पन्ना। जिले की जनपद पंचायत पन्ना अंतर्गत ग्राम पंचायत ललार में सैकड़ों वर्षों पुरानी मूर्तियां देखी गई हैं. मूर्तियों में पशुओं, महिला, बच्चों और देवी देवताओं की आकृति बनी हुई है. मूर्तियां स्थानीय शंकर जी के मंदिर के चबूतरे के चारों तरफ लगी हुई है. जानकार बता रहे हैं कि यह मूर्तियां लगभग दसवीं शताब्दी की हैं. मूर्तियां देखने में बहुत ही प्राचीन और ऐतिहासिक प्रतीत होती हैं. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि ''बरसों पहले पास स्थित प्राचीन बावड़ी की सफाई में मूर्तियां निकली थीं जिन्हें शंकर जी के मंदिर के चबूतरे की चारों तरफ लगा दिया गया था. पर इनके इतिहास की जानकारी नहीं है. लेकिन मालूम पड़ रहा है कि मूर्तियां ऐतिहासिक एवं बहुत ही प्राचीन हैं.''
प्राचीन प्राकृतिक बावड़ी में निकली थी मूर्तियां
गांव के जानकार बुजुर्ग बताते हैं कि बरसों पहले प्राचीन बावड़ी की सफाई में मूर्तियां निकली थीं. पंचायत में ही स्थित प्राचीन बावड़ी है, जिसमें यह मूर्तियां सफाई के दौरान निकली थीं. इन मूर्तियों को पास स्थित शंकर जी के मंदिर के चबूतरे की चारों ओर लगा दिया गया पर इसकी प्रसिद्धि की जानकारी किसी गांव वालों को अब तक नहीं लगी है. बता दें कि यह मूर्तियां बहुत ही प्राचीन एवं ऐतिहासिक हैं, जिनका आर्कियोलॉजिस्ट विभाग द्वारा सर्वे होकर इसके इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी. गांव के लोग बताते हैं कि प्राचीन ऐतिहासिक बावड़ियों में अभी भी मूर्तियां लगी हुई हैं. जब बावड़ी सूखती है तब मूर्तियां दिखाई देती हैं. बावड़ी में नीचे तक जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं, इसी प्राचीन बावड़ी में मूर्तियां लगी हुई है.
दसवीं शताब्दी की प्रतीक होती हैं मूर्तियां
जानकार बता रहे हैं कि मूर्तियों की बनावट एवं स्थापत्य कला का सामंजस देखकर मूर्तियां दसवीं शताब्दी की प्रतीत हो रही हैं. मूर्तियों की नक्काशी देखते ही बनती है. मूर्तियों की बनावट में बहुत अधिक सफाई एवं तराश कर बनाया गया है. बता दें कि बरसों पहले बावड़ी में निकली मूर्तियों को शंकर जी के मंदिर के चारों ओर लगा दिया गया था, जब से वह वहीं पर लगी हुई हैं. प्राचीन बावड़ी के भी इतिहास के बारे में जानकारी लगाई जाएगी की बावड़ी से मूर्तियां कैसे निकाली गईं. अभी भी बावड़ी में कई मूर्तियां लगी हुई हैं.
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जिला पंचायत सीईओ बोले-सर्वे कराया जाएगा
पन्ना जिला पंचायत सीईओ संघ प्रिया को मूर्तियों के ऐतिहासिक विशेषता के बारे में बताया गया तो, उनका कहना था कि ''आपके द्वारा जानकारी दी जा रही है. निश्चित ही आर्कियोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट द्वारा इन मूर्तियों का सर्वे कराकर इतिहास जाना जाएगा. उन्होंने बताया कि पूर्व में भी चौमुखा मंदिर में ऐतिहासिक मूर्तियां खुदाई में मिली हैं. इसी तरह ग्राम ललार में भी आर्कियोलॉजिस्ट विभाग को पत्र लिखकर सर्वे कराया जाएगा और मूर्तियां के इतिहास के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाएगी.''