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गुरुग्राम के डॉक्टरों का कमाल, दिल में लगाया दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर, बचाई 88 वर्षीय मरीज की जान - WORLD SMALLEST PACEMAKER

World Smallest Pacemaker: गुरुग्राम के डॉक्टरों ने दिल में दूसरी बार दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर सफलतापूर्वक लगाया है.

World Smallest Pacemaker
World Smallest Pacemaker (Concept Image)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 3 hours ago

Updated : 4 minutes ago

गुरुग्राम: पारस अस्पताल के डॉक्टरों ने 88 वर्षीय मरीज के हृदय में दूसरी बार माइक्रो के नाम से जाना जाने वाला दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर सफलतापूर्वक लगाया. अस्पताल के प्रवक्ता ने बुधवार को ये जानकारी दी. प्रवक्ता ने कहा कि ये उपलब्धि भारत में पहली बार है. जब माइक्रा पेसमेकर को दूसरी बार एक ही हृदय में लगाया गया है.

गुरुग्राम में डॉक्टरों का कमाल: पहले माइक्रो पेसमेकर में बैटरी खत्म हो जाने के कारण ये प्रक्रिया आवश्यक हो गई थी, जिसके कारण मरीज को बहुत चक्कर आने लगे और वो बेहोश हो गया. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, जब मरीज अस्पताल आया तो उसमें चक्कर आने और बेचैनी के लक्षण दिखे. ईसीजी से पता चला कि उसकी हृदय गति 30 बीट प्रति मिनट थी, जिसके कारण उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया.

एक ही दिल में दूसरी बार लगाया पेसमेकर: प्रारंभिक उपचार में एक अस्थायी पेसिंग कैथेटर (एक विशेष तार जिसमें गुब्बारा लगा होता है) को हृदय में छेद होने से रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया था. इसके बाद मौजूदा पेसमेकर के ऊपर दूसरा माइक्रो पेसमेकर लगाने का जटिल कार्य किया गया, ताकि दोनों उपकरणों के बीच कोई संपर्क ना हो.

डॉक्टर ने बताया ऑपरेशन का प्रोसेस: गुरुग्राम के पारस अस्पताल में कार्डियोलॉजी के निदेशक और यूनिट हेड डॉक्टर अमित भूषण शर्मा ने कहा "ये अपनी तरह की पहली प्रक्रिया है और देश में पहले कभी नहीं की गई है. माइक्रो दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर है, जो लगभग एक विटामिन कैप्सूल के आकार का है, और लीडलेस है. जब मरीज बैटरी खत्म होने और बेहोश होने की स्थिति में आया, तो हमें तुरंत कार्रवाई करनी पड़ी. हमने उसके रक्त को पतला करने वाली दवाओं को बंद किए बिना पहले वाले के ऊपर दूसरा माइक्रो पेसमेकर सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया. इस अभिनव दृष्टिकोण ने हृदय में छेद होने के जोखिम को कम किया और ये सुनिश्चित किया कि दोनों पेसमेकर स्वतंत्र रूप से काम करें."

डॉक्टरों ने बचाई 88 वर्षीय मरीज की जान: डॉक्टर अमित भूषण शर्मा ने कहा "हमने हृदय में छेद से बचने के लिए गुब्बारे के साथ एक बुनियादी कैथेटर का इस्तेमाल किया. जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए दूसरे पेसमेकर को पहले वाले के ऊपर रखा गया. विशेष इमेजिंग ने सुनिश्चित किया कि दोनों पेसमेकर सही स्थिति में थे और एक दूसरे के साथ परस्पर क्रिया नहीं कर रहे थे."

ये भी पढ़ें- पीजीआई चंडीगढ़ में डॉक्टरों का कमाल, अवेक ब्रेन सर्जरी से 8 साल की बच्ची का हुआ सफल ऑपरेशन - SKULL OPERATION BY AWAKE SURGERY

गुरुग्राम: पारस अस्पताल के डॉक्टरों ने 88 वर्षीय मरीज के हृदय में दूसरी बार माइक्रो के नाम से जाना जाने वाला दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर सफलतापूर्वक लगाया. अस्पताल के प्रवक्ता ने बुधवार को ये जानकारी दी. प्रवक्ता ने कहा कि ये उपलब्धि भारत में पहली बार है. जब माइक्रा पेसमेकर को दूसरी बार एक ही हृदय में लगाया गया है.

गुरुग्राम में डॉक्टरों का कमाल: पहले माइक्रो पेसमेकर में बैटरी खत्म हो जाने के कारण ये प्रक्रिया आवश्यक हो गई थी, जिसके कारण मरीज को बहुत चक्कर आने लगे और वो बेहोश हो गया. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, जब मरीज अस्पताल आया तो उसमें चक्कर आने और बेचैनी के लक्षण दिखे. ईसीजी से पता चला कि उसकी हृदय गति 30 बीट प्रति मिनट थी, जिसके कारण उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया.

एक ही दिल में दूसरी बार लगाया पेसमेकर: प्रारंभिक उपचार में एक अस्थायी पेसिंग कैथेटर (एक विशेष तार जिसमें गुब्बारा लगा होता है) को हृदय में छेद होने से रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया था. इसके बाद मौजूदा पेसमेकर के ऊपर दूसरा माइक्रो पेसमेकर लगाने का जटिल कार्य किया गया, ताकि दोनों उपकरणों के बीच कोई संपर्क ना हो.

डॉक्टर ने बताया ऑपरेशन का प्रोसेस: गुरुग्राम के पारस अस्पताल में कार्डियोलॉजी के निदेशक और यूनिट हेड डॉक्टर अमित भूषण शर्मा ने कहा "ये अपनी तरह की पहली प्रक्रिया है और देश में पहले कभी नहीं की गई है. माइक्रो दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर है, जो लगभग एक विटामिन कैप्सूल के आकार का है, और लीडलेस है. जब मरीज बैटरी खत्म होने और बेहोश होने की स्थिति में आया, तो हमें तुरंत कार्रवाई करनी पड़ी. हमने उसके रक्त को पतला करने वाली दवाओं को बंद किए बिना पहले वाले के ऊपर दूसरा माइक्रो पेसमेकर सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया. इस अभिनव दृष्टिकोण ने हृदय में छेद होने के जोखिम को कम किया और ये सुनिश्चित किया कि दोनों पेसमेकर स्वतंत्र रूप से काम करें."

डॉक्टरों ने बचाई 88 वर्षीय मरीज की जान: डॉक्टर अमित भूषण शर्मा ने कहा "हमने हृदय में छेद से बचने के लिए गुब्बारे के साथ एक बुनियादी कैथेटर का इस्तेमाल किया. जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए दूसरे पेसमेकर को पहले वाले के ऊपर रखा गया. विशेष इमेजिंग ने सुनिश्चित किया कि दोनों पेसमेकर सही स्थिति में थे और एक दूसरे के साथ परस्पर क्रिया नहीं कर रहे थे."

ये भी पढ़ें- पीजीआई चंडीगढ़ में डॉक्टरों का कमाल, अवेक ब्रेन सर्जरी से 8 साल की बच्ची का हुआ सफल ऑपरेशन - SKULL OPERATION BY AWAKE SURGERY

Last Updated : 4 minutes ago
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