज पोरवाल का कहना है कि रेलवे ने मुख्य प्लेटफॉर्म नम्बर 1 पर वर्तमान में प्रवेश बंद किया हुआ है. वहां पर निर्माण कार्य जारी है. इसके चलते पार्सल, गोदाम और फुट ओवर ब्रिज जाने वाले रास्ते के जरिए एंट्री खोली हुई है. हालांकि, इसके लिए पर्याप्त संकेतक नहीं लगाए गए हैं. स्वयं के साधन से या पैदल आने वाले यात्रियों को परेशानी का ही सामना करना पड़ रहा है. दूसरी तरफ प्लेटफॉर्म नंबर चार पर भी ऐसा ही हो रहा है. ऐसे में यात्रियों को रास्ता खोजने में पसीना निकल जाता है.
सुरक्षा के लिए बनाई येलो लाइन पर ही लगा दिया शेड : सभी प्लेटफॉर्म पर एक येलो लाइन बनी होती है. यात्रियों को इस येलो लाइन के पीछे खड़ा होना होता है, ताकि प्लेटफॉर्म पर आने वाली ट्रेन से कोई यात्री घायल नहीं हो. ट्रेन से येलो लाइन की दूरी करीब चार से पांच फीट के बीच होती है, लेकिन कोटा में कई प्लेटफॉर्म पर तो येलो लाइन के ऊपर ही शेड लगाकर पीछे के एरिया को ब्लॉक कर दिया है. अब यात्रियों को मजबूरन येलो लाइन के आगे ही खड़ा होना पड़ रहा है. यात्री राम प्रकाश मौर्य का कहना है कि निकालने के लिए गैप काफी कम हो जाता है.
46 डिग्री टेंपरेचर में भी धूप में खड़ा होना मजबूरी : अधिकांश जगहों पर प्लेटफॉर्म के शेड हटा लिए गए हैं. वहां पर खुदाई कार्य जारी है. ट्रेनों का आवागमन भी सुचारू चल रहा है. भीषण गर्मी के समय दोपहर में तापमान 45 से 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है. ऐसे में ट्रेन के लिए धूप में बिना शेड के खड़ा होना पड़ रहा है. यात्री धीरज पोरवाल का कहना है कि इस भीषण गर्मी में यात्री गश खाकर भी गिर सकता है.
प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर सबसे ज्यादा समस्या : सबसे ज्यादा समस्या प्लेटफॉर्म नंबर चार पर आती है, जहां पर कोटा-पटना, जनशताब्दी, जबलपुर-अजमेर और कोटा-बीना की तरफ चलने वाली लोकल ट्रेन आती जाती है. इन सब ट्रेनों के आने पर प्लेटफॉर्म यात्रियों से खचाखच भरा जाता है और उनके निकलने के लिए महज 6 से 8 फीट का गलियारा बचता है. यात्रियों को समय से ट्रेन भी पकड़नी होती है. ऐसे में भीड़भाड़ के चलते ट्रेन छूटने का भी डर बना हुआ रहता है. लोग यहां से धक्का मुक्की कर निकल पाते हैं.