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पापमोचनी एकादशी 2024: व्रत के साथ करेंगे ये खास उपाय तो मिलेगी पापों से मुक्ति, धन के देवी भर देंगी भंडार! - Papmochani Ekadashi 2024 - PAPMOCHANI EKADASHI 2024

Papmochani Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. पापमोचनी एकादशी 2024 इस बार गुरुवार, 5 अप्रैल को है. पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान है. मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है.

Papmochani Ekadashi 2024
पापमोचनी एकादशी 2024
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Apr 3, 2024, 8:44 AM IST

पापमोचनी एकादशी 2024

कुरुक्षेत्र: सनातन धर्म में एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. मान्यता के अनुसार इस दिन विधि-विधान से एकादशी का व्रत करने पर भगवान विष्णु कृपा बनी रहती है. हिंदू पंचांग के अनुसार बुधवार, 5 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी एकादशी पड़ रही है. शास्त्रों में बताया गया है कि पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत रखने से जन्मों जन्मों के पाप कट जाते हैं. चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है.

पापमोचनी एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त: पंडित राकेश गोस्वामी तीर्थ पुरोहित कुरुक्षेत्र ने बताया कि चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार पापमोचनी एकादशी का आरंभ 4 अप्रैल को शाम को 4:14 बजे से हो रहा है, जबकि इसका समापन 5 अप्रैल को दोपहर 1:28 बजे होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत एवं त्योहार को उदय तिथि के साथ बनाया जाता है, इसलिए पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा. तीर्थ पुरोहित ने बताया कि पापमोचनी एकादशी के दिन 5 अप्रैल को भगवान विष्णु देव की पूजा अर्चना करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 7:41 बजे से शुरू होगा और इसका समापन 10:49 बजे होगा. पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने वालों के लिए पारण का समय 6 अप्रैल को सुबह 6:05 बजे से 8:37 बजे तक रहेगा.

पंचक काल में पापमोचनी एकादशी का पर्व: तीर्थ पुरोहित ने बताया कि पापमोचनी एकादशी 5 अप्रैल को पड़ रही है. वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार 5 अप्रैल के दिन ही पंचक काल का भी आरंभ हो रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार पंचक काल 5 अप्रैल को सुबह 7:12 से शुरू हो रहा है. पंचक काल के दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करने की मनाही होती है. लेकिन, शास्त्रों में बताया गया है कि पंच कल में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इसलिए भगवान विष्णु की पूजा अर्चना एकादशी के दिन की जा सकती है.

पाप मोचनी एकादशी का महत्व: तीर्थ पुरोहित ने बताया कि सनातन धर्म में 1 साल में 24 एकादशी होती है. प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है. वहीं, पापमोचनी एकादशी का सभी एकादशियों में से ज्यादा महत्व है. पापमोचनी एकादशी के नाम से प्रतीत होता है कि यह पापों को दूर करने वाली एकादशी होती है. धार्मिक ग्रंथों में पापमोचनी एकादशी के बारे में बताया गया है कि पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा उन पर बनी रहती है और उनके सभी प्रकार के पाप और दोष दूर हो जाते हैं. साथ ही घर में सुख समृद्धि आती है. तो आइए जानते हैं कि पापमोचनी एकादशी का क्या महत्व है और व्रत का विधि-विधान क्या है.

भगवान विष्णु की पूजा अर्चना: मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा करने से सभी प्रकार के कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं. वहीं, जाने अनजाने में अगर किसी से कुछ गलती हो जाती है तो उसका दोस्त भी दूर हो जाता है और उसको पुण्य की प्राप्ति होती है. पापमोचनी एकादशी के दिन दान करने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. जो भी इंसान इस दिन दान करता है उसको अपने हाथों से दान किए हुए का हजारों गुना ज्यादा पुण्य प्राप्त होता है.

पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा का विधि विधान: तीर्थ पुरोहित ने बताया कि जो भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करना चाहता है, वह एक दिन पहले शाम को भोजन कर ले और पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें. संभव हो तो किसी पवित्र नदी इत्यादि में स्नान करें. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं, भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना करें.

पापमोचनी एकादशी व्रत के दिन क्या करें?: पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के तुलसी, धूप, चंदन,फल, फूल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की आरती करें. पूजा के दौरान एकादशी की कथा भी पढ़ें. जो भी इंसान इस दिन व्रत रखना चाहता है, वह अपना व्रत रखने का प्रण ले, दिन में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु पुराण या फिर उसका कीर्तन करें.

भगवान विष्णु के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा: शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के बाद उनको प्रसाद का भोग लगाएं और उसके बाद गाय, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराएं. साथ ही इच्छा अनुसार दान करें. पापमोचनी एकादशी के दिन गरीब लोगों को उनका दान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. इससे उनको कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है और पारण के समय द्वादशी के दिन अपना व्रत का पारण करें और खुद भोजन करने से पहले ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराएं.

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पापमोचनी एकादशी 2024

कुरुक्षेत्र: सनातन धर्म में एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. मान्यता के अनुसार इस दिन विधि-विधान से एकादशी का व्रत करने पर भगवान विष्णु कृपा बनी रहती है. हिंदू पंचांग के अनुसार बुधवार, 5 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी एकादशी पड़ रही है. शास्त्रों में बताया गया है कि पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत रखने से जन्मों जन्मों के पाप कट जाते हैं. चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है.

पापमोचनी एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त: पंडित राकेश गोस्वामी तीर्थ पुरोहित कुरुक्षेत्र ने बताया कि चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार पापमोचनी एकादशी का आरंभ 4 अप्रैल को शाम को 4:14 बजे से हो रहा है, जबकि इसका समापन 5 अप्रैल को दोपहर 1:28 बजे होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत एवं त्योहार को उदय तिथि के साथ बनाया जाता है, इसलिए पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा. तीर्थ पुरोहित ने बताया कि पापमोचनी एकादशी के दिन 5 अप्रैल को भगवान विष्णु देव की पूजा अर्चना करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 7:41 बजे से शुरू होगा और इसका समापन 10:49 बजे होगा. पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने वालों के लिए पारण का समय 6 अप्रैल को सुबह 6:05 बजे से 8:37 बजे तक रहेगा.

पंचक काल में पापमोचनी एकादशी का पर्व: तीर्थ पुरोहित ने बताया कि पापमोचनी एकादशी 5 अप्रैल को पड़ रही है. वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार 5 अप्रैल के दिन ही पंचक काल का भी आरंभ हो रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार पंचक काल 5 अप्रैल को सुबह 7:12 से शुरू हो रहा है. पंचक काल के दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करने की मनाही होती है. लेकिन, शास्त्रों में बताया गया है कि पंच कल में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इसलिए भगवान विष्णु की पूजा अर्चना एकादशी के दिन की जा सकती है.

पाप मोचनी एकादशी का महत्व: तीर्थ पुरोहित ने बताया कि सनातन धर्म में 1 साल में 24 एकादशी होती है. प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है. वहीं, पापमोचनी एकादशी का सभी एकादशियों में से ज्यादा महत्व है. पापमोचनी एकादशी के नाम से प्रतीत होता है कि यह पापों को दूर करने वाली एकादशी होती है. धार्मिक ग्रंथों में पापमोचनी एकादशी के बारे में बताया गया है कि पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा उन पर बनी रहती है और उनके सभी प्रकार के पाप और दोष दूर हो जाते हैं. साथ ही घर में सुख समृद्धि आती है. तो आइए जानते हैं कि पापमोचनी एकादशी का क्या महत्व है और व्रत का विधि-विधान क्या है.

भगवान विष्णु की पूजा अर्चना: मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा करने से सभी प्रकार के कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं. वहीं, जाने अनजाने में अगर किसी से कुछ गलती हो जाती है तो उसका दोस्त भी दूर हो जाता है और उसको पुण्य की प्राप्ति होती है. पापमोचनी एकादशी के दिन दान करने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. जो भी इंसान इस दिन दान करता है उसको अपने हाथों से दान किए हुए का हजारों गुना ज्यादा पुण्य प्राप्त होता है.

पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा का विधि विधान: तीर्थ पुरोहित ने बताया कि जो भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करना चाहता है, वह एक दिन पहले शाम को भोजन कर ले और पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें. संभव हो तो किसी पवित्र नदी इत्यादि में स्नान करें. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं, भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना करें.

पापमोचनी एकादशी व्रत के दिन क्या करें?: पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के तुलसी, धूप, चंदन,फल, फूल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की आरती करें. पूजा के दौरान एकादशी की कथा भी पढ़ें. जो भी इंसान इस दिन व्रत रखना चाहता है, वह अपना व्रत रखने का प्रण ले, दिन में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु पुराण या फिर उसका कीर्तन करें.

भगवान विष्णु के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा: शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के बाद उनको प्रसाद का भोग लगाएं और उसके बाद गाय, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराएं. साथ ही इच्छा अनुसार दान करें. पापमोचनी एकादशी के दिन गरीब लोगों को उनका दान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. इससे उनको कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है और पारण के समय द्वादशी के दिन अपना व्रत का पारण करें और खुद भोजन करने से पहले ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराएं.

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