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Panipat diksha samaroh: दिल्ली के 16 साल की अंशिका और यूपी के 21 साल के सूरज बनेंगे साधु और साध्वी - पानीपत दीक्षा समारोह

Panipat diksha samaroh: पानीपत में आज सोलह साल की अंशिका और इक्कीस साल के सूरज पंडित जैन साधु और साध्वी बनेंगे. दोनो श्री एसएस जैन सभा गांधी मंडी में दीक्षा ग्रहण करेंगे.

Panipat diksha samaroh
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 22, 2024, 1:39 PM IST

पानीपत: पानीपत की गांधी मंडी में स्थित श्री एसएस जैन सभा गांधी मंडी में बेहद कम उम्र के लड़के लड़की जैन साधु और साध्वी बनेंगे. लड़के का नाम सूरज पंडित है और लड़की का नाम अंशिका जैन है. सूरज पंडित 21 साल का है जबकि अंशिका 16 साल की है. सूरज और अंशिका पिछले चार साल से जैन धर्म की शिक्षाओं का अनुसरण कर रहे हैं.

कैसे मिली साध्वी बनने की प्रेरणा: दिल्ली के द्वारिका की रहने वाली अंशिका ने बहुत कम उम्र में ही सांसारिक मोह माया, सुख सुविधाओं को त्याग कर साध्वी का जीवन जीने का निर्णय ले लिया है. अंशिका की उम्र महज सोलह साल है. अंशिका के पिता सुभाष बंसल दिल्ली में ही प्राइवेट नौकरी करते हैं. अंशिका के परिवार में उनकी मां, एक भाई और दाे बहनें हैं. अपने परिवार के साथ अंशिका जैन गुरुओं के दर्शन के लिए जाती थी. गुरुओं काे देखकर अंशिका को उनके ऐसा ही जीवन जीने की इच्छा मन में जगने लगी. चार साल पहले जब वह गुरु दर्शन के लिए पानीपत आयी थी तो उसे ऐसा लगा जैसे सबकुछ मिल गया हाे. अंशिका ने माता-पिता को साध्वी बनने की इच्छा जताई.

जैन साधु बनने की इच्छा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के दुरगुडवा गांव निवासी सूरज साधु बनने जा रहे हैं. सूरज की उम्र 21 साल है और वे इंटर तक की पढ़ाई किये हैं. उनके पिता का नाम विसराम पंडित है. सूरज के पिता गांव में खेती करते हैं. सूरज ने दिल्ली में जब पहली बार जैन संत रमेश मुनि महाराज काे देखा तो उनके मन में यह सवाला आया कि जैन संत मुंह क्यों ढक कर रखते हैं. मुंह ढके रहने पर वे बोलते कैसे हैं. इन्हीं सवालों के जवाब तलाश करने के क्रम में सूरज को भी जैन साधुओं के जैसा जीवन जीने की प्रेरणा मिली.

ये भी पढ़ें: जानें, कौन थे दिगंबर जैन आचार्य विद्यासागर महाराज, कैसा था उनका जीवन

पानीपत: पानीपत की गांधी मंडी में स्थित श्री एसएस जैन सभा गांधी मंडी में बेहद कम उम्र के लड़के लड़की जैन साधु और साध्वी बनेंगे. लड़के का नाम सूरज पंडित है और लड़की का नाम अंशिका जैन है. सूरज पंडित 21 साल का है जबकि अंशिका 16 साल की है. सूरज और अंशिका पिछले चार साल से जैन धर्म की शिक्षाओं का अनुसरण कर रहे हैं.

कैसे मिली साध्वी बनने की प्रेरणा: दिल्ली के द्वारिका की रहने वाली अंशिका ने बहुत कम उम्र में ही सांसारिक मोह माया, सुख सुविधाओं को त्याग कर साध्वी का जीवन जीने का निर्णय ले लिया है. अंशिका की उम्र महज सोलह साल है. अंशिका के पिता सुभाष बंसल दिल्ली में ही प्राइवेट नौकरी करते हैं. अंशिका के परिवार में उनकी मां, एक भाई और दाे बहनें हैं. अपने परिवार के साथ अंशिका जैन गुरुओं के दर्शन के लिए जाती थी. गुरुओं काे देखकर अंशिका को उनके ऐसा ही जीवन जीने की इच्छा मन में जगने लगी. चार साल पहले जब वह गुरु दर्शन के लिए पानीपत आयी थी तो उसे ऐसा लगा जैसे सबकुछ मिल गया हाे. अंशिका ने माता-पिता को साध्वी बनने की इच्छा जताई.

जैन साधु बनने की इच्छा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के दुरगुडवा गांव निवासी सूरज साधु बनने जा रहे हैं. सूरज की उम्र 21 साल है और वे इंटर तक की पढ़ाई किये हैं. उनके पिता का नाम विसराम पंडित है. सूरज के पिता गांव में खेती करते हैं. सूरज ने दिल्ली में जब पहली बार जैन संत रमेश मुनि महाराज काे देखा तो उनके मन में यह सवाला आया कि जैन संत मुंह क्यों ढक कर रखते हैं. मुंह ढके रहने पर वे बोलते कैसे हैं. इन्हीं सवालों के जवाब तलाश करने के क्रम में सूरज को भी जैन साधुओं के जैसा जीवन जीने की प्रेरणा मिली.

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