जींद: मेहनत ही उसका धर्म है. वह हर रोज कुछ ना कुछ जोड़ती है. कभी कुछ आमदनी तो कभी किसी नेकी से नसीब हुई शाबासी. मर्दों की शैली में घर के सब काम करती है और सड़क पर अनुशासित व सहानुभूति होकर निकलती है. यह कहानी सफीदों से 15 किलोमीटर दूर गांव हाडवा की एक 21 वर्षीय बेटी निशा की है. सफीदों के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री लेकर नौकरी के लिए किसी कोचिंग सेंटर में जाने की बजाय निशा ने खुद का स्टार्टअप शुरू किया. जिसमें वह मर्दों की तरह काम करती है.
निडर और आत्मनिर्भर बेटी: समाज में निरंतर कमजोर हो रही नैतिकता के दौर में निशा दूसरी बेटियों के लिए प्रेरणा बनी है. उसकी मां सुमनलता ने बताया कि नीशू ने छठी कक्षा से ही घर के कामकाज में रुचि लेनी शुरू कर दी थी. वह मेहनती है, निडर है, ईमानदार है. अच्छे संस्कार उसकी पहली पहचान है. उन्होंने बताया कि निशा खेत के सभी कामों के अलावा भैंसों के लिए चारा लाने, काटने, चारा डालने, दूध दुहने व कोई पशु बेकाबू हो जाए तो उसे काबू करने तक के काम बखूबी करती है. उसने ऋण पर किराया कमाने के लिए एक टाटा-एस व एक महिंद्रा पिक-अप दो वाहन लिए हैं.
साहसी मां ने बेटी को बनाया मेहनती: एक को वह खुद तो दूसरे को उसका भाई मनदीप चलाता है. उसकी मां सुमनलता से जब पूछा गया कि जवान बेटी वाहन को किराए के लिए लेकर घर से निकलती है तो कोई संदेह, कोई संकोच नहीं होता. इस पर, जरूरत पड़ने पर खुद भी गाड़ी चला लेने वाली सुमनलता का कहना था कि बेटी में दम हो और उसके संस्कार अच्छे हों तो किसी की हिम्मत नहीं कोई छू ले. इसलिए सब कुछ ठीक चल रहा है और सब कुछ गौरवपूर्ण है. उसने बताया की नीशू के पापा मुकेश देशवाल के दोनों पैरों की नस जाम हो गई थी. तो वह बिस्तर पर आ गए थे.
मजबूरियों ने हौसलों को दिए पंख: उनके पास मात्र पौने दो एकड़ जमीन है. ऐसी स्थिति में निशा की लग्न और पारिवारिक मजबूरियों ने उसके हौसलों को पंख लगा दिए और आज स्थिति यह है कि गांव में शुरू में जो लोग बेटी को मर्दों जैसे काम करते देख मन ही मन निंदा करते थे. वहीं, लोग आज निशा पर गर्व व्यक्त करते हैं. निशा ने बताया कि उसमें खुद की मेहनत से कुछ करने का जुनून है और इस जुनून को हवा उसकी मां ने हौसले के रूप में दी है. निशा कहती है कि वह ग्रेजुएट है. कोई ठीक सी सरकारी नौकरी मिले तो उसे परहेज भी नहीं लेकिन नौकरी की उम्मीद में वह अपनी मेहनत की लीक से नहीं हटेगी. उसने बताया कि उसका पहला सपना अपनी कमाई से थार गाड़ी लेने का है. वह पूरा होगा तो अगला लक्ष्य बनाएगी.
ये भी पढ़ें: तमिलनाडु की महिला टीम ने उत्तराखंड को कबड्डी के एकतरफा मुकाबले में हराया, दिन भर दिलचस्प बना रहा मैच